2007 में एक फिल्म आई थी। नाम था रामगोपाल वर्मा की आग। शोले से प्रेरित इस फिल्म पर बात करना वक्त और की बोर्ड के टिकटिक की बर्बादी ही है। फिर आप पूछेंगे कि मैंने इसका जिक्र क्यों किया?
असल में कॉन्ग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर जो कुछ चल रहा है उसे सहज तरीके से समझाने के लिए मुझे इस फिल्म से बेहतर कुछ नहीं मिला। जैसे उस फिल्म से बड़े नाम जुड़े थे पर जब पर्दा उठा तो धुआँ ही धुआँ था, वैसे ही कॉन्ग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर दिख रही रस्साकशी से जब भी पर्दा उठेगा तो गाँधी ही निकलेंगे। या तो कुर्सी पर बैठा गाँधी या फिर पर्दे के पीछे से कुर्सी को नचाता गाँधी। ठीक वैसे ही जैसे 2004-14 तक पीएम की कुर्सी नाचती रही।
यही कारण है कि एक तरफ सूत्रों ने यह खबर उड़ाई कि सोनिया गॉंधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है, अगले पल आधिकारिक तौर पर रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आकर इसका खंडन कर दिया। वैसे, यह कोई नई बात नहीं है। ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब प्रियंका गाँधी ‘गैर गॉंधी अध्यक्ष’ वाले इंटरव्यू को लेकर चर्चा में थीं। फिर सुरजेवाला ने इसे साल भर पुरानी बात कह इसकी हवा निकाल दी।
Reports of Sonia Gandhi resigning from the post of Congress interim president are false: Randeep Singh Surjewala, Congress spokesperson to ANI (file pic) pic.twitter.com/mBhOLLaYd0
— ANI (@ANI) August 23, 2020
क्या बिना इशारों के सुरजेवाला ने यह क्या होगा? क्या बिन इशारों के ही सूत्रों ने इस्तीफे की खबर उड़ा दी होगी?
सोमवार (24 अगस्त 2020) को कॉन्ग्रेस कार्यसमिति की बैठक है। अप्रसांगिक हो चुकी कॉन्ग्रेस की इस बैठक को चर्चा में रखने के लिए पहले एक पत्र की बात सामने आई। पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं जिनमें 5 पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं, के इस पत्र में पार्टी में बड़े बदलावों की पैरोकारी की गई। इसके बाद सूत्रों के हवाले से दिनभर मीडिया गिरोह दावे करती रही। कभी सोनिया के इस्तीफे की तो कभी दलित को पार्टी का अगला अध्यक्ष बनाने की।
Where the fight is to save ethos of democracy, she has always taken challenges head-on. But if she has made up her mind-I believe Rahul Gandhi should come ahead & be the Congress President: Rajasthan CM Ashok Gehlot https://t.co/jw97unTGeE
— ANI (@ANI) August 23, 2020
पर आधिकारिक रूप से जो नेता सामने आए उन्होंने या तो सोनिया के इस्तीफे का खंडन किया या फिर यह कहा कि यदि सोनिया नहीं चाहतीं तो राहुल गाँधी को यह जिम्मेदारी सँभालनी चाहिए। ध्यान रखने की बात यह है कि पत्र लिखने वालों से लेकर सार्वजनिक तौर पर बयान देने वाले ये वही कॉन्ग्रेसी हैं, जो पिछले साल राहुल गाँधी के इस्तीफे बाद उनसे इसे वापस लेने की चिरौरी कर रहे थे। मान-मनौव्वल के बाद भी जब वे नहीं माने तो अध्यक्ष चुनने के नाम पर सोनिया गाँधी के तौर पर अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया। जबकि उस समय राहुल ने स्पष्ट शब्दों में परिवार के बाहर के किसी सदस्य को पार्टी का अध्यक्ष चुनने की पैरोकारी थी।
लेकिन, पूरी पार्टी ने ही इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। स्पष्ट है कि कॉन्ग्रेस में किसी को गैर गाँधी नहीं चाहिए। सबके निजी हित हैं और इसी से प्रेरित हो वे सक्रिय होते हैं। मसलन, मल्लिकार्जु्न खड़गे का राज्यसभा में होना गुलाम नबी आजाद से लेकर आनंद शर्मा तक के हित प्रभावित करता है। सो, आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि 23 नेताओं में आजाद का भी नाम है।
If someone is asking him (Rahul Gandhi) to come back as the party president, it is for him to decide. Whoever is wanting him to be the party president, I will join my voice. I hope that he will decide that he will be the party president again: Salman Khurshid, Congress pic.twitter.com/xY9yRR7Drz
— ANI (@ANI) August 23, 2020
जवाहर लाल नेहरू ने कहा था, “तेजी से बदलती दुनिया में दिमाग के जड़ हो जाने और मुगालते में रहने से ज्यादा खतरनाक कोई चीज नहीं है।” 2014 और 2019 के चुनावी सफाए ने कॉन्ग्रेस के दिमाग को ही जड़ नहीं किया है, बल्कि जमीन पर भी उसका जड़ साफ हो चुका है। पर चूॅंकि कॉन्ग्रेसियों से बेहतर मुगालते में रहने की कला कोई जानता नहीं तो समय-समय पर पार्टी-संगठन के नाम पर आपस में ही हुतूतू खेल वे जड़ की ओर लौट जाते हैं।
Congress MP B Manickam Tagore writes to Congress president Sonia Gandhi requesting her to continue as the party chief. “We would like to reiterate our complete & unwavering faith in your leadership. Congress party is only safe in your hands or in those of Rahul ji’s,” he writes. pic.twitter.com/iuxbREykWs
— ANI (@ANI) August 23, 2020
या जैसा कि प्रवीण झा लिखते हैं, “मेरे दफ्तर में एक बुजुर्ग हैं, लोग उम्र का सम्मान देते हैं और जब कभी उनको अपने सम्मान में कमी या फिर कोई खरोंच लगती तो वे कहने लगते- मैं छोड़ दूॅंगा सब, अपना देखे कंपनी! इससे थोड़े दिन के लिए फिर से लोग उनको भाव देने लगते।”
यह भाव पाने से ज्यादा परिवार के प्रति वफादारी साबित करने में बीस पड़ने का खेल है। मौका मिले तो मुखौटा बनने की रेस में सबसे आगे होने की दौड़ है।
Entire Congress in Karnataka stands by leadership of Sonia Gandhi & the Gandhi family. She has led Congress during times of crisis & saved our party. Anything that has to be discussed must be done so in the party forum & not in the media: Karnataka Congress chief DK Shivakumar pic.twitter.com/6r7VvyCf5B
— ANI (@ANI) August 23, 2020