झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले में आरोपित पादरी स्टेन स्वामी के समर्थन में उतर आए हैं। स्टेन स्वामी को NIA ने हिरासत में लिया है। हेमंत सोरेन ने पूछा, “गरीब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने’ वाले 83 वर्षीय वृद्ध ‘स्टेन स्वामी’ को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है?” साथ ही कहा है, “अपने विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद?“
कई कांग्रेस नेता भी स्टेन स्वामी के बचाव में आ गए हैं। झारखंड कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सह राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उराँव ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी को ‘अर्बन नक्सलवाद’ के नाम पर गिरफ्तार किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने मोदी सरकार पर देश के विभिन्न हिस्से में रहने वाले बुद्धिजीवियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि स्टेन स्वामी 25 वर्षों से राँची में जनजातीय वर्ग के उत्थान में जुटे हैं।
डॉक्टर उराँव ने कहा कि स्टेन स्वामी को फँसाने की साजिश रची गई है। ‘दैनिक जागरण’ की खबर के अनुसार, प्रदेश कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। राज्य में पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने आरोप लगाया कि संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को कम किया जा रहा है, जिसका परिणाम आने वाले दिनों में देश की जनता को भुगतना पड़ेगा।
राजेश गुप्ता छोटू और आदित्य विक्रम जायसवाल सहित झारखण्ड के कई कॉन्ग्रेस नेताओं ने स्टेन स्वामी का समर्थन किया है। इससे पहले भी कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग खुल कर भीमा-कोरेगाँव के आरोपितों का समर्थन करते आए हैं। वामपंथी पार्टियाँ और नेतागण पहले से ही कहते आ रहे हैं कि सरकार भीमा-कोरेगाँव मामले में ‘एक्टिविस्ट्स को फँसा’ रही है। हालाँकि, इनमें से कई के खिलाफ चार्जशीट दायर हो चुकी है।
गरिब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले 83 वर्षीय वृद्ध ‘स्टेन स्वामी’ को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है?
— Hemant Soren (घर में रहें – सुरक्षित रहें) (@HemantSorenJMM) October 9, 2020
अपने विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद्द?
कई कैथोलिक संस्थाएँ और तथाकथित एक्टिविस्ट्स पहले से ही विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी को NIA की ‘एकतरफा कार्रवाई’ बता रहे हैं। इन सभी ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से इस मामले में हस्तक्षेप करने की भी माँग की है। 2000 ‘बुद्धिजीवियों’ ने इसे मोदी सरकार का ‘विच हंट’ करार दिया है। वहीं झारखंड पुलिस ने मीडिया से कहा कि वो सारे सवाल NIA से पूछे, पुलिस से नहीं।
ज्ञात हो कि फादर स्टेन स्वामी पर दो साल पहले महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगाँव में हुई हिंसा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने में संलिप्तता का आरोप है। बताया जा रहा है कि स्टेन स्वामी पर भीमा-कोरेगाँव मामले में एनआईए ने आतंकवाद निरोधक क़ानून (यूएपीए) की धाराएँ भी लगाई गई हैं। एनआईए की एक टीम ने नामकुम स्टेशन परिसर में फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया था।