Monday, November 18, 2024
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‘विश्वासघाती’ हामिद अंसारी के लिए देश से ज्यादा इस्लाम जरूरी: जूनियर साथी ने खोला राज, बताया विदेशी-इस्लामी कनेक्शन पर जाँच शुरू

पीएम के विशेष सलाहकार दीपक वोहरा ने बताया कि जब हामिद अंसारी ने आंतकी लिंक से जुड़े वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर भारत की निंदा की तो ये साफ हो गया कि उनके कनेक्शन हैं और जिनपर अब जाँच शुरू हो गई है। अब उम्मीद है कि जैसे ही इस जाँच के परिणाम बाहर आते हैं तो अंसारी का न्याय होगा।

देश के 73 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी (Hamid Ansari) ने इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारत के लोकतंत्र के ख़िलाफ़ जो-जो जहर उगला, अब उस पर पूरा देश उनसे नाराज है। इसी क्रम में शीर्ष भारतीय राजनयिक, प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार व पूर्व राजदूत दीपक वोहरा ने इस बात की पुष्टि की है कि हामिद अंसारी के विदेशी व इस्लामी लिंक्स की जाँच शुरू हो गई है और जल्द ही इस जाँच के नतीजे आएँगे।

द सिटी न्यूज से बातचीत में दीपक वोहरा ने कहा, “ये चेतावनी हमारी कई खुफिया एजेंसियों द्वारा भारत सरकार को दी जा चुकी है कि हामिद अंसारी की प्राथमिकताएँ कभी भी भारत के पक्ष में नहीं थीं। वह हमेशा इस्लाम से जुड़ी थीं। उनकी ईमानदारी हमारे पड़ोसी मुल्क वालों के साथ देखने को मिलती थी।” वोहरा ने बातचीत में ईरान में पकड़े गए भारतीय अधिकारियों का मुद्दा उठाया और याद दिलाया कि कैसे भारतीय अधिकारियों के बच्चे और बीवियाँ अंसारी के आगे गिड़गिड़ा रहे थे कि उनके अपनों को छुड़ा लिया जाए, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया।

इस्लामी और विदेशी लिंक्स की हुई जाँच शुरू

पीएम के विशेष सलाहकार दीपक वोहरा ने बताया कि जब हामिद अंसारी ने आंतकी लिंक से जुड़े वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर भारत की निंदा की तो ये साफ हो गया कि उनके कनेक्शन हैं और जिनपर अब जाँच शुरू हो गई है। अब उम्मीद है कि जैसे ही इस जाँच के परिणाम बाहर आते हैं तो अंसारी का न्याय होगा। इस बातचीत में वोहरा ने स्पष्ट तौर पर हामिद अंसारी के बारे में बात करते हुए कहा उनके लिए देश से ज्यादा इस्लाम जरूरी है। 

बता दें कि दीपक वोहरा IFS में हामिद अंसारी के जूनियर थे। इस बात का जिक्र भी उन्होंने सिटी न्यूज के साथ इस बातचीत में किया। उन्होंने जानकारी दी कि हामिद अंसारी उनके IFS में सीनियर रहे हैं और वह उन्हें विश्वासघातियों (Trust Buster) की श्रेणियों में रखते हैं। उन्होंने पूछा कि अगर हामिद अंसारी को देश के प्रधानमंत्री से कोई दिक्कत है भी तो उन्होंने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर क्यों बदनाम करने का कार्य किया। उन्होंने बताया कि हामिद अंसारी द्वारा मातृभूमि के बारे में बोले गए शब्दों को लेकर विदेश मंत्रालय ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है।

वह कहते हैं कि इंडियन-अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के साथ हामिद शामिल हुए, उसका ट्रैक रिकॉर्ड हर कोई जानता है। इसी का इस्तेमाल करते हुए हामिद ने भारत को अनाप-शनाप बोला। इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल को संदिग्ध सूत्रों से फंड मिलता है और इसका संबंध पाकिस्तान खुफिया एजेंसियों से भी है। आगे की बातचीत में दीपक वोहरा ने हामिद अंसारी के उन कारनामों को उजागर किया जो उन्होंने अपने पद पर रहते हुए किए, फिर चाहे वो राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हो या फिर ईरान के राजदूतों को दिया गया धोखा हो।

वोहरा ने कहा कि हामिद अंसारी ने ऐसे वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर अपनी उपस्थिति जताकर सिर्फ अपनी छवि बिगाड़ी है, अपना स्तर को गिराया है। वह कहते हैं कि हामिद को इस चर्चा में भाग लेने से पहले समझाया गया था कि ये विवादित हो सकता है, इसलिए उन्हें इस पर विचार करना चाहिए। हालाँकि उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बाद भारतीय राजनयिक ने पूर्व उप राष्ट्रपति को याद दिलाया कि जिस संविधान को लेकर वो एंटी इंडिया मंच पर इतना बोल आए हैं उस संविधान में 100 से ज्यादा दफा संशोधन हो चुका है।

हामिद अंसारी ने क्या बोला?

बता दें कि गणतंत्र दिवस के मौके पर हामिद अंसारी ने देश के लोकतंत्र की आलोचना की थी और कहा था कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है और ये अब संवैधानिक मूल्यों से हट गया है। हिंदू राष्ट्रवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए अंसारी ने भारत के ‘बहुलतावादी संविधान के संरक्षण’ भाषण दिया। उन्होंने कहा था, ‘‘हाल के वर्षों में हमने उन प्रवृत्तियों और प्रथाओं के उद्भव का अनुभव किया है, जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत को लेकर विवाद खड़ा करती हैं और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक नई एवं काल्पनिक प्रवृति को बढ़ावा देती हैं। वह नागरिकों को उनके धर्म के आधार पर अलग करना चाहती हैं, असहिष्णुता को हवा देती हैं और अशांति और असुरक्षा को बढ़ावा देती हैं।’’ इसके साथ ही अंसारी ने खुद से ही अपनी पीठ भी थपथपाई और बताया कि उपराष्ट्रपति के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान देश की संसदीय प्रणाली और कानून पूरी तरह से पारदर्शी था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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