कल सुबह से सोशल मीडिया पर एक खबर नाच रही है, और हमारे भोले-भाले तथाकथित ‘राईट-विंग’ वाले उस पर ख़ुशी में नाच रहे हैं, जबकि उन्हें कायदे से दुश्चिंता में डूब जाना चाहिए।
खबर यह है कि फेसबुक ने हिंदुस्तान में 1,000 से अधिक पेजों, ग्रुपों आदि को हटा देने की घोषणा की। इनमें से दो-तिहाई से अधिक (687/1023) पर फेसबुक ने कॉन्ग्रेस आईटी सेल से जुड़े होने का आरोप लगाया, 15 को फेसबुक ने भाजपा आईटी सेल का मुखौटा बताया, और 321 पर अनचाहे सन्देश भेजने (spamming) का आरोप था।
इस पर ‘राष्ट्रवादियों’ की सेना ने ऐसे जश्न मनाना शुरू कर दिया है जैसे मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक मुख्यालय को कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली से उठाकर भाजपा मुख्यालय के बेसमेंट में फोटोकॉपी वाले के बगल में लगा दिया है।
जबकि सच्चाई ठीक उलटी है- कॉन्ग्रेस/वामपंथियों को टिपली मारकर यह या तो दक्षिणपंथियों के मुँह पर हथौड़ा मारने का मंच तैयार हो रहा है, और या फिर उससे भी चिंताजनक (क्योंकि देश भाजपा-कॉन्ग्रेस से ज्यादा जरूरी है) निहितार्थ यह होगा कि फेसबुक हिंदुस्तान के चुनावों और राजनीतिक संवाद का चौधरी बनना चाहता है।
पेज हटाने के पीछे के कारण प्रश्नवाचक
कॉन्ग्रेस के पेजों को ‘अप्रमाणिक व्यवहार’ (Inauthentic behavior) के नाम पर हटाया। साथ ही इस शब्द से फेसबुक का तात्पर्य क्या है, इसके उदाहरण के तौर पर जिन पोस्ट्स के कारण कॉन्ग्रेस-समर्थक एकाउंट्स को बंद किया है, उनमें से कुछ दिखाए।
यह पोस्ट्स कॉन्ग्रेस के भाजपा के खिलाफ राजनीतिक दुष्प्रचार का हिसा जरूर हैं, पर इनमें ‘फेक न्यूज़’ (जिसे कि रोकना फेसबुक से अपेक्षित है) जैसा कुछ नहीं है- राहुल गाँधी ने ₹72,000 देने का वादा बिलकुल किया था (हालाँकि इसमें कोई दो-राय नहीं कि कॉन्ग्रेस के भीतर ही इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं कि यह राशि किसे, कब, कैसे दी जाएगी, पर यह नीतिगत विफलता है, फेक न्यूज़ नहीं)।
यह भी तथ्य है कि मोदी और जेटली समेत पूरी-की-पूरी भाजपा इस अजीब योजना के खिलाफ हैं- यह तथ्य कहना किसी भी प्रकार से ‘Inauthentic behavior’ कैसे हो गया?
और कॉन्ग्रेस के ये फुटकर पेज हटाने की सीढ़ी पर खड़े होकर फेसबुक ने इसी बहाने भाजपा के समर्थक बड़े-बड़े पेजों पर भी झाड़ू चला दी। The India Eye नामक एक ही हटाए हुए फेसबुक पेज का उदहारण लें तो 20 लाख से ज्यादा followers वाले इस एक पेज का हटना दक्षिणपंथियों के लिए ज्यादा नुकसानदेह साबित हुआ, बजाय कॉन्ग्रेस के कमज़ोर 600+ पेजों के हट जाने के।
इसके अलावा फेसबुक ने मीडिया आउटलेट्स को भी निशाना बनाने की कोशिश की। खबरिया पोर्टल My Nation का पेज हटने की बात कुछ मीडिया रिपोर्ट्स से लेकर स्वराज्य पत्रिका से जुड़े रहे रक्षा विश्लेषक अभिजीत अय्यर-मित्रा ने कही।
1n As if on cue, @Facebook have deleted hundreds of right wing accounts including MYNATION. I am consulting with my lawyers if there is grounds to file a case of treason (punishable by death) against Facebook for election manipulation https://t.co/H3qiT4QjRS
— Abhijit Iyer-Mitra (@Iyervval) April 1, 2019
पर इसी मुद्दे पर खुद My Nation की खबर में अपने पेज के हटाए जाने का जिक्र नहीं है। इसके अलावा My Nation से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार सुरजीत दासगुप्ता ने भी सोशल मीडिया पर इस बारे में कुछ नहीं बोला है।
दण्ड जनता या चुनाव आयोग को देना चाहिए, फेसबुक कौन होता है?
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विश्वासमत हारने के बाद के अपने मशहूर भाषण में कहा था कि पार्टियाँ बनेंगी-बिखरेंगी, सरकारें आएँगी-जाएँगी, पर यह देश जीवित रहना चाहिए, इस देश का लोकतंत्र जीवित रहना चाहिए। और कॉन्ग्रेस के पेजों का इस तरह से, इस गलत आधार पर सफाया इस देश के लोकतंत्र के लिए कतई सही नहीं है।
कॉन्ग्रेस बेशक भाजपा के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है, पर वह सामान्य राजनीतिक संवाद का हिस्सा है- सभी पार्टियाँ, और भाजपा कोई अपवाद नहीं है, अपनी योजनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखातीं हैं और विरोधियों पर कीचड़ उछालतीं हैं। दुनिया के सबसे बड़े, जीवंत लोकतंत्र में रहने की यह बहुत छोटी-सी कीमत है।
और अगर उसकी नीतियाँ गलत हैं तो यह आने वाले चुनावों में जनता तय कर देगी। अगर वह चुनाव के नियमों का उल्लंघन कर रही है तो उसे सजा सुनाने के लिए चुनाव आयोग और अदालत है, और अदालत की बात न मानने वालों के लिए पुलिस और सेना हैं।
इन सबके बीच में फेसबुक को चौधराहट फैलाने के लिए किसने आमंत्रित किया है? फेसबुक को जिस चीज़ पर असल में अपनी तरफ से रोक लगाने का प्रयास करना चाहिए, यानि तथ्यात्मक रूप से फर्जी फेक न्यूज़, उसमें तो वह लगातार नाकाम साबित हो रही है। और अब वह इसे छुपाने के लिए (और या फिर हिंदुस्तान की सियासत में अपना दखल बढ़ाने के लिए?) हमारे देश के राजनीतिक संवाद की पुलिसिंग कर रही है।