दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (मई 31, 2021) को सेंट्रल विस्टा पर रोक को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसका विरोध करने वालों को आड़े हाथों लिया। इसी दौरान उन्होंने खुलासा किया कि 60 सेवानिवृत्त नौकरशाहों के एक समूह ने इस परियोजना के विरोध में पत्र लिखा था जिसमें दावा किया था कि नए संसद का निर्माण अंधविश्वास का नतीजा है। पुरी ने इन पूर्व नौकरशाहों को पढ़ा-लिखा मूर्ख करार दिया।
इन पूर्व नौकरशाहों ने परियोजना के विरुद्ध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा था। इस को सबके सामने पढ़ते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ये बड़ा दिलचस्प है कि हमारे 60 पढ़े-लिखे मूर्खों ने कहा है कि यदि रिपोर्ट्स पर विश्वास किया जाए तो अंधविश्वास के कारण नए संसद भवन का निर्माण किया जा रहा है, क्योंकि पुरानी इमारत अशुभ है।”
“This project began, if reports are to be believed, because of a superstitious belief that the present Parliament building is ‘unlucky’”
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) May 31, 2021
How someone can put their signature on this bizarre letter defies logic! pic.twitter.com/bdsUfnM1za
ब्यूरोक्रेट्स को फटकारा
पुरी ने कहा है कि यदि आपका 40 सालों का अनुभव हो, तो क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि रिपोर्ट्स क्या कहती हैं? इसके बाद लेटर पर हस्ताक्षर करने वाले पूर्व ब्यूरोक्रेट्स पर निशाना साधते हुए कहा, “आप उस समय कैबिनेट सेक्रेट्री थे, जिन्होंने इस पर साइन किया। आपकी सरकार ने उस समय 2012 में कहा था कि नई संसद की जरूरत है। अब 2021 में ये क्यों कह रहे हैं कि ये नई संसद इसलिए बनाई जा रही है क्योंकि इसके पीछे अंधविश्वास है।”
पुरी ने इन पूर्व नौकरशाहों के लिए सख्त लहजे में कहा, “ये पढ़े-लिखे मूर्ख नहीं हैं। ये देश के लिए अपमान हैं। मैं कभी भी अपने हस्ताक्षर ऐसे पत्र पर न करूँ जिसमें अंधविश्वास की बात लिखी गई हो।”
केंद्रीय मंत्री ने पूछा कि ऐसे लोगों से कैसे निपटें जो कहते हैं कि पुरानी संसद शुभ नहीं थी, इसलिए नई संसद बन रही है। उन्होंने कहा, “आप अंदर जाकर देखो, मैं 69 साल का हूँ, मेरे घुटने अब भी काम करते हैं, लेकिन वहाँ बैठने वाली जगह पर फ्रंट-बैक में स्पेस नहीं है। पुरानी संसद बहुत कम लोगों के लिए बनी थीं। इसलिए हम भारत के लोगों के लिए बड़ी संसद बना रहे हैं।”
पूर्व नौकरशाहों के पत्र में लिखी गई बातों को अविश्वसनीय करार देते हुए उन्होंने कहा, ” ये ओपन लेटर है? 18 मई को लिखा हुआ, मुझको तो मिला ही नहीं है। ये सोशल मीडिया पर घूम रहा है। आज जब मैं प्रेस कॉन्फ्रेंस की तैयारी कर रहा था तब मेरा ध्यान इस बात पर दिलवाया गया। मैंने फोन करके लिखने वाले को कहा भी या तो तुम राजगुरू बनना चाहते हो या फिर तुम पागल हो गए हो। ये सब क्या है।”
कॉन्ग्रेस के पूर्व राहुल गाँधी पर पुरी ने कहा कि उनके बारे वे जितनी कम बात करें उतना ही ठीक होगा। लेकिन ये जरूर है कि चुनौतियों और परेशानियों के समय लोग उनकी (मोदी) सरकार को याद रखेंगे। विपक्ष पर हमला बोलते हुए उन्होंने स्वदेशी वैक्सीन और उसके निर्माताओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वालों को भी आड़े हाथों लिया।
सेंट्रल विस्टा पर विपक्ष की बातों को करार दिया झूठा
गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर ब्यूरोक्रेट्स ने पिछले साल प्रधानमंत्री को अपना यह पत्र लिखा था। इसी पर केंद्रीय मंत्री ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए ऐसे लोगों को आइना दिखाने की बात कही। पुरी ने बताया कि ये सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर झूठी जानकारियाँ फैलाई जा रही हैं। इस पर महामारी के बहुत पहले फैसला ले लिया गया था। संसद का नया भवन बनाना इसलिए जरूरी है क्योंकि पुराना भवन सेस्मिक ज़ोन 2 में आता था। अब ये भवन सेस्मिक ज़ोन 4 में है।
हरदीप पुरी ने बताया कि राजीव गाँधी प्रधानमंत्री थे तब से यह माँग की जा रही है। कुल खर्चा 1300 करोड़ रुपए के आसपास है। इसके अलावा जब 2012 में मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष थीं तो उनके एक OSD थे, जिन्होंने आवास मंत्रालय के सचिव को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि एक फैसला ले लिया गया है कि एक नई संसद भवन बननी चाहिए।
मंत्री ने कहा कि कहा जा रहा है 20,000 करोड़ रुपए महामारी के दौरान खर्च कर रहे हैं, ये वैक्सीनेशन कार्यक्रम में लगाइए। केंद्र ने वैक्सीनेशन के लिए 35,000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। वैक्सीनेशन के लिए पैसे की कमी नहीं है, पर्याप्त पैसा है। वैक्सीन की उपलब्धता दूसरी बात है।
पुरी ने कहा, “पहली बात तो 20,000 करोड़ रुपए का आँकड़ा कहाँ से आया? जिसके मन में जो आता है बोलता है। 51 मंत्रालयों के लिए ऑफिस, मेट्रो के साथ जोड़ना, नया संसद भवन, 9 ऑफिस के भवन, न्यू इंदिरा गाँधी सेंटर फॉर परफार्मिंग आर्ट्स सब मिलाकर खर्चा शायद 13,000-15,000 करोड़ आएगा।”
प्रोजेक्ट को मिली हाई कोर्ट से हरी झंडी
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी सेन्ट्रल विस्टा पुनरोद्धार परियोजना पर रोक लगाने से इनकार करते हुए इसके लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया था। इस याचिका में कोरोना महामारी के मद्देनजर इस प्रोजेक्ट को रोकने की अपील की गई थी, जिसके तहत नए संसद भवन का निर्माण होना है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए कहा कि ये राष्ट्रीय महत्व की एक अत्यावश्यक परियोजना है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि ये एक राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट है जिसे पृथक कर के नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि इससे जनता का हित होना है। साथ ही हाई कोर्ट ने इस याचिका को एक वास्तविक जनहित याचिका (PIL) न मानते हुए ‘मोटिवेटेड’ याचिका करार दिया। हाई कोर्ट ने नोट किया कि निर्माण कार्य नवंबर 2021 से पहले पूरा किया जाना है, ऐसे में हर एक क्षण ज़रूरी है।