हाल ही में ऑपइंडिया ने राहुल गाँधी और HLपाहवा के बीच जमीनों की खरीद-फ़रोख्त के माध्यम से लम्बी हेराफेरी का खुलासा किया था जिसके तार आर्म डीलर संजय भंडारी से भी जुड़ते हैं। पूरा खुलासा इस बारे में था कि कैसे राहुल, प्रियंका और वाड्रा की तिकड़ी ने संजय भंडारी और CC थम्पी के साथ मिलकर औने-पौने दाम पर जमीन खरीद कर उन्ही को कई गुना अधिक दाम पर बेच देते थे। इससे इनकी आय तो लगातार बढ़ रही थी लेकिन सवाल अपनी जगह था कि भला कोई अपनी ही जमीन कम दाम में बेचकर कई गुना अधिक दाम में क्यों खरीदेगा। यहाँ दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली नज़र आ रही है।
जमीनों की इस खरीद का जिक्र राहुल के 2009 के इलेक्शन एफिडेविट में भी है। जिसे कॉन्ग्रेस ने भी अपने बयान में स्वीकार किया है कि हाँ जमीन की डील हुई थी। लेकिन कॉन्ग्रेस ने आर्म डीलर संजय भंडारी से कनेक्शन पर कमेंट करने से इनकार किया।
इस पूरी कहानी के बाहर आने और कॉन्ग्रेस के इस पर कमजोर रेस्पॉन्स के कारण ये सवाल गहरा गया कि आखिर कहाँ से राहुल गाँधी इतने पैसे बना रहे हैं। राहुल गाँधी के एसेट्स पिछले कई सालों में बेतहाशा तरीके से बढ़े हैं। जिसका पता उनके 2004, 2009 एवं 2014 के इलेक्शन एफिडेविट से भी चलता है।
राहुल गाँधी की संपत्ति 2004 में 55,38,123 रुपए से बढ़कर 2009 में 2 करोड़ और आखिरकार, 2014 में 9 करोड़ रुपए से अधिक हो गई। यहाँ यह भी बताना ज़रूरी है कि 2011-12 में, राहुल गाँधी आय से अधिक इनकम के एक मामले में आरोपित थे। राहुल को AJL के माध्यम से 155 करोड़ रुपए के मामले में, आईटी विभाग ने राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी को 100 करोड़ रुपए का टैक्स नोटिस भेजा था।
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल के आय में इस तरह की खगोलीय वृद्धि देखकर, हर कोई आश्चर्यचकित है कि राहुल गाँधी की आय का स्रोत क्या है? यह देखते हुए कि उनके सार्वजनिक रिकॉर्ड के अनुसार एकमात्र वैध आय उनके द्वारा संसद सदस्य के रूप में निकाला गया वेतन है और वह ब्याज जो उन्हें उनके द्वारा जमा राशि से मिलता है।
हालाँकि, हलफनामे में आय के स्रोत का खुलासा नहीं किया गया है, राहुल गाँधी राजनीति में आने से पहले न तो पेशेवर थे और न ही उनके किसी वैध व्यवसाय में उनकी हिस्सेदारी हैं।
हमने राहुल की आय का स्रोत क्या हो सकता है के बारे में पड़ताल की तो…
2013 में राहुल और प्रियंका ने दिल्ली में 4.69 एकड़ के फार्महाउस को 6.7 लाख प्रति महीने की दर से FTIL (Financial Technologies (India) Ltd.) को रेंट पर दिया। 8 महीने 22 दिन (1 फ़रवरी 2013 से 22 अक्टूबर 2013) के रेंट से जो आय हुई उस पर इनकम टैक्स भी चुकाया गया, ऐसा रणदीप सुरजेवाला ने अपने बयान में जिक्र भी किया।
2013 में ही NSEL (National Spot Exchange Ltd) स्कैम बाहर आया। मार्च 2018 में CBI ने FTIL के मुम्बई मुख्यालय पर रेड मारा, साथ ही जिग्नेश शाह और उनके एक सहयोगी के ऑफिस और घर पर भी रेड डाला गया। जून 2013 में जब NSEL स्कैम बाहर आया, तब ये पता चला कि तब तक FTIL से राहुल और प्रियंका गाँधी मुनाफा कमा रहे थे और इसके एवज में कॉन्ग्रेस ने कंपनी को खुली छूट दे रखी थी।
2007-08 से 2012-13 के फाइनेंसियल ईयर के बीच, एक दूसरे औद्योगिक समूह से 3 करोड़ रुपए रेंट के रूप में राहुल और प्रियंका को प्राप्त हुआ। मजेदार बात ये है कि ये प्रॉपर्टी राहुल गाँधी के एफिडेविट में 9 लाख की प्रॉपर्टी के रूप में लिस्टेड है। अब यहाँ प्रमुख सवाल ये है कि जो प्रॉपर्टी मात्र 9 लाख की है उसको राहुल और प्रियंका ने 4-9 गुना अधिक रेंट पर कैसे दे दिया। एक और महत्पूर्ण बात ये कि इन औद्योगिक समूहों ने कभी भी इन सम्पत्तियों का, जिसका वे किराया दे रहे हैं, कभी पजेशन नहीं लिया। अर्थात उसका कोई उपयोग ही नहीं किया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2G स्कैम के आरोपी Unitech से अक्टूबर 2010 में एक 1.44 करोड़ रुपए और दूसरा 5.36 करोड़ रुपए (टोटल- 6.8 करोड़ रुपए) की संपत्ति खरीदी, ये दोनों संपत्ति गुरुग्राम के सिग्नेचर टावर-II में है। यह प्रॉपर्टी Unitech की ही थी। यहाँ खास बात यह भी है कि जब सरकारी कम्पनियाँ घाटे में थी तो उस समय Unitech फायदे में चल रहा था।
टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2010-2011 में राहुल ने अपनी इनकम 68 लाख रुपए डिक्लेअर की थी। अब यहाँ प्रश्न ये उठता है कि राहुल के पास प्रॉपर्टी खरीदने के लिए, वो भी मात्र 18 महीने में 6 करोड़ रुपए कहाँ से आए?
इसके बाद यूनाइटेड किंगडम का Backops Private Limited और उसकी तीन यूरोपीय अकाउंट का भी एक मामला है, जिसका 2004 के राहुल के हलफनामे में जिक्र भी है। यह वही फर्म है जिसमे राहुल गाँधी लिस्टेड हैं एक ब्रिटिश नागरिक के रूप में, यह भी आरोप है कि राहुल इस ब्रिटिश बेस्ड कंपनी में निदेशक और सचिव भी थे। राहुल की Backops में 83% हिस्सेदारी है। बाद में प्रियंका वाड्रा भी इसमें एक डायरेक्टर हुई। सवाल यहाँ ये भी है कि राहुल गाँधी के उस 83% हिस्सेदारी का क्या हुआ?
रेडिफ की जून 2004 के एक रिपोर्ट में उल्लेख है कि Backops सर्विसेज की स्थापना भारत में मई 2002 में एक फेमिली फ्रेंड मनोज मुत्तु (Manoj Muttu) द्वारा की गई थी, जिसमें राहुल को एक डायरेक्टर बनाया गया था। 25 मार्च 2009 को एफिडेविट भरे जाने से कुछ दिन पहले प्रियंका गाँधी वाड्रा इसकी डायरेक्टर बनाई गई। यहाँ एक सवाल ये भी है कि जब 2009 में ही Backops Private Limited UK स्थित कंपनी HSBC- UK में डिजॉल्व हो चुकी थी तो भारत में 31 मार्च 2010 तक कैसे चलती रही।
इसके अलावा, जून 2004 के रेडिफ के एक रिपोर्ट में यह बताया गया था कि फर्म के पास 25 लाख रुपए की अधिकृत शेयर पूँजी थी, जो 100 रुपए के 25,000 इक्विटी शेयरों में विभाजित थी। और राहुल गाँधी 2,500 शेयरों के साथ सबसे बड़े शेयरधारक थे। लेकिन 2004 के अपने चुनावी हलफनामे से कुछ महीने पहले, गाँधी ने उल्लेख किया कि फर्म में उनका 83% हिस्सा था। इसलिए, कुछ महीनों के दौरान उनके स्वामित्व वाले 83% शेयरों का क्या हुआ? अगर उन्होंने अपने शेयर बेच दिए, तो 2009 के चुनावी हलफनामे में इसका कोई उल्लेख क्यों नहीं है?
कुछ सवाल जिसका जवाब राहुल गाँधी को देना चाहिए
1. 2004 से 2014 के बीच राहुल गाँधी की संपत्ति मात्र 55 लाख से 9 करोड़ रुपए तक कैसे पहुँची? जबकि उनकी एकमात्र वैध आय एमपी की सैलरी थी और वह राजनीति से बाहर कभी अपने आप में पेशेवर नहीं थे?
2. कथित मानदंड के उल्लंघन के लिए FTIL द्वारा प्रमोटेड कंपनी नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (NSEL) को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के महज 10 महीने बाद राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी ने अपने फार्महाउस को FTIL को लगभग 9 महीने के लिए किराए पर क्यों दिया? चूँकि, कॉन्ग्रेस सरकार ने एफटीआईएल को इस घोटाले में मदद करने के लिए कई रियायतें दी थीं, क्या राहुल गाँधी और उनके परिवार को घोटाले के बारे में पता था? यदि उन्होंने ऐसा किया तो उनका रोल कितना था?
3. एफटीआईएल को फार्महाउस किराए पर दिया गया था, जबकि जाँच जारी थी। आरोप यह भी हैं कि एनएसईएल घोटाले के अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने में कॉन्ग्रेस सरकार धीमी रही। क्या राहुल गाँधी और एफटीआईएल के बीच व्यापारिक लेन-देन भी एक कारण था?
4. FTIL से पहले, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी ने अपने फार्महाउस को दूसरे औद्योगिक घराने को किराए पर दे दिया था। राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी ने 9 लाख के मूल्य वाले फार्महाउस से इतना किराया कैसे कमाया जो फार्महाउस के मूल्य का 4 से 9 गुना था? क्या यह क्रोनी कैपिटलिज्म की ओर इशारा करता है?
5. जब राहुल गाँधी ने यूनिटेक लिमिटेड से दो सम्पत्तियाँ खरीदीं, एक की कीमत 1.44 करोड़ रुपए और दूसरा 5.36 करोड़ की दो सम्पत्तियाँ गुरुग्राम के सिग्नेचर टावर्स- II में स्थित थीं, जो यूनिटेक के स्वामित्व में थे, क्या उन्होंने इस संपत्ति का पूरा भुगतान किया? यदि नहीं, और यदि यह सच है कि केवल 4 करोड़ रुपए ही चुकाए गए। तो बाकी का पैसा क्यों नहीं चुकाया गया?
6. यूनिटेक 2-जी घोटाले में आरोपित था। अक्टूबर 2009 में, सीबीआई ने 2-जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में कथित अनियमितताओं का मामला दर्ज किया। 8 अक्टूबर 2010 को, सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पर तत्कालीन यूपीए सरकार से जवाब माँगा। उसी साल अक्टूबर में, राहुल गाँधी ने गुरुग्राम के सिग्नेचर टावर्स-II में दो व्यावसायिक प्रॉपर्टी खरीदीं, जो यूनिटेक के स्वामित्व में थी। जबकि 2G घोटाले पर CAG की रिपोर्ट पर SC ने कॉन्ग्रेस सरकार से जवाब माँगा था, इसके बावजूद यूनिटेक लिमिटेड से संपत्ति क्यों खरीदी गई थी?
7. SC ने 2017 में कहा था कि 2-जी मामले में पेश किए जाने वाले किसी भी साक्ष्य के लिए उन्होंने 7 साल तक इंतजार किया लेकिन सरकार ने कभी भी इस पर अमल नहीं किया। इस मामले का अधिकांश हिस्सा कॉन्ग्रेस सरकार के अधीन था। जहाँ तक यूनिटेक का संबंध है, क्या यह एक परस्पर लेन-देन व्यवस्था थी?
8. यूके स्थित Backops Pvt 2009 में भंग कर दिया गया था, जबकि 31 मार्च, 2010 तक भारत में Backops Services का अस्तित्व बना रहा। 2009 में ही, प्रियंका गाँधी को डायरेक्टर के रूप में राहुल गाँधी द्वारा अपना हलफनामा दाखिल करने से कुछ ही दिन पहले फर्म में पदस्थापित किया गया। राहुल गाँधी के स्वामित्व वाले 83% शेयरों का क्या हुआ?
9. 2004 के चुनावी हलफनामे में, राहुल गाँधी ने अपनी कुल संपत्ति 55,38,123 घोषित की थी। और उनकी देनदारियाँ शून्य थीं। 2009 में, राहुल गाँधी ने दिल्ली के मेट्रोपॉलिटन मॉल साकेत में 2 दुकानें खरीदीं। 1,63,95,111 रुपए में यह पैसा कहाँ से आया? इस आय का स्रोत क्या था?
10. राहुल गाँधी ने 2011-12 में अपने इसी संपत्ति से आय के रूप में 68 लाख रुपए दिखाए। उस समय मार्केट दर 150 रुपए प्रति वर्ग फीट था। राहुल गाँधी के पास जो संपत्ति थी वह 514 वर्ग फीट और 996 वर्ग फीट थी। अब इस दर से कितना भी गणित लगा लें, उन दो संपत्तियों से राहुल 68 लाख रुपए किराए के रूप में नहीं कमा सकते। तो बाकी पैसे कहाँ से आए? उनकी आय पर विचार करने के लिए 2009 के हलफनामे में सूचीबद्ध केवल यही दो सम्पत्तियाँ थीं।
11.ऑपइंडिया द्वारा राहुल गाँधी के खुलासे के बाद, कॉन्ग्रेस ने स्वीकार किया था कि राहुल गाँधी ने एचएल पाहवा से जमीन खरीदी थी। हालाँकि, उन्होंने कहा था कि भूमि तब प्रियंका गाँधी वाड्रा को उपहार में दी गई थी। प्रियंका के पास एचएल पाहवा के साथ कई जमीन सौदे और भी हैं जो प्रियंका को कम दाम पर जमीन बेचता था और फिर उसी जमीन को बहुत ऊँचे मूल्य पर खरीद लेता था। Backops की डायरेक्टरशिप भी उस समय प्रियंका गाँधी को हस्तांतरित की गई थी। क्या प्रियंका गाँधी वाड्रा 2019 में चुनाव इसलिए नहीं लड़ रही हैं, क्योंकि चुनाव शपथ पत्र में ये सारी बातें बाहर आ जाएँगी?
OpIndia (English) की एडिटर नुपुर शर्मा के मूल लेख का अनुवाद रवि अग्रहरि ने किया है।