बिहार सरकार ने 27 अपराधियों को रिहा करने की एक सूची जारी की है। इसमें एक नाम पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह का भी है। वे गोपालगंज के डीएम रहे जी कृष्णैया की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। उनकी रिहाई के लिए राज्य सरकार ने 10 अप्रैल 2023 को को जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 में संशोधन किया था। आनंद मोहन के बेटे चेतन बिहार की महागठबंधन सरकार के साझीदार राजद के विधायक हैं।
आनंद मोहन की रिहाई पर जी कृष्णैया की विधवा उमा देवी ने निराशा जताई है। उन्होंने कहा है, “मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। उसने एक ईमानदार अधिकारी को मारा था। उसको जैसी सजा मिलनी चाहिए, वो नहीं मिली। उसकी रिहाई का सबको विरोध करना चाहिए।” साथ ही उन्होंने इस फैसले के लिए बिहार की जातीय राजनीति को भी जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा, “बिहार में जाति की राजनीति है। वह (आनंद मोहन) राजपूत है। राजपूतों का वोट पाने के लिए उसे जेल से छोड़ा जा रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो एक अपराधी को बाहर लाने की क्या जरूरत थी।”
#WATCH | We are not happy, we feel it is wrong. There is caste politics in Bihar, he is a Rajput, so he will get Rajput votes and that is why he is being taken out (from jail), otherwise, what is the need of bringing a criminal. He will be given election ticket so that he can… pic.twitter.com/dfWgGZ5KEx
— ANI (@ANI) April 25, 2023
क्यों हुई थी जी कृष्णैया की हत्या
आनंद मोहन और जी कृष्णैया की हत्या की कहानी जानने से पहले आपको गैंगस्टर कौशलेंद्र शुक्ला उर्फ छोटन शुक्ला के बारे में जानना चाहिए। छोटन शुक्ला को इस दुनिया से गए 28 साल से भी अधिक समय हो चुका है। उसकी हत्या किसने की यह आज भी कोई नहीं जानता।
दरअसल, 4 दिसंबर 1994 की रात मुजफ्फरपुर में छोटन शुक्ला की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी। छोटन के साथ उसकी कार में सवाल 4 अन्य लोग भी मारे गए थे। माना जाता है कि छोटन शुक्ला की हत्या लालू यादव और आनंद मोहन के बीच छिड़ी जंग की वजह से हुई थी। इसलिए छोटन की हत्या का बिहार की राजनीति पर बहुत बड़ा असर हुआ। आनंद मोहन की BPP (बिहार पीपुल्स पार्टी) से छोटन शुक्ला केसरिया से विधानसभा चुनाव भी लड़ने वाला था।
छोटन शुक्ला की हत्या के अगले ही दिन यानी 5 दिसंबर 1994 को लोग मुजफ्फरपुर की सड़कों पर उतर आए। उसके समर्थक शव के साथ ही प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान मुजफ्फरपुर के रास्ते पटना से गोपालगंज जा रहे थे दलित अधिकारी जी. कृष्णैया। वे उस समय गोपालगंज के कलेक्टर होते थे। भीड़ ने मुजफ्फरपुर के खबड़ा गाँव में उनकी गाड़ी पर हमला कर दिया। पहले भीड़ ने कृष्णैया को कार से बाहर निकाला। फिर उनकी जमकर पिटाई की। इसके बाद कथित तौर पर भुटकुन शुक्ला ने गोली मारकर उनके जिंदा रहने की संभावना पर विराम लगा दिया।
छोटन शुक्ला की शव यात्रा का नेतृत्व आनंद मोहन, उनकी पत्नी और वैशाली की पूर्व सांसद लवली आनंद, छोटन शुक्ला का भाई और विधायक मुन्ना शुक्ला, विक्रमगंज का पूर्व विधायक अखलाक अहमद, शशिशेखर और अरुण कुमार सिन्हा कर रहे थे। इन लोगों पर डीएम की हत्या के लिए भीड़ को उकसाने का आरोप था। हाजीपुर पहुँचने से पहले आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद को गिरफ्तार कर लिया गया।
कलेक्टर की हत्या के आरोप में पटना की निचली अदालत ने साल 2007 में आनंद मोहन को फाँसी की सजा सुनाई थी। लेकिन इसके बाद पटना हाई कोर्ट ने उनकी सजा को उम्र कैद में बदल दिया। उम्र कैद काटने की सजा होने के बाद भी आनंद मोहन पेरोल पर जेल से बाहर आते रहे हैं। अभी भी वे पेरोल पर ही बाहर हैं।
#WATCH | "I will go for parole surrender and complete all the formalities and procedures of the jail. I will go back today itself, I have to reach there by tomorrow morning," says former MP & murder convict Anand Mohan Singh as he leaves from Patna for Saharsa for surrender… pic.twitter.com/atrCSYpcRa
— ANI (@ANI) April 25, 2023
अब जेल से रिहाई पर बिहार सरकार के फैसले को लेकर आनंद मोहन का जवाब भी सुन लीजिए। न्यूज एजेंसी एएनआई के पत्रकार ने उनसे पूछा कि जो पहले वाले आनंद मोहन थे और बाहर निकलने वाले आनंद मोहन में क्या कोई बदलाव देखने को मिलेगा। आनंद मोहन का जवाब था, “देखिए नेचर और सिग्नेचर…”