केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किए जाने से पहले, उस दौरान और अब आधी रात को वहाँ से पास होने के बाद से लेकर अब तक आम जनता के मन में इस विधेयक को लेकर जबरन भ्रम फैलाया जा रहा है। यह काम कर रहे हैं कुछ वामपंथी पत्रकार, कुछ मीडिया गिरोह और उनके चेले-चपाड़े। सोशल मीडिया पर ऐसे भ्रम तेजी से फैलते हैं और इसी का फायदा ये लोग उठा रहे हैं। इन धूर्त लोगों के जाल में आप न फँसे, इसलिए ऑपइंडिया ऐसे सभी सवालों को एक साथ जवाब सहित लेकर आया है, ताकि इनके प्रोपेगेंडा को शुरू होने से पहले ही धराशाई किया जा सके।
गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को पेश करते हुए हर मुमकिन प्रयास किया कि वे सभी सवालों का जवाब दें लेकिन ओवैसी जैसे विपक्षी नेताओं के कारण पूरे सदन का माहौल गर्म रहा। इस बीच मीडिया गिरोह से जुड़े कुछ लोगों ने और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर विधेयक का विरोध करने वाले वामपंथी तबके ने सोशल मीडिया पर लोगों में खूब भ्रम फैलाने की कोशिश की। अलग-अलग तर्क देकर इसके ख़िलाफ़ लोगों को बरगलाया गया।
लेकिन सवाल है कि क्या उन लोगों के तर्क उचित थे? क्या नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB, कैब) पर विरोधियों द्वारा दर्शायी गई छवि वाकई इस विधेयक के उद्देश्यों का प्रतिबिंब थी? या ये सब केवल एक अजेंडा था, जिसे सेकुलरिज्म की आड़ में रचा-गढ़ा गया ताकि राष्ट्रहित में उठाए गए मोदी सरकार के कदम को जबरदस्ती ‘भगवा’ रूप दिया जा सके।
इन्हीं अनर्गल प्रयासों में निहित प्रोपगेंडा को तोड़ने के लिए हम नागरिकता संशोधन विधेयक संबंधित कुछ मूल सवालों के जवाब आपको बताने जा रहे हैं। ताकि सोशल मीडिया पर पसरे झूठ से देश का कोई नागरिक विचलित न हो और इस विधेयक को लेकर गलत समझ निर्मित न करे।
प्रश्न 1: क्या कैब के कानून बन जाने के बाद भारतीय मुस्लिमों को भारत छोड़ना पड़ेगा?
उत्तर- नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है। कैब केवल अवैध अप्रवासियों के ख़िलाफ़ काम करेगा।
प्रश्न 2: क्या कैब भारतीय मुस्लिमों के ख़िलाफ़ है?
उत्तर- नहीं। कैब भारत में रह रहे मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नहीं हैं। ये केवल दूसरे देशों से आए अवैध प्रवासियों के ख़िलाफ़ है। गृहमंत्री ने इसे पेश करते हुए स्पष्ट कहा, “बिल से इस देश के किसी भी मुस्लिम का कोई लेना देना नहीं है। यहाँ का मुस्लिम सम्मान से जिएगा। मोदी के पीएम रहते हुए देश का संविधान ही हमारा धर्म है।”
Okay enough of toxic propaganda. Any Muslim from a foreign country can seek Indian citizenship. No law including CAB prevents that. CAB only aims to facilitate the persecuted religious minorities from the regions of pre-partition India and Afghanistan. So put an end to nonsense.
— Abhinav Prakash (@Abhina_Prakash) December 10, 2019
प्रश्न 3: कैब का उद्देश्य केवल पाकिस्तान के हिंदुओं को नागरिकता देना है?
उत्तर- नहीं। इस विधेयक का उद्देश्य पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में धार्मिक आधार पर सताए गए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है। बिल में वहाँ रहने वाले अल्पसंख्यक धर्मों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई तथा पारसी) के लोगों को कुछ शर्तों के साथ नागरिकता देने का प्रस्ताव किया गया है।
प्रश्न 4: क्या कैब संविधान के विरुद्ध है?
उत्तर- नहीं। कैब पूर्ण रूप से संविधान का अनुसरण करता है। इस विधेयक में संविधान का कोई अनुच्छेद या खण्ड कमजोर नहीं किया गया है, CAB को उसी तर्ज पर लागू किया गया है जैसे कि राष्ट्र के अल्पसंख्यकों को विशेष विशेषाधिकार दिए जाते हैं।
प्रश्न 5: क्या कैब में आर्टिकल 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन हुआ है?
उत्तर- बिलकुल नहीं। कॉन्ग्रेस द्वारा ऐसा सवाल उठाए जाने पर स्वयं गृहमंत्री कल सदन में इसका जवाब दे चुके हैं। जहाँ उन्होंने दावा किया कि CAB से अल्पसंख्यकों पर कोई असर नहीं होगा। यह बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। अपनी बात को सिद्ध करने के लिए उन्होंने इंदिरा गाँधी द्वारा लिए फैसले का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि पहली बार सरकार नागरिकता के लिए कुछ कर रही है। कुछ सदस्यों को लगता है कि समानता का आधार इससे आहत होता है। इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश से आए लोगों को नागिरकता देने का निर्णय किया था। पाकिस्तान से आए लोगों को नागरिकता क्यों नहीं दी गई, आर्टिकल 14 की ही बात है तो केवल बांग्लादेश से आने वालों को क्यों नागरिकता दी गई।”
प्रश्न 6: कैब के अंतर्गत नागरिकता पाने वालों के लिए लिए डेडलाइन क्या है?
उत्तर- दिसंबर 2014। नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा। इन लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
#ConstitutionAmendmentBill
— Gaurav kr Mishra ?? (@Gauravmtweet) December 10, 2019
Questions and Answers Please #RT
1. Is CAB against Muslims ?
Ans – NO, It is not against Muslims living in Bharat, It is only against Illegal Immigrants and Allow Citizenship To Foreign Immigrants who came here because of Religious persecution
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प्रश्न 7: क्या ये विधेयक हिंदुओं का समर्थन करता है, मुस्लिमों का नहीं?
उत्तर- ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि ये विधेयक केवल ‘हिंदुओं’ के मद्देनजर ही तैयार किया गया है। बहुत से श्रीलंका के तमिल हिंदू हैं, जो इसका विरोध कर रहे हैं। क्योंकि श्रीलंका में वे अल्पसंख्यक नहीं हैं। इसलिए ये कहना झूठ है कि धर्म के आधार पर मुस्लिमों को इसमें बाहर का रास्ता दिखाया गया है। ये विधेयक केवल पड़ोसी देशों में धर्म के नाम पर सताए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने पर आधारित है।
प्रश्न 8: क्या किसी भी देश के हिंदू को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी और क्या किसी भी देश के मुस्लिम को भारतीय नागरिकता नहीं मिलेगी?
उत्तर- सबसे पहले तो ये जानना जरूरी है कि यह कानून सिर्फ़ पाकिस्तान, अफ्गानिस्तान, बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों (धर्म के नाम पर सताए गए 6 समुदाय- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई तथा पारसी) के लिए लाया गया है। जिसके मुताबिक अन्य ‘किसी ‘भी देश के ‘हिंदू’ का अभी तक इस बिल से सरोकार नहीं है। और न ही, इन तीनों देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं।
प्रश्न 9: क्या भारत से बाहर के कोई भी मुस्लिम यहाँ की नागरिकता ले सकते हैं?
उत्तर- बिल्कुल ले सकते हैं। इस मामले में केस-टू-केस बेसिस मतलब हर इंसान के आवेदन पर सुनवाई कर और जाँच-प्रक्रिया से गुजार कर उन्हें नागरिकता प्रदान की जाती है और आगे भी यही प्रक्रिया जारी रहेगी।
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