भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission) ने 2019-20 में कॉन्ग्रेस को मिले चंदे से जुड़ी एक रिपोर्ट पिछले दिनों जारी की थी। इससे पता चलता है कि अस्तित्व के संकट से जूझ रही कॉन्ग्रेस की वित्तीय हालत भी पतली है। पार्टी 2019-2020 में महज 139.01 करोड़ रुपए का ही चंदा जुटाने में सफल रही है। पिछले साल की तुलना में इस बार गिरावट आई है। इससे पहले पार्टी को कुल 146 करोड़ रुपए का चंदा प्राप्त हुआ था।
संबंधित कानूनों के प्रावधानों के तहत राजनीतिक दलों को हर साल लोगों, कंपनियों, इलेक्टोरल ट्रस्ट और संगठनों से मिले 20,000 रुपए से अधिक चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है।
ईसीआई साइट पर उपलब्ध कराए गए आँकड़ों के अनुसार, कॉन्ग्रेस ने चुनाव आयोग को 30 दिसंबर, 2020 को जानकारी दी कि 2019-20 में पार्टी को 139 करोड़ रुपए का योगदान मिला है।
यह राशि 2018-19 में एकत्र की गई राशि की तुलना में कम है।
इस रिपोर्ट से यह बात भी सामने आई है कि पार्टी की स्थापना के बाद से ही इसका कमान सँभालने वाली गाँधी परिवार का योगदान इसमें नाममात्र ही है। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी फंड में 50,000 रुपए दिए हैं जबकि उनके बेटे और पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने 54,000 रुपए का ही योगदान दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं, जिन्होंने अगस्त 2020 में सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर बड़े संगठनात्मक बदलावों की माँग की थी, ने पार्टी आलाकमान के बराबर या उनसे ज्यादा योगदान पार्टी फंड में दिया है।
कॉन्ग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और G-23 के सदस्य कपिल सिब्बल ने 2019-2020 के बीच पार्टी कोष में सबसे अधिक तीन करोड़ रुपए का योगदान दिया। कॉन्ग्रेस द्वारा चुनाव आयोग को सौंपी गई सूची में कपिल सिब्बल के अलावा, पार्टी फंड में योगदानकर्ता के रूप में जी -23 के अन्य पाँच सदस्य भी शामिल हैं। ‘जी23’ के अन्य सदस्यों में से आनंद शर्मा, शशि थरूर और गुलाम नबी आज़ाद ने 54-54 हजार रुपए, मिलिंद देवड़ा ने एक लाख रुपए और राज बब्बर ने एक लाख आठ हजार रुपए दिए हैं।
इसके अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, स्वर्गीय मोतीलाल वोरा, स्वर्गीय अहमद पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर और अधीर रंजन चौधरी ने भी राहुल गाँधी जितना ही, यानी कि 54,000 का योगदान पार्टी फंड में दिया था।
मजेदार बात यह है कि पिछले साल मार्च में कॉन्ग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी वित्त वर्ष 2019-20 में पार्टी को 54 हजार रुपए दिए थे।
उल्लेखनीय है कि जिन कॉरपोरेट्स ने कॉन्ग्रेस पार्टी के फंड में योगदान दिया उनमें प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट (Prudent Electoral Trust) का 31 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा योगदान है। उसके बाद बिजनेस हाउस आईटीसी (Business House ITC) ने 13 करोड़ रुपए और आईटीसी इन्फोटेक ने 4 करोड़ रुपए का दान किया है।