दिल्ली में हुए दंगों पर राज्यसभा में गुरुवार (मार्च 12, 2020) को जोरदार बहस हुई। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली दंगों पर विपक्ष के सवालों के जवाब दिए। राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में गहरी साजिश के तहत दंगा कराया गया। उन्होंने कहा कि कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स ने दंगे के दौरान सिर्फ नफरत फैलाने का काम किया।
शाह ने कहा कि कुछ सोशल मीडिया अकाउंट ऐसे थे जो दंगों से पहले शुरू किए गए और हिंसा के बाद बंद कर दिए गए। इनसे दंगा, नफरत और घृणा फैलाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि ये लोग भी कहीं बैठे होंगे और मेरी बात सुन रहे होंगे, उनको लगता है कि वो बच गए, तो वे गलत हैं। ये डिजिटल युग है। हम दंगा भड़काने के लिए फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाने वालों को पाताल से भी खोजकर निकालेंगे और कानून के कठघरे में खड़ा करेंगे। आज के युग में ऐसे लोग बच नहीं सकते हैं।
उन्होंने कहा, “दिल्ली में हुए दंगों की जाँच पड़ताल में सोशल मीडिया में 60 ऐसे अकाउंट मिले हैं जो 22 फरवरी को शुरू हुए और 26 फरवरी को बंद हो गए। अगर ये लोग सोचते हैं कि अकाउंट बंद करके वो बच जाएँगे तो मैं बता दूँ कि वो जहाँ पर भी हैं पुलिस उनको ढूँढ निकालेगी।”
इसके साथ ही उन्होंने दंगाइयों की संपत्ति जब्त करने की भी बात कही। उन्होंने कहा, “दंगे में जनता का बहुत नुकसान हुआ है, संपत्ति तबाह हुई है। हमने दिल्ली उच्च न्यायालय को Claim Commission के गठन के लिए पत्र लिखा है। जिन लोगों ने सार्वजनिक संपत्ति तबाह की, गाड़ियाँ और दुकानें जलाई, उन सभी को वीडियोग्राफी के आधार पर पकड़ कर उनकी संपत्ति को जब्त किया जाएगा।”
गृह मंत्री ने कहा, “मैं दिल्ली हिंसा पर बात करते हुए इसकी पृष्ठभूमि में जाना चाहूँगा। इस हिंसा के पीछे दिल्ली में चल रहे सीएए विरोधी प्रदर्शनों की भी भूमिका रही है। दिल्ली हिंसा से जुड़े हर पहलू की जाँच जारी है। मैं दंगा पीड़ितों के परिजनों को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि इस हिंसा में शामिल किसी भी साजिशकर्ता को बख्शा नहीं जाएगा। चाहे किसी भी धर्म, जाति या राजनीतिक पार्टी के हों।”
इसके साथ ही अमित शाह ने विपक्षों के सवाल का जवाब देते हुए कहा, “किसी की जान चली गई, कोई अपाहिज हो गया, किसी का घर जल गया और आप निजता की बात करते हो? पुलिस को यह अधिकार होना चाहिए कि जिसने दंगा किया है, उसको कोर्ट के सामने खड़ा करे और कठोर से कठोर सजा दी जाए। हमने किसी की निजता का कोई उल्लंघन नहीं किया है।”
इस दौरान दंगों में हुई मौतों का आँकड़ा धर्म के आधार पर माँगने पर प्रतिक्रिया देते हुए अमित शाह ने कहा, “मैं दंगों में हुए नुकसान का आँकड़ा तो दे सकता हूँ, लेकिन उसमें हिन्दू-मुस्लिम नहीं कर सकता। आपको भी ऐसा नहीं करना चाहिए। दंगों में जिनका नुकसान हुआ वे सभी भारतीय हैं। जो लोग धर्म के आधार पर आँकड़ा माँग रहे हैं, मैं उनको बताना चाहता हूँ कि 52 भारतीयों की मृत्यु हुई है, 526 भारतीय घायल हुए, 371 भारतीयों की दुकानें जली और 142 भारतीयों के घर जले हैं। ऐसे समय पर सदन में ऐसी राजनीति करना बहुत दुखद है। ओवैसी जी बड़े जुनून के साथ कहते हैं कि मस्जिद जल गए। ओवैसी जी, मंदिर भी जले हैं। तनिक उसके लिए भी दुख व्यक्त कर लीजिए। मैं मंदिर और मस्जिद दोनों के लिए दुख व्यक्त करता हूँ। कोई भी धर्मस्थान नहीं जलना चाहिए।”
इस दौरान उन्होंने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जी ने 27 को कहा कि सेना को बुला लीजिए। इसका कोई अर्थ नहीं था क्योंकि तब तक दंगे शांत हो चुके थे। पर उनकी भावनाओं को मैं समझ सकता हूँ क्योंकि उनके पार्षद के घर से ढेर सारी चीजें पकड़ी गई, उनको सस्पेंड करना पड़ा।”
बता दें कि आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन पर आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की मौत का आरोप है। दंगे के बाद हुई जाँच में ताहिर हुसैन की छत से बड़ी संख्या में पेट्रोल बम, तेजाब ईंंट-पत्थर वगैरह बरामद हुए थे। इस दंगे में हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गृह मंत्री ने कहा कि दोनों जाँबाज अफसर अंकित शर्मा और रतनलाल की हत्या करने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि ISIS से संबंध रखने वाले दो लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। ये लोग ISIS से आने वाली सामग्री का भारतीय भाषा में अनुवाद कर नफरत फैलाने का काम करते थे।