राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पर चर्चा चल रही है। सभी पार्टियों के नेता अपना विचार रख रहे हैं। कॉन्ग्रेस समेत कई विपक्षियों ने इस बिल का विरोध किया है। इस बीच कॉन्ग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर बयान सामने आया है। हालाँकि यह समझना काफी मुश्किल है कि आखिर उन्होंने बोला क्या? सभी लोग यह जानने की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि आखिर वो बोलना क्या चाहते हैं, मगर अफसोस… कोई समझ नहीं पा रहा।
अगर आप उनके बयान को सुनेंगे तो आपको ऐसा लगेगा जैसे कि उन्हें किसी ने जबरदस्ती इस विषय पर बयान के लिए कहा हो और उनके पास बोलने के लिए शब्द नहीं थे, या फिर यूँ कहें कि वो अपने विचार को लेकर स्पष्ट नहीं थे। एक ही बात को बार-बार घुमाकर बोल रहे थे, जिसका कोई मतलब नहीं निकल रहा था। वीडियो में वो थोड़े से बदहवास से भी नज़र आ रहे थे। शायद थोड़े से परेशान भी थे। तभी तो नागरिकता संशोधन विधेयक को बार-बार ‘अध्यादेश’ बोल रहे थे।
इंदौर में जब मीडिया ने सिंधिया से नागरिकता संशोधन बिल पर राय पूछी तो वो 2-4 शब्दों तक ही सिमटे नज़र आए। इनका बयान सुनने पर दो-चार शब्द ही थे जिसे वो बार-बार दोहरा रहे थे। अध्यादेश, संविधान, नागरिकता, जात-पात, धर्म, राज्य- यही वो चंद शब्द थे, जिसके इर्द-गिर्द ही ज्योतिरादित्य सिंधिया का बयान घूमता रहा। वो इन्हीं कुछ शब्दों में उलझे नज़र आए। हालाँकि वो किसी को ये नहीं समझा पाए कि आखिर वो कहना क्या चाहते थे। इसके पीछे की वजह ये हो सकती है कि शायद वो खुद भी नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर कहना क्या है और किस संदर्भ में कहना है।
#CAB2019 संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है,भारतीय संस्कृति के विपरीत भी है। अंबेडकर जी ने संविधान लिखते समय किसी को धर्म, जात के दृष्टिकोण से नहीं देखा था।भारत का इतिहास रहा है कि हमने सभी को अपनाया है- वासुदेव कुटुंबकम भारत की विशेषता है।धर्म के आधार पर पहले कभी ऐसा नहीं हुआ।
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) December 11, 2019
हालाँकि बाद में शायद उन्हें भी एहसास हुआ कि उनकी बातें लोगों के समझ में नहीं आ रहा है, तो उन्होंने ट्वीट करते हुए अपनी बातें स्पष्ट की। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “CAB 2019 संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है, भारतीय संस्कृति के विपरीत भी है। अंबेडकर जी ने संविधान लिखते समय किसी को धर्म, जात के दृष्टिकोण से नहीं देखा था। भारत का इतिहास रहा है कि हमने सभी को अपनाया है- वसुधैव कुटुंबकम भारत की विशेषता है।धर्म के आधार पर पहले कभी ऐसा नहीं हुआ।”
वैसे सिंधिया इससे पहले जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के मोदी सरकार के फैसले का समर्थन कर चुके हैं। हालाँकि कॉन्ग्रेस शुरू से लेकर अब तक सरकार के इस कदम का विरोध कर रही है। कुछ दिनों पहले सिंधिया ने अपने ट्विटर अकाउंट के बॉयो से अपना कॉन्ग्रेसी परिचय हटा दिया था। इसे लेकर भी पार्टी आलाकमान से उनकी नाराजगी की खबरों ने सुर्खियाँ बटोरी थी। ट्विटर के नए बॉयो में सिंधिया ने खुद को जनसेवक और क्रिकेट प्रेमी बताया था। अक्टूबर में भिंड में पार्टी के एक कार्यक्रम में भी सिंधिया ने मध्य प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने तंज कसते हुए कहा था, “चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस ने दो लाख कर्जमाफी का वादा किया था, लेकिन किसानों के 50 हजार तक के ही कर्ज माफ हुए।”