दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (22 मार्च, 2024) को कॉन्ग्रेस की वो याचिका ठुकरा दी, जिसमें 3 वर्षों (2014-17) की आयकर की कार्यवाही की पुनः समीक्षा को चुनौती दी गई थी। बता दें कि इनकम टैक्स विभाग ने ये जाँच शुरू की है। जस्टिस यशवंत वर्मा और पुरुषेंद्र कुमार कौरव की पीठ ने की पीठ ने ये फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने इस मामले में 20 मार्च को ही फैसला सुरक्षित रख लिया था। कॉन्ग्रेस की तरफ से पार्टी नेता अभिषेक मनु सिंघवी बतौर वकील पेश हुए।
वहीं IT विभाग की तरफ से वकील ज़ोहेब हुसैन ने दलीलें पेश की। कॉन्ग्रेस ने पार्टी की आयकर प्रक्रियाओं की पुनः समीक्षा के खिलाफ रुख अपनाया है। पार्टी की दलील है कि आयकर विभाग बाध्य है कि वो 6 वर्ष की सीमा से पहले की कार्यवाही का पुनर्मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, इनकम टैक्स विभाग का कहना है कि उसने अपने अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं किया है। IT विभाग का कहना है कि जो दस्तावेज जब्त हुए हैं, उससे पता चलता है कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने 520 करोड़ रुपए की कमाई छिपाई।
वहीं इस महीने की शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘आयकर अपीलीय अधिनियम (ITAT)’ के आदेश को सही ठहराया था और कॉन्ग्रेस पार्टी की ये माँग रद्द कर दी थी कि 100 करोड़ रुपए से भी अधिक के बकाए की रिकवरी वाली नोटिस पर रोक लगाई जाए। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि आईटी डिपार्टमेंट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार उन्हें नज़र नहीं आता है। हालाँकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने कॉन्ग्रेस को ये छूट दी है कि परिस्थितियों के बदलने की स्थिति में वो पुनः फिर ITAT के पास जाए।
Delhi High Court rejects Congress petitions against tax reassessment proceedings#DelhiHighCourt #Congress @INCIndia
— Bar & Bench (@barandbench) March 22, 2024
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आयकर विभाग ने टैक्स ट्रिब्यूनल को बताया है कि बीते वित्तीय वर्ष में कॉन्ग्रेस ने 1000 करोड़ रुपए का कैश होने की घोषणा की थी। इसके अलावा पार्टी ने अपने पास 340 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति होने की बात भी बताई थी। देश भर में कॉन्ग्रेस पार्टी के कई बैंक खाते हैं। वहीं पार्टी आरोप लगा रही है कि उसके बैंक एकाउंट्स फ्रीज कर लिए गए हैं, ऐसे में उसके पास चुनाव लड़ने के लिए फंड ही नहीं है। कॉन्ग्रेस पार्टी को आयकर विभाग को ब्याज समेत 135 करोड़ रुपए बकाए का भुगतान करना है।