Saturday, November 23, 2024
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2018 के सुसाइड केस से अर्नब गोस्वामी को घेरना चाहती है कॉन्ग्रेस, अदालत में नहीं टिक पाए थे आरोप

कॉन्ग्रेस द्वारा सर्कुलेट की जा रही वीडियो के जवाब में रिपब्लिक टीवी ने बयान जारी कर पूरे मामले की स्थिति के बारे में बताया है। दावा किया है कि यह वीडियो दुर्भावना से प्रेरित है। अर्नब पर लगे आरोपों पर जाँच हुई थी और अदालत ने पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल किए जाने के बाद मामले को बंद कर दिया था।

पालघर में दो साधुओं समेत एक ड्राइवर की लिंचिग के बाद रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्नब गोस्वामी लगातार कॉन्ग्रेस पर हमलावर रहे। उन्होंने इस घटना पर चुप्पी को लेकर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से तीखे सवाल पूछे थे।

इसके बाद यूथ कॉन्ग्रेस के दो कार्यकर्ताओं ने उन पर हमल किया। देशभर के कई राज्यों में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई। मुंबई पुलिस ने उनसे घंटो पूछताछ की।

लेकिन गुंडों से हमला करवाने से लेकर राज्य की मशीनरी का दुरुपयोग करके भी कॉन्ग्रेस उन्हें चुप नहीं करवा पाई। इसलिए अर्नब को घेरने के लिए एक पुराने मामले का सहारा लिया गया जिसमें कुछ समय पहले उन पर एफआईआर हुई थी।

यह सब तब शुरू हुआ जब अर्नब गोस्वामी ने सोनिया गाँधी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि क्या वह तब भी इसी तरह से चुप रहतीं अगर किसी ईसाई पादरी की हत्या की गई होती।

इस क्रम में उन्होंने ग्राहम स्टेन्स की हत्या के मामले को उठाया, जो कि एक ईसाई मिशनरी था। यूपीए की सरकार ने 2005 में ग्राहम स्टेन्स की पत्नी को पद्मश्री से सम्मानित किया था।

ऐसे में गोस्वामी का सवाल ये था कि अगर सोनिया गाँधी और उनकी सरकार स्टेन्स की पत्नी को पुरस्कृत कर सकती हैं, तो वह ऐसी स्थिति में दो साधुओं की लिंचिंग के खिलाफ क्यों नहीं बोल सकती, जिस राज्य में उन्होंने वैचारिक समझौता करके शिवसेना के साथ गठबंधन किया है।

कॉन्ग्रेस पार्टी ने अर्नब गोस्वामी को घेरने की कोशिश में कई जगहों पर कई एफआईआर दर्ज हुईं और मुंबई पुलिस जो कि अब शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी के गठबंधन के अधीन है, ने अर्नब से 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की। जब उन्हें इससे भी सुकून नहीं मिला तो पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के ग्रुप सीएफओ से भी सवाल पूछे।

इतना ही नहीं, इन सबसे पहले राज्य मशीनरी ने अर्नब की शिकायत पर यही मानने से इनकार कर दिया था कि रिपब्लिक टीवी स्टूडियो से घर लौटते समय अर्नब और उनकी पत्नी पर कॉन्ग्रेस के गुंडों ने हमला किया था।

अर्नब के लाख कहने पर भी जो मशीनरी फाइल में जिस कॉन्ग्रेस का नाम लिखने से कतराती रही। वही कॉन्ग्रेस अब अर्नब गोस्वामी को निशाना बनाने के लिए दो साल पुराने आत्महत्या के मामले का प्रयोग कर रही है।

इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या का मामला

दरअसल मई 2018 में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। उस दौरान एक इंटीरियर डिजाइनर ने अलीबाग में अपने बंगले में आत्महत्या कर ली थी।

अन्वय नाइक द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने अर्नब गोस्वामी, आईकास्टएक्स/स्काई मीडिया के फिरोज शेख और स्मार्टवर्क्स के नितीश सारदा के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया था।

नाइक की पत्नी ने आरोप लगाया था कि रिपब्लिक टीवी ने उसका बकाया भुगतान नहीं किया था, इसलिए उसके पति ने आत्महत्या की थी।

रिपब्लिक टीवी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि कुछ समूह अपने स्वार्थ के लिए दुर्भावना से काम कर रहे हैं और नाइक के जुड़ी दुखद घटना का फायदा उठाकर रिपब्लिक टीवी के खिलाफ गलत बयानबाजी कर रहे हैं।

रिपब्लिक टीवी ने अपने बयान में कहा था, रिपब्लिक टीवी इस तरह के झूठे प्रोपेगेंडा फैलाने वालों के खिलाफ में सख्त कदम उठाएगा। रिपब्लिक टीवी यह स्पष्ट करना चाहता है कि दिसंबर 2016 में एक समय पर कॉनकॉर्ड डिज़ाइन्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा हुआ है। कॉन्ट्रेक्ट के अन्तर्गत आने वाले सभी बकाया भुगतान और रिपब्लिक टीवी द्वारा कॉनकॉर्ड डिज़ाइन्स को भुगतान किए जा चुके हैं। चेक नंबरों के साथ राशि, भुगतान की तारीख, संबंधित पत्राचार और प्रलेखन सहित भुगतान का विवरण रिपब्लिक टीवी के पास उपलब्ध है। इस तरह के सभी विवरण और साक्ष्य जरूरत पड़ने पर उपयुक्त अधिकारियों को सौंप दिए जाएँगे। हमारी संवेदनाएँ नाइक परिवार के साथ हैं।

सुसाइड नोट में अन्वय नाइक ने दावा किया था कि गोस्वामी और अन्य दो व्यक्तियों- फिरोज शेख और नितीश सारदा पर उसके कुल 5.4 करोड़ रुपए का बकाया है। जिसपर टाइम्स ऑफ इंडिया ने तब रिपोर्ट की थी कि अर्नब गोस्वामी ने एक स्टूडियो के डिजाइन प्रोजेक्ट के लिए कथित तौर पर 83 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया था।

इस केस को कॉन्ग्रेस अर्नब के खिलाफ इस्तेमाल कर रही

अब 5 मई को कॉन्ग्रेस पार्टी की महाराष्ट्र इकाई ने अन्वय नाइक की पत्नी अक्षिता नाइक का एक वीडियो ट्वीट किया। वीडियो में दिखाया गया है कि अन्वय नाइक और उसकी माँ की खुदकुशी के दो साल पूरे हो गए हैं। 2.4 मिनट लंबे वीडियो में, जिसमें से अधिकांश मराठी में हैं, वीडियो में अक्षिता ने सभी भारतीयों से न्याय पाने में मदद की अपील की और चेतावनी दी।

उसने कहा कि यदि मेरे और मेरी बेटी के साथ कुछ भी होता है, तो उसके लिए अर्नब गोस्वामी, अनिल पारस्कर और सुरेश वारदा जिम्मेदार होंगे। आपको बता दें कि नाइक की आत्महत्या के समय अनिल पारस्कर रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक, जबकि सुरेश वारदा अलीबाग में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक थे।

अक्षिता ने इस वीडियो में आरोप लगाया है कि वारदा ने प्राथमिकी दर्ज करने के समय उसे चेतावनी दी थी कि इन सबमें कई शक्तिशाली लोग शामिल हैं। इसलिए उन्होंने उसे नसीहत दी कि एफआईआर दर्ज कराने से उसे पहले सोचने-समझने की जरूरत है। उसने दावा किया कि जाँच के लिए दिए गए लैपटॉप या फोन परिवार को अभी तक वापस नहीं मिले हैं। अक्षिता नाइक ने कहा कि काफी मुश्किलों के बाद उन्हें सुसाइड नोट वापस मिल पाया था।

अर्नब गोस्वामी के खिलाफ एफआईआर में क्या हुआ?

कॉन्ग्रेस द्वारा अब सर्कुलेट की जा रही वीडियो के जवाब में, रिपब्लिक टीवी ने बयान जारी करके पूरे मामले की स्थिति के बारे में बताया है। जवाब में रिपब्लिक टीवी ने दावा किया है कि यह वीडियो दुर्भावना से प्रेरित है और महत्वपूर्ण जानकारी से अछूता है। अर्नब पर लगे आरोपों पर जाँच हुई थी और अक्षिता द्वारा आरोपों पर सबूत न दे पाने के बाद अदालत ने पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल किए जाने के बाद मामले को बंद कर दिया था।

जवाब में यह भी कहा गया है कि 2 साल पहले अन्वय नाइक की कंपनी कॉनकॉर्ड डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड को काम के तय नियमों के मुताबिक एआरजी आउटलियर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 90% राशि का भुगतान किया था। इसमें कहा गया है कि शेष राशि का भुगतान सीडीपीएल को उस काम के पूरा होने के बाद किया जाना था जो कभी नहीं किया गया था।

इसके बावजूद भी एआरजी मीडिया द्वारा बकाया मामले को एक बार नहीं बल्कि कई बार सुलझाने का प्रयास किया गया, लेकिन अभी तक सीडीपीएल के किसी भी शेयर धारक या निदेशक नहीं होने के कारण ये सभी प्रयास निरर्थक रहे।

अर्नब गोस्वामी ने दावा किया है कि उनकी कंपनी द्वारा मृतक की पत्नी अन्वय नाइक तक पहुँचने के लिए कई प्रयास किए गए थे ताकि शेष राशि के भुगतान के मामले को सुलझाया जा सके, लेकिन इसे लेकर कभी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली।

वह कहते हैं कि शेष राशि को भी सीडीपीएल के खाते में स्थानांतरित कर दिया गया था, हालाँकि खाता निष्क्रिय होने के चलते राशि जुलाई 2019 में वापस कर दी गई थी।

जवाब में कहा गया है कि अन्वय नाइक किसी थर्ड पार्टी के वेंडर को राशि दिलवाना चाहते थे, जो कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर मान्य नहीं है। फिर भी एआरजी मीडिया ने उनके वकीलों की उपस्थिति में उनके साथ बैठकर मामले का हल निकालने की पेशकश की थी।

इसके बावजूद उनके 25 जनवरी 2020 साथ ही 25 और 26 फरवरी के ई-मेल का भी अक्षिता की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला। एआरजी मीडिया ने यह भी कहा कि उनके पास सभी बातचीत का पूरा रिकॉर्ड है, जो उनके रुख को साफ करता है।

रिपब्लिक टीवी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे भ्रामक करने वाले हैं। इन तथ्यों से कानूनी करीके से निपटा जाएगा, जिसमें आपराधिक साजिश, मानहानि और आपराधिक धमकियों सहित सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह के प्रावधान शामिल हैं।

यह देखना रोचक है कि अर्नब गोस्वामी द्वारा सोनिया गाँधी के बारे में की गई एक टिप्पणी और उनके द्वारा उठाए गए वैध सवालों ने कॉन्ग्रेस पार्टी को इस तरह झकझोर दिया है कि वे अर्नब गोस्वामी के ख़िलाफ़ राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करने, गुंडों का इस्तेमाल करने और अब दो साल पुराना मामला उठाने से भी नहीं चूक रहे।

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने अदालत से गुहार लगाई थी कि अर्नब गोस्वामी अपनी बहस के माध्यम से मुंबई पुलिस को “आतंकित” करने का प्रयास कर रहे हैं।

वहीं पार्टी प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में चिल्लाती रहती है, ऐसा लगता है कि वे सिद्धांत केवल उन पत्रकारों तक ही सीमित हैं जो सोनिया गाँधी से पूछना पसंद करते हैं कि क्या उन्होंने अपनी सास के लिए पास्ता बनाया है या नहीं। उनके लिए नहीं जो उनसे सवाल करना चाहते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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