सामान्य वर्ग (आर्थिक रूप से कमजोर) आरक्षण बिल के तहत शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में मिलने वाले आरक्षण को गुजरात सरकार ने लागू कर दिया है। इस फैसले के साथ ही गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है, जहाँ पर सामान्य वर्ग आरक्षण बिल को सबसे पहले लागू किया गया हो।
राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने रविवार (जनवरी 13, 2019) को ट्वीट के जरिए इस बात की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि 14 जनवरी 2019 को मकर संक्रांति के अवसर पर आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों के लिए लाए गए आरक्षण बिल को सभी सरकारी नौकरियों में और उच्च शिक्षा में लागू कर दिया जाएगा।
Happy to state that the Government Of Gujarat has decided to implement 10% EWS reservation benefits from 14th January, 2019. It will be implemented in all ongoing recruitment process too wherein there is only Advertisement published but first stage of examination is yet to held.
— Vijay Rupani (@vijayrupanibjp) January 13, 2019
सीएम रूपानी ने कहा है कि आने वाली सभी सरकारी नियुक्तियों में और शिक्षा के क्षेत्र में 10 प्रतिशत आरक्षण को लेकर फायदा उठाया जा सकेगा।
आरक्षण की नई व्यवस्था उन दाखिलों और नौकरियों पर भी लागू की जाएगी, जिनका विज्ञापन 14 जनवरी से पहले जारी तो हुआ हो, लेकिन उसकी वास्तविक प्रक्रिया शुरू नहीं हुई हो। जिन मामलों में वास्तविक प्रक्रिया (परीक्षा के अलावा) शुरू हो चुकी होगी, वहाँ पर दाखिला प्रक्रिया और नौकरियों के लिए दोबारा से घोषणा की जाएगी।
सीएम द्वारा दी गई इस जानकारी के बाद राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष दिनेश दास ने ट्वीट के ज़रिए बताया कि इस घोषणा के बाद 20 जनवरी को होने वाली प्रारंभिक परीक्षाओं को आगे बढ़ा दिया गया है। नए आरक्षण मापदंडों को जल्द ही गुजरात राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा सूचित किया जाएगा।
The Gujarat Public Service Commission would procrastinate all the preliminary exams to be held on 20th January, 2019 and thereafter in the wake of implementation of EWS reservation. The @GPSC_OFFICIAL would release further details from time to time. https://t.co/7K2aTCEIwd
— Dinesh Dasa (@dineshdasa1) January 13, 2019
बता दें कि आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग की सूची में आने वाले लोगों के लिए आरक्षण पर केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 7 जनवरी को मुहर लगाई गई थी। लोकसभा व राज्यसभा में चली लंबी बहस के बाद यह विधेयक दोनों सदनों में बहुमत से पास हुआ। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद यह अब कानून बन गया है।