उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) में आगामी चुनावों को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच कॉन्ग्रेस (Congress) का दोगलापन एक बार फिर से सामने आ गया है। एक तरफ कॉन्ग्रेस नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) महिला सशक्तिकरण (Women empowerment) को लेकर चिल्ला-चिल्ला कर नारा दे रही हैं कि ‘लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ‘ तो दूसरी ओर एक महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोपित को पार्टी में एक अहम पद दिया जाता है। पिछले सप्ताह ही कॉन्ग्रेस पार्टी ने यौन उत्पीड़न (Sexual harassment) के आरोपित रंजीत मुखर्जी को तीन प्रमुख राज्यों- त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम का सचिव बनाया है।
मुखर्जी को पिछले साल पार्टी की एक सहयोगी को परेशान करने और एक अन्य महिला के खिलाफ गलत व्यवहार का आरोप लगाए जाने के बाद पार्टी के पदों से हटा दिया गया था। कॉन्ग्रेस ने 23 दिसंबर 2021 को AICC के तीन सचिवों की नियुक्ति की थी। इसमें रंजीत मुखर्जी (Ranajit Mukherjee), जरिता लैतफांग (Szarita Laitphang) और तजिंदर पाल सिंह बिट्टू (Tajinder Pal Singh Bittu) शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक पार्टियाँ अपने-अपने हिसाब से जोर आजमाइश कर रही हैं। समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) समेत दूसरे दल जातिगत राजनीति के सहारे चुनावी नदी पार करने की कोशिश कर रहे हैं तो सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) यह चुनाव अपने विकास और हिंदुत्व के भरोसे लड़ रही है।
वहीं, कभी भारतीय राजनीति का केंद्र बिंदु रही और अब डूबती नाव बन चुकी कॉन्ग्रेस अभी भी वोटरों को विश्वसनीय विकल्प देने के लिए संघर्ष कर रही है। हमेशा की तरह दिवास्वप्न देखने वाले राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) अपने ही तरीके से पार्टी को पुनर्जीवित करने की कोशिशों में लगे हैं तो ‘दादी की तरह नाक वाली’ उनकी बहन प्रियंका गाँधी अपने भाई की तारीफें करती दिख रही हैं।
प्रियंका गाँधी वाड्रा ने महिला सशक्तिकरण के मुद्दे को भुनाने की कोशिश करते हुए नारा दिया था कि ‘लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ’, लेकिन हाल ही में उन्होंने कहा कि एलपीजी सिलेंडर देना और शौचालय बनवाना महिला सशक्तिकरण नहीं है। उनके इस बेतुके बयान ने इस वास्तविकता को उजागर कर दिया वो हकीकत में सच्चाई से कितनी दूर हैं।
प्रियंका गाँधी ने महिलाओं की सुरक्षा और उनके आगे बढ़ने के लिए किए जाने वाले उपायों को महिला सशक्तिकरण मानने से इनकार कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि कॉन्ग्रेस ने इस मुद्दे को पीछे छोड़ते हुए यौन उत्पीड़न और हिंसक व्यवहार के आरोपित नेता को बहाल कर दिया है।
रंजीत मुखर्जी पर क्या हैं आरोप?
रंजीत मुखर्जी AICC के सचिव थे और पिछले साल उन्होंने उस वक्त अपने पद से इस्तीफा दिया था, जब उनके खिलाफ आंतरिक जाँच हुई थी। राज्यसभा सदस्य राजीव गौड़ा (Rajeev Gowda) ने यह जाँच की थी। राजीव गौड़ा पार्टी के रिसर्च डिपार्टमेंट के प्रमुख हैं। मुखर्जी पार्टी के रिसर्च विंग के सदस्य भी हुआ करते थे। आरोप लगने के बाद उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया था।
गौरतलब है कि 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनावों के दौरान एनएसयूआई की एक महिला कार्यकर्ता ने मुखर्जी के खिलाफ लिखित शिकायत की थी। इसके अलावा, रिसर्च विंग के एक अन्य सहयोगी ने भी आरोप लगाया था कि मुखर्जी हिंसक व्यवहार में शामिल थे। महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने के बावजूद कॉन्ग्रेस ने मुखर्जी को बहाल कर दिया, जबकि उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की जाँच अभी निष्कर्ष पर नहीं पहुँची है।