Friday, November 15, 2024
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‘राम’ को इलाहबाद चुनाव में उताकर कॉन्ग्रेस ने किया था वोटर की धार्मिक भावनाओं से खेलने का प्रयास

दूरदर्शन पर 1988 में प्रकाशित इस इंटरव्यू में वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, चौधरी अजीत सिंह और पत्रकार विनोद दुआ मौजूद हैं चर्चा के दौरान कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद कह रहे हैं- “वीपी सिंह जी जब मुम्बई में थे तो वो कई दिन से उन्हें अपनी तरफ घुमाने का प्रयास कर रहे थे। और जब उन्होंने कैम्पेन करने से इनकार कर दिया तब वीपी सिंह ने बयान दिया था कि ये राम नहीं रावण है।"

21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान आजकल दूरदर्शन चैनल पर 80 के दशक के मशहूर धारावाहिक रामायण और महाभारत एक बार फिर चर्चा का विषय हैं। लेकिन इसके साथ ही इन धारावाहिक के बनने के पीछे की राजनीति और कॉन्ग्रेस की मंशा पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। खास बात यह है कि जिस चर्चा को हवा कॉन्ग्रेस के ही वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने दी थी, उसे अब अंजाम तक बाकी लोग पहुँचा रहे हैं।

हाल ही में दूरदर्शन चैनल पर रामानंद सागर द्वारा निर्मित रामायण के प्रसारण की घोषणा के बाद कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर कहा था कि रामायण धारावाहिक बनाने के लिए राजीव गाँधी ने ही रामानन्द सागर को कहा था। जिस पर उनकी खूब खिंचाई भी हुई थी। हो सकता है कि दिग्विजय सिंह सच ही कह रहे हों क्योंकि दूरदर्शन का ही एक पुराना वीडियो सामने आने से यह स्पष्ट हो जाता है कि किस प्रकार से कॉन्ग्रेस ने निरंतर देश के मनोरंजन के साधनों से लेकर हर ऐसी चीज को कॉन्ग्रेस के पक्ष में इस्तेमाल किया, जिसका वो राजनीतिक लाभ उठा सकते थे।

दूरदर्शन पर 1988 में प्रकाशित इस इंटरव्यू में वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, चौधरी अजीत सिंह और पत्रकार विनोद दुआ मौजूद हैं चर्चा के दौरान कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद कह रहे हैं- “वीपी सिंह जी जब मुम्बई में थे तो वो कई दिन से उन्हें अपनी तरफ घुमाने का प्रयास कर रहे थे। कई दफा उनके पास आदमी भेजे गए कि आप इलाहाबाद आकर हमारे लिए कैम्पेन करिए। और जब उन्होंने कैम्पेन करने से इनकार कर दिया तब वीपी सिंह ने बयान दिया था कि ये राम नहीं रावण है। और इस चीज को मानकर वो वहाँ उनके खिलाफ प्रचार करने आए थे।”

1988 के इस वीडियो में चुनावी चर्चा में बताया जा रहा है कि कॉन्ग्रेस ने अरुण गोविल, जिन्होंने कि रामायण सीरियल में राम का किरदार निभाया था, की लोकप्रियता को अपने पक्ष में भुनाने का प्रयास किया था। इस चर्चा में प्रयागराज (तब – इलाहाबाद) लोकसभा उपचुनाव में कहा जा रहा है – “राम के किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को इलाहाबाद भेजा जाए। उनकी क्या छवि थी? क्या वोटर ऐसे झाँसों में आ जाता है? और ऐसे ही प्रेरित होकर वोट दे देगा कॉन्ग्रेस को?”

इस वक्तव्य में गुलाम नबी आजाद यह स्वीकारते हुए देखे जा सकते हैं कि कॉन्ग्रेस ने रामायण के पात्र का इस्तेमाल एक कलाकार के रूप में नहीं बल्कि ‘राम’ के रूप में करना चाहती थी ताकि लोग वीपी सिंह के खिलाफ मतदान कर सकें। कॉन्ग्रेस के लिए प्रचार करते समय रामायण के पात्र ने यह कहते हुए प्रचार किया था कि भगवान राम का नाम लेकर कॉन्ग्रेस को वोट करें।”

दरअसल, यह तब का किस्सा है जब विश्वनाथ प्रताप सिंह के कॉन्ग्रेस से बाहर आने का दौर था। वह दौर जिसमे वी पी सिंह ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देकर इलाहाबाद से फिर से चुनाव लड़ा था, जिसमे कॉन्ग्रेस ने तब के ‘राम’ अरुण गोविल को उनके खिलाफ खड़ा कर दिया था। देखा जाए तो आज के समय सेक्यूलरिज़्म का लिबास ओढ़ने वाली कॉन्ग्रेस ने भारतीय राजनीति में ‘राम’ की असली एंट्री इस समय की थी।

यह सब उस समय घटित हो रहा था जब शाह बानो केस में मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण राजीव गाँधी को अपनी छवि कमजोर होती नजर आई थी। राम और रामायण को इसी भरपाई के उद्देश्य से कॉन्ग्रेस ने इस्तेमाल करने की कोशिश की थीं।

रामायण के पुनः प्रसारण पर अरुण गोविल की अपील – घर पर रहिए और मोदी की बात मानिए

रामायण में भगवान राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल ने एक छोटे से वीडियो के जरिए लोगों से 21 दिन तक अपने घरों में रहने, अपने हाथ साफ करने और कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव की सलाह दी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देशवासियों को इस समय पीएम मोदी के दिशानिर्देश का पालन करना चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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