Sunday, December 22, 2024
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5-0 से भी कुछ नहीं बदला, कॉन्ग्रेस को गाँधी-वाड्रा ही जोतते रहेंगे: चिता पर लेटी पार्टी चिंतन शिविर करेगी, 5 घंटे की बैठक के बाद फिर वही कहानी निकली

तकरीबन 5 घंटे तक चली बैठक में कॉन्ग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हार पर 'गंभीर' चिंता प्रकट करते हुए फैसला किया कि जल्द ही एक ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

2014 के बाद भारत की राजनीति पूरी तरह बदल चुकी है। लेकिन एक चीज जो नहीं बदली, वह है- कॉन्ग्रेस बैठकों की वही घिसी-पिटी स्क्रिप्ट। 5 राज्यों के हालिया विधानसभा चुनाव में बुरी तरह परास्त हुई पार्टी ने रविवार (13 मार्च 2022) को वर्किंग कमिटी की बैठक की खानापूर्ति की। लेकिन घंटों की कवायद के बाद वही कहानी निकली जो सफाए के कगार पर खड़ी पार्टी पहले भी तमाम मौकों पर पेश कर चुकी है। यानी, गाँधी-वाड्रा फैमिली ने अपनी तरफ से जिम्मेदारी से मुक्त होने की पेशकश की, बैठक में मौजूद लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं होगा क्योंकि आप ही हमारे ‘तारणहार’ हैं, फिर गाँधी नेतृत्व करते रहने को मान गए और चिंतन शिविर वाली एक और खानापूर्ति जल्द ही कर लेने का फैसला कर लिया गया।

वर्किंग कमिटी की बैठक अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी की अध्यक्षता में हुई। बैठक में पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा, वेणुगोपाल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी, पी चिदंबरम आदि शामिल हुए। इसके अलावा G-23 के गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक ने भी बैठक में शिरकत की।

तकरीबन 5 घंटे तक चली बैठक में कॉन्ग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हार पर ‘गंभीर’ चिंता प्रकट करते हुए फैसला किया कि जल्द ही एक ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। 

इस दौरान सोनिया गाँधी ने इस्तीफे की पेशकश करते हुए कहा कि अगर पार्टी नेताओं को लगता है कि हार के लिए वो जिम्मेदार हैं तो वो तीनों (सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा) इस्तीफे के लिए तैयार हैं। हालाँकि, पार्टी नेताओं ने उन पर पूर्ण विश्वास जताया और उनसे संगठनात्मक चुनाव पूरे होने तक पार्टी की कमान सँभालने का आग्रह किया। अधीर रंजन चौधरी, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल और दिनेश गुंडू राव समेत कई कॉन्ग्रेस नेताओं ने इसकी पुष्टि की और कहा कि सोनिया गाँधी के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस 2024 का चुनाव लड़ेगी। कई नेताओं ने एक बार फिर राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाए जाने की भी माँग की।

चुनाव के नतीजों को स्वीकार करते हुए कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं और देशवासियों को भरोसा दिलाया कि वह एक सतर्क और जीवंत विपक्ष बनी रहेगी। कहा, “कॉन्ग्रेस पार्टी 2022 और 2023 के साथ-साथ 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।” 

बैठक में पाँच राज्यों में हुई हार पर प्रभारियों और पर्यवेक्षकों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें हार के कारणों, खामियों और क्या खोया, क्या पाया, इसकी जानकारी दी गई। हार से कैसे उबरा जाए और जनता तक अपनी बात कैसे पहुँचाए, इस पर गुलाम नबी आजाद और दिग्विजय सिंह ने अपनी बात रखी। 

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा और मणिपुर में कॉन्ग्रेस का बुरा हाल रहा तो वहीं पंजाब में उसने बुरे प्रदर्शन के साथ सत्ता गँवा दी। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गाँधी ने चुनाव प्रचार की कमान सँभाली थी, लेकिन कॉन्ग्रेस को महज दो सीटें ही जीत पाई। यूपी की 380 सीटों पर कॉन्ग्रेस प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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