Monday, November 18, 2024
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देश से बाहर होंगे रोहिंग्या, फ्लैट नहीं मिलेगा: अमित शाह के मंत्रालय ने किया क्लियर, बताया- दिल्ली सरकार ने शिफ्ट करने का दिया था प्रस्ताव

हाल ही में दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें दिल्ली सरकार ने बताया था कि उन टेंट्स के लिए हर महीने 7 लाख रुपए खर्च हो रहे थे, जिनमें रोहिंग्या रह रहे थे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट्स के बाद साफ़ किया है कि उसने रोहिंग्या मुस्लिमों को EWS फ्लैट्स में बसाने का कोई आदेश नहीं दिया है। होम मिनिस्ट्री ने कहा, “गृह मंत्रालय ने रोहिंग्या मुस्लिमों को EWS फ्लैट्स में बसाने का कोई आदेश नहीं दिया है। दिल्ली सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिमों को नई जगह शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया था। रोहिंग्या मुस्लिमों का प्रत्यर्पण किए जाने को लेकर गृह मंत्रालय पहले ही सम्बंधित देशों से संपर्क कर चुका है।

अमित शाह के मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि अवैध घुसपैठियों को या तो डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है या फिर उन्हें उनके देश भेजा जाता है। साथ ही कहा कि दिल्ली सरकार ने उक्त लोकेशन को अभी तक डिटेंशन सेंटर नहीं घोषित किया है, लेकिन उन्हें तुरंत ऐसा करने का आदेश दिया गया है। बता दें कि ये सब केंद्रीय हरदीप सिंह पुरी के एक ट्वीट से शुरू हुआ था। इसके बाद VHP ने भी बयान जारी किया। लोगों ने विरोध किया सो अलग।

रोहिंग्या शरणार्थियों को फ्लैट्स देने का फैसला, केंद्रीय मंत्री के ट्वीट के बाद हुआ विरोध: VHP का बयान

केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के एक ट्वीट के बाद भाजपा अपने ही समर्थकों का निशाना बनी। उन्होंने जानकारी दी थी कि टेंटों में रह रहे 11 रोहिंग्या मुस्लिमों को केंद्र सरकार फ्लैट्स देगी। साथ ही उन्हें मुलभुत सुविधाओं के साथ-साथ 24 घंटे दिल्ली पुलिस की सुरक्षा देने का ऐलान भी किया गया है। लोग इसके बाद पूछने लगे कि जहाँ पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी इन सुविधाओं से दूर बेबस रह रहे हैं, ऐसे में रोहिंग्यों पर इतनी दया क्यों?

‘विश्व हिन्दू परिषद (VHP)’ ने इस कदम की कड़ी निंदा की। संगठन ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिमों को बसाने की जगह उन्हें देश से बाहर निकाला जाना चाहिए। वीएचपी के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा कि संगठन केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान से हतप्रभ है, जिसमें उन्होंने रोहिंग्या को ‘प्रवासी’ कह कर सम्बोधित किया है और दिल्ली के बक्करवाला में उन्हें फ्लैट्स देने की घोषणा की है।

उन्होंने इस दौरान 10 दिसंबर, 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में दिए गए बयान की भी याद दिलाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि रोहिंग्या को कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। VHP ने स्पष्ट किया कि रोहिंग्या प्रवासी नहीं, बल्कि घुसपैठिए हैं। आलोक कुमार ने याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में डाली गई एफिडेविट में भी यही बताया है। उन्होंने ये भी ध्यान दिलाया कि पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी अभी भी मजनू का टीला में अमानवीय तरीके से अपना जीवन जी रहे हैं।

उन्होंने कहा कि रोहिंग्या के लिए जिस तामझाम का ऐलान किया है, उससे इन पीड़ित हिन्दू शरणार्थियों को और दुःख पहुँचेगा। साथ ही मोदी सरकार से विहिप ने आग्रह किया है कि अपने कदम पर पुनर्विचार कर के रोहिंग्या को बसाने की जगह उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करें। असल में भारत ने 1951 के उस UN के उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किया था, जिसे शरणार्थियों के सम्बन्ध में लाया गया था। इसीलिए, भारत इन्हें सारी सुविधाएँ देने की अनिवार्यता से बँधा नहीं हुआ है।

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि शरणार्थियों को लेकर भारत के खिलाफ नकारात्मक बातें फैलाने वालों के लिए ये कदम एक झटका है। हाल ही में दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें दिल्ली सरकार ने बताया था कि उन टेंट्स के लिए हर महीने 7 लाख रुपए खर्च हो रहे थे, जिनमें रोहिंग्या रह रहे थे। कैम्पों में आग लगने के बाद उन्हें मदनपुर खादर शिफ्ट किया गया। अब इन्हें NDMC के बक्करवाला स्थित EWS फ्लैट्स में स्थानांतरित किया जाएगा।

इसी बैठक के बाद दिल्ली पुलिस को रोहिंग्यों को 24 घंटे सुरक्षा देने का निर्देश दिया गया। दिल्ली सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग ने उन्हें भोजन, फोन और पंखा सहित अन्य सुविधाएँ देने का फैसला लिया। केंद्र सरकार कई बार रोहिंग्या मुस्लिमों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। हालाँकि, अब सरकारी सूत्रों का कहना है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को उन फ्लैट्स का मालिक नहीं बनाया जा रहा है, बल्कि उन्हें सिर्फ उनमें शिफ्ट किया जा रहा है।

जिस बैठक में ये फैसला हुआ, उसमें दिल्ली के मुख्य सचिव के अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल थे। इन रोहिंग्या मुस्लिमों के पास संयुक्त राष्ट्र हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज (UNHCR) की आईडी होनी चाहिए। साथ ही उनके डिटेल्स ऑन रिकॉर्ड भी होने चाहिए। हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं, जिनमें रोहिंग्या मुस्लिमों का हाथ सामने आया। बेंगलुरु से एक कुमकुम अहमद चौधरी के गिरोह का भी खुलासा हुआ। हालाँकि, अब HMO के बयान के बाद तस्वीर साफ़ हो गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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