समाजवादी पार्टी अभी भले ही सब कुछ मुफ्त देने के अपने वादे में बिजली को भी जोड़ कर चल रही है। इसके लिए लोगों को आकर्षित करने का एक नया तरीका खोजा गया है। अभी से ही ‘रजिस्ट्रेशन’ चालू कर दिया गया है। फॉर्म भरवाए जा रहे हैं। हालाँकि, इसे चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के खिलाफ भी बताया जा रहा है। लेकिन, जब इस पार्टी की सरकार थी तब बिजली महँगी भी थी और आती भी नहीं थी। जबकि भाजपा की राज्य सरकार ने किसानों और गरीबों को बिजली के क्षेत्र में कई राहत दिए।
किसानों के लिए बिजली बिल में 50% कटौती की गई
जनवरी 2022 में ही योगी सरकार ने ट्यूबवेल चलाने वाले किसानों के लिए बिजली बिल को आधा करने का ऐलान किया। इससे 13 लाख लोगों को फायदा मिला।इसके साथ ही शहरी क्षेत्र के किसानों के लिए भी बिजली बिल में 50% की कटौती की गई। इसके साथ ही राज्य में मीटर वाले बिजली कनेक्शन का भाव 2 रुपए प्रति यूनिट की जगह 1 रुपए प्रति यूनिट हो गया। वहीं हॉर्सपॉवर मीटरों पर 70 की जगह 35 रुपए प्रति मीटर हो गया। इसी तरह बिना मीटर वालों के लिए ये 170 की जगह 85 रुपए प्रति मीटर हो गया।
इससे शहरी क्षेत्र के लोगों को भी लाभ मिला और उन्हें 6 रुपए प्रति यूनिट की जगह 3 रुपए प्रति यूनिट ही अब देने होते हैं। सात ही फिक्स्ड मीटर रेंटल चार्ज भी 130 रुपए की जगह 65 रुपए प्रति महीने हो गया। ऐसे में जब सपा और AAP ने 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया है, लोगों को आशंका ये है कि क्या उनके राज में बिजली समय पर आएगी भी? फ़िलहाल यूपी के अधिकतर इलाकों में बिजली 24 घंटे आती है और कुछ देर के लिए ही कटती है।
उत्तर प्रदेश में अब नए बिजली कनेक्शन के लिए न तो दफ्तरों की दौड़ लगानी पड़ती है और न ही इसमें लंबा समय लगता है। लघु उद्योग वालों को बिजली कनेक्शन के लिए मात्र 3 दिन में NOC (अनापत्ति प्रमाण पात्र) के लिए सिंगल विंडो की व्यवस्था की गई है। सितंबर 2020 में योगी सरकार के ‘MSME (Establishment and Operations) अधिनियम, 2020’ के तहत इसे सुनिश्चित किया गया। उस समय तक MSME को 29 तरह से विभागों से 80 NOC जुटाने होते थे।
अक्टूबर 2021 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी थी कि ग्रामीण इलाके हों या शहरी क्षेत्र, शाम के 6 बजे से लेकर सुबह 7 बजे तक बिजली कटनी नहीं चाहिए। उस समय देश में कोयले की उपलब्धता को लेकर तरह-तरह की बातें की गई थीं, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा। सीएम योगी का कहना था कि खासकर त्योहारों के समय लोगों को बिजली मिलने में दिक्कतें नहीं आनी चाहिए। साथ ही बिजली बिल में किसी आम आदमी को कोई गड़बड़ी न हो, इसका निर्देश भी उन्होंने दिया था।
1.38 करोड़ घरों में मुफ्त बिजली कनेक्शन, 1.4 लाख गाँवों तक विद्युत् सप्लाई
अब थोड़ा आँकड़ों की भी बात कर लेते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, साढ़े 4 वर्षों में 1.38 करोड़ घरों को मुफ्त में बिजली के कनेक्शन दिए गए। साथ ही रोस्टर बना कर ग्रामीण इलाकों में बिजली की सप्लाई सुनिश्चित की गई। गाँवों में 18-22 घंटे और शहरों में 24 घंटे बिजली देने का प्रावधान बनाया गया। इसके लिए ‘सौभाग्य योजना’ के तहत 1.4 लाख से अधिक राजस्व गाँवों और 2.84 लाख अन्य गाँवों तक बिजली पहुँची। नियम बनाया गया कि गाँवों में 48 और शहरों में 24 घंटे के भीतर ट्रांसफर्मर मरम्मत का कार्य पूरा किया जाए।
1.38 करोड़ घरों के भीतर से अंधेरा दूर करना बहुत बड़ी बात है। ये वो घर हैं, जहाँ सपा-बसपा की सरकारें बिजली नहीं पहुँचा पाई। सर्वाधिक बिजली कनेक्शन देने के मामले में उत्तर प्रदेश ने पूरे देश में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। बिजली की सप्लाई और वितरण में कोई अड़चन न आए और ये बेहतर हो, इसके लिए 7786.52 किलोमीटर 33 केवी लाइनों का निर्माण किया गया। अधिकारी अब नाईट पेट्रोलिंग करते हैं, ताकि 24 घंटे बिजली की सप्लाई की पुष्टि हो सके।
इससे फायदा ये होता है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को तुरंत दुरुस्त करने का कार्य किया जाता है और लोगों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता। ‘उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL)’ ने तो 7 जुलाई, 2021 को सर्वाधिक 51.2285 करोड़ यूनिट बिजली की सप्लाई कर के एक नया रिकॉर्ड बनाया। बिजली से जुड़ी अधिकतर सेवाओं के ऑनलाइन होने से लोगों को भागदौड़ नहीं करनी पड़ती। गरीब घरों को बिजली की पहली 100 यूनिट पर तब 3 रुपए प्रति यूनिट ही शुक्ल लेने की व्यवस्था की गई।
वहीं सरकार अब अक्षय ऊर्जा की तरफ भी बढ़ रही है, जिसके तहत 1535 मेगावाट के 7500 करोड़ रुपए के सौर ऊर्जा प्रस्ताव स्वीकृत किए गए। भारत ‘अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायन्स’ का संस्थापक है, ऐसे में उत्तर प्रदेश इस दिशा में काम कर रहा है। साथ ही उत्तर प्रदेश में बिजली की उत्पादन क्षमता में भी 3978 मेगावाट की वृद्धि हुई। अब तो गन्ना मिल भी 1500 करोड़ रुपए की बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। सिंचाई के लिए किसानों को विशेष छूट दी जा रही है।
इसके अलावा जुलाई 2018 में ही उत्तर प्रदेश के 5 लाख फ़्लैट मालिकों को योगी सरकार ने बड़ा तोहफा दिया था। अपार्टमेंट्स और बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों को हर फ्लैट के लिए अलग-अलग बिजली मीटर और कनेक्शन की व्यवस्था की गई। पहले अपार्टमेंट मैनेजमेंट किराएदारों और फ्लैट मालिकों से मनमानी करता था। योगी राज में ये ख़त्म हुआ। अब पॉवर कंपनियों से सीधे फ्लैट को बिजली कनेक्शन और बिल मिलता है। अपार्टमेंट्स में सिंगल की जगह मल्टी पॉइंट कनेक्शन की व्यवस्था की गई। गाजियाबाद और नोएडा के लोगों को इससे खास फायदा हुआ।
ख़त्म किया सपा-बसपा काल का अंधेरा, अपराध में आई कमी
सपा-बसपा के दौर में ये होता था कि सिर्फ 10 जिलों में ही बिजली की सप्लाई पर ध्यान दिया जाता था। योगी सरकार ने ये भेदभाव ख़त्म किया और गाँवों पर विशेष ध्यान दिया। सभी जिलों को बराबर बिजली की बात की गई। अखिलेश यादव की सरकार ने कई ऐसे करार किए थे, जिससे जनता पर 5000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ता। योगी सरकार ने सत्ता संभालने के 100 दिनों के भीतर इन सभी डील्स को रद्द किया। 60 लाख ऐसे परिवार थे, जिन्हें बिजली कनेक्शन दिया ही नहीं जा रहा था। उन्हें योगी सरकार ने कनेक्शंस दिए।
उन्होंने प्रदेश को अंधेरे में रखा, आज भले ही कितनी बड़ी-बड़ी घोषणाएं करें कि हम फ्री बिजली देंगे, लेकिन जब बिजली देते ही नहीं थे तो फ्री का सवाल ही पैदा नहीं होताः मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ#आएगी_बीजेपी_ही pic.twitter.com/sA36J1xlDN
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) January 22, 2022
सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो कहा था, उससे समझ जाइए सपा-बसपा कार्यकाल में उत्तर प्रदेश की स्थिति क्या थी, “मैं पहले हैलीकॉप्टर से चलता था तो अंधेरा दिखाई देते ही समझ जाता था कि उत्तर प्रदेश की शुरुआत हो गई। पहले रात में बिजली नहीं रहती थी, घरों में डकैती पड़ जाती थी। डकैती की FIR तक नहीं लिखी जाती थी। लखनऊ में तब 100 परिवारों को बिजली देकर जो शुरुआत हुई, वो 1.38 करोड़ तक पहुँची। SMS के जरिए विद्युत् सम्बंधित शिकायतों के दर्ज किए जाने की व्यवस्था की गई।
पहले बिजली बिल न चुकाने वाले किसानों और गरीबों को प्रताड़ित किया जाता था, जबकि अब योगी सरकार ने इसकी व्यवस्था की है कि उनका कनेक्शन न काटा जाए। गन्ने का भाव बढ़ाने के बाद किसानों को बिजली के मामले में भी रियायत दी गई। जिन किसानों ने बिजली बिल नहीं चुकाया था, उनका कनेक्शन न काटने के आदेश जारी किए गए। जबकि मायावती के घर का 1.67 करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया था, जिसे कनेक्शन काट कर चुकाने को कहा गया और उन्हें ऐसा करना पड़ा।