अपने बच्चों के लिए तो मॉं सुपर मॉम होती हैं। लेकिन, ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कोई महिला देश के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करते-करते सुपर मॉम का दर्जा हासिल कर ले। लेकिन, वह अलग ही मिट्टी की बनी थी। विदेश मंत्री बनीं तो कहा कि अग़र आप मंगल ग्रह पर भी फँस गए तो भी भारतीय दूतावास आपकी मदद करेगा। हाल में कोरोना वायरस से घिरे चीनी शहर वुहान से भारतीय छात्रों को निकालना इसी रीति-नीति का हिस्सा था।
हम बात कर रहे है देश की विदेश मंत्री रहीं दिवंगत सुषमा स्वराज का, जिनका आज जन्मदिन है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री रहीं सुषमा ने दूर-दराज देशों में फँसे अपने लोगों को भारत वापसी करवाने में अहम भूमिका निभाई थी। चाहे वह पाकिस्तान से गीता की वापसी हो या फिर युद्धग्रस्त यमन से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए भी वे लोगों की मदद के लिए तत्पर रहती थीं। इसी सक्रियता के कारण ही वॉशिंगटन पोस्ट ने उन्हें ‘सुपर मॉम’ के नाम से नवाजा था।
एक प्रखर वक्ता से कुशल राजनेत्री का सफर तय करने वाली पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 25 साल की उम्र में ही विधायक बन गईं थीं। जब 1977 में जॉर्ज फर्नांडीस ने जेल से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन भरा तो सुषमा ही दिल्ली से मुजफ्फरपुर पहुॅंचीं और हथकड़ियों में जकड़ी जॉर्ज की तस्वीर दिखा प्रचार किया। उन दिनों ‘जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा’ का उनका दिया नारा सबकी ज़ुबान पर था। हालांकि वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके दिखाए मार्गों पर आज भी देश उसी संकल्प के साथ चल रहा है, जो सुषमा ने अपने जीते जी लिए थे।
उनके लिए संकल्प का असर पिछले दिनों बखूबी देखने को मिला कि जब वुहान में फँसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाला गया। वहीं पाकिस्तान ने अपने छात्रों को उनके हाल पर छोड़ दिया। हाल ही में इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें एक पाकिस्तानी छात्र कहता सुनाई पड़ रहा था, “ये भारतीय छात्र हैं और ये बस इन्हें लेने आई है, जो इनके दूतावास ने भेजी है। वुहान की यूनिवर्सिटी से इस बस से इन छात्रों को एयरपोर्ट ले जाया जाएगा और वहाँ से फिर इन्हें इनके घर पहुँचाया जाएगा। बांग्लादेश वाले भी आज रात यहाँ से ले जाए जाएँगे। एक हम पाकिस्तानी हैं, जो यहाँ पर फँसे हैं। जिनकी सरकार कहती है कि आप मरो या जियो, हम आपको नहीं निकालेंगे। शेम ऑन यू पाकिस्तान, सीखो भारत से कुछ सीखो।”
Pakistani student in Wuhan shows how Indian students are being evacuated by their govt. While Pakistanis are left there to die by the govt of Pakistan: pic.twitter.com/86LthXG593
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) February 1, 2020
सुषमा के जन्मदिवस से एक दिन पूर्व यानी 13 फरवरी को भारत सरकार ने प्रवासी भारतीय केंद्र और विदेशी सेवा संस्थान का नाम बदलकर दिवंगत सुषमा स्वराज के नाम पर रखने की घोषणा की थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि, सरकार ने प्रवासी भारतीय केंद्र का नाम सुषमा स्वराज भवन और विदेशी सेवा संस्थान का नाम सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन सर्विस रखने का फैसला किया है। एक महान शख्सियत को दी गई श्रद्धांजलि हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
We all fondly remember Smt Sushma Swaraj, who would have turned 68 tomorrow. The #MEA family misses her in particular.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 13, 2020
बीते साल अनंत यात्रा पर निकलने से महज तीन घंटे पहले उनके द्वारा अनुच्छेद 370 हटाने पर किया गया आखिरी ट्वीट यह दर्शाता है कि, अपने विचारों के प्रति सुषमा स्वराज कितनी प्रतिबद्ध थीं। खराब स्वास्थ्य के कारण वो भले कुछ दिनों से सक्रिय राजनीति से दूर थीं, लेकिन वह अपने विचारों को लेकर अंतिम क्षण तक सक्रिय बनी रहीं थीं। उन्होंने अपने आखिरी ट्वीट में कहा था, “प्रधानमंत्री जी-आपका हार्दिक अभिनंदन। मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।”
प्रधान मंत्री जी – आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी. @narendramodi ji – Thank you Prime Minister. Thank you very much. I was waiting to see this day in my lifetime.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) August 6, 2019
इस ट्वीट के करीब तीन घंटे बाद ही 6 अगस्त 2019 को भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का 67 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके द्वारा किए गए कार्यों को देश हमेशा याद रखेगा। इस साल गणतंत्र दिवस पर सुषमा स्वराज को मरणोपरांत पद्म विभूषण से नवाजा गया। उनके साथ यह सम्मान जॉर्ज फर्नांडीस को भी मिला, जिनकी हथकड़ी लगी तस्वीरें लेकर कभी वे मुजफ्फरपुर गई थीं।