Sunday, November 17, 2024
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‘टॉपलेस’ होकर कॉलेज जाती लड़कियाँ पर कोई सवाल नहीं, तो इस्लामिक ड्रेस कोड पर क्यों: कर्नाटक बुर्का विवाद पर बचाव में बोले मौलाना साजिद रशीदी

एक्टिविस्ट अंबर जैदी से खास बातचीत में रशीदी ने कहा, “महिलाएँ टॉपलेस होकर कॉलेज, स्कूल जाती हैं तो कोई उनसे सवाल नहीं करता, फिर हिजाब और बुर्का पहनने वाली लड़कियों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है।”

हिंदुओं और राम मंदिर के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के लिए कुख्यात ‘ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन’ के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया है। कर्नाटक के कॉलेजों में चल रहे बुर्का और हिजाब विवाद पर बयान देते हुए मौलाना साजिद रशीदी ने 10 फरवरी को कहा कि हिजाब इस्लाम का ड्रेस कोड है और महिलाओं को खुद को सुरक्षित और समाज में संरक्षित रखने के लिए पर्दे में रहना चाहिए। उन्होंने सभी मुस्लिम महिलाओं से बुर्का पहनना जारी रखने की अपील की और मुस्लिम पुरुषों से कुर्ता और जालीदार टोपी (Skull Cap) सहित पारंपरिक मुस्लिम पोशाक अपनाने को कहा।

मौलाना साजिद रशीदी ने कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों पर भारतीय संविधान का पालन नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मजहब (इस्लाम) का पालन करना मुस्लिमों का मौलिक अधिकार है और हिजाब पहनना ‘इस्लाम का अभिन्न अंग’ है।

एक्टिविस्ट अंबर जैदी से खास बातचीत में रशीदी ने कहा, “महिलाएँ टॉपलेस होकर कॉलेज, स्कूल जाती हैं तो कोई उनसे सवाल नहीं करता, फिर हिजाब और बुर्का पहनने वाली लड़कियों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है।” विवादास्पद मौलवी ने कहा, “जीन्स पहनना, स्कूलों में टॉपलेस होना इस्लाम में अच्छा नहीं माना जाता है। महिलाओं को पर्दा करना चाहिए और पुरुषों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। उसे टाइट कपड़े नहीं पहनने चाहिए और समाज में पुरुषों के सामने अपने शरीर के अंगों को उजागर नहीं करना चाहिए।”

जब अंबर जैदी ने पूछा कि स्कूल और कॉलेज में टॉपलेस होकर कौन जाता है, तो रशीदी ने जवाब दिया कि बहुत सारी लड़कियाँ ऐसा करती हैं। उन्होंने कहा कि वह कॉलेज जाकर लड़कियों को टॉपलेस और अभद्र कपड़े, जींस पहनकर घूमते हुए देख सकती हैं। उन्होंने कहा कि अगर छात्रों को कॉलेजों में जींस पहनने का मौलिक अधिकार है तो उन्हें भी बुर्का पहनने का मौलिक अधिकार है।

मौलाना ने अपने सभी विचार को कुरान पर आधारित बताया। उन्होंने बताया कि इस्लाम का सिद्धांत पूरी तरह से कुरान, हदीस से लिया गया है और जो महिलाएँ हिजाब या बुर्का नहीं पहनती हैं उन्हें इस्लाम का पालन नहीं माना जाता है।

RSS हिजाब की इजाजत नहीं देकर इस्लाम पर हमला कर रहा है: मौलाना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीखी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि ‘RSS के गुंडे’ पहले तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाकर और अब हिजाब की अनुमति नहीं देकर इस्लाम पर हमला करने की कोशिश कर रहे हैं। वीडियो में 17:13 मिनट पर मौलाना कहते हैं, “ये लोग (RSS) भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। वे पूरे देश में गुंडागर्दी करना चाहते हैं। तिरंगे की भी इज्जत नहीं करते। वे केवल भगवा ध्वज मानते हैं।”

उन्होंने कर्नाटक के संस्थानों को भी बहस में घसीटा और कहा कि कॉलेजों ने अभी-अभी RSS के रास्ते पर चलना शुरू किया है। उन्होंने आरोप लगाया, “जिन लड़कों ने हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं का विरोध किया, उन्होंने भगवा दुपट्टा पहना था। ये लोग कौन हैं? वे किस तरह की मिसाल कायम कर रहे हैं? वे (RSS) इस देश को मजहब के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं।” हालाँकि यह आरोप लगाते हुए वह यह बात आसानी से भूल गए कि कर्नाटक हिजाब विवाद की शुरुआत आठ मुस्लिम लड़कियों ने की थी, जिन्होंने कॉलेज के सेम यूनिफॉर्म ड्रेस कोड के नियमों का पालन करने से इनकार किया था।

मुस्लिम जहाँ भी जाएँ अपने ‘मजहब’ का पालन करेंगे: मौलाना रशीदी

उन्होंने संवैधानिक अधिकारों के संदर्भ में इंटरव्यू लेने वाली एक्टिविस्ट अंबर जैदी (जो कि एक मुस्लिम भी हैं) के साथ डिबेट किया। उन्होंने उन पर इस्लाम का पालन न करने का आरोप लगाया और कहा कि आजादी का मतलब यह नहीं है कि मुस्लिम महिलाएँ कुरान में वर्णित अपनी संस्कृति, परंपरा और जीवन के तरीके को भूल जाएँ। उन्होंने अंबर पर स्वतंत्र विचारों को अपनाने का आरोप लगाया और इसे ‘हराम’ कहा।

अपनी इस राय पर कि ‘मुस्लिम महिलाओं को पर्दा करना चाहिए और हिजाब पहनना चाहिए’, उन्होंने कहा कि मुस्लिम जहाँ भी जाएँगे, अपने ‘मजहब’ का पालन करेंगे। वीडियो में 16:40 मिनट में उन्होंने कहा, “जिस समुदाय से मैं संबंध रखता हूँ, वह कॉलेजों, बाजारों और पूरे समाज में इस्लाम का पालन करने में विश्वास करता है। हमें ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता।”

गौरतलब है कि मौलाना रशीदी इससे पहले भी हिंदू विरोधी विवादास्पद बयान दे चुके हैं। अयोध्या में राम मंदिर पर फैसला आने के बाद उन्होंने धमकी देते हुए कहा था कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को तोड़ा जा सकता है। उन्होंने इस्लाम के हवाले से कहा था कि एक मस्जिद हमेशा मस्जिद ही रहेगी और उसे तोड़ा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि मस्जिद को ध्वस्त कर मंदिर बनाया गया, अब मंदिर ध्वस्त कर मस्जिद फिर से बनेगा।

साजिद रशीदी ने कहा था, “इस्लाम कहता है कि एक मस्जिद हमेशा एक मस्जिद होगी। इसे कुछ और बनाने के लिए नहीं तोड़ा जा सकता है। हम मानते हैं कि बाबरी मस्जिद थी और हमेशा एक मस्जिद रहेगी। मंदिर को गिराने के बाद मस्जिद की तामीर नहीं की गई थी लेकिन अब मस्जिद बनाने के लिए हो सकता है मंदिर को तोड़ा जाए।”  

‘हिजाब विवाद’ की शुरुआत कैसे हुई?

बता दें कि हिजाब को लेकर विवाद की शुरुआत उडुपी के एक कॉलेज से हुई थी। जहाँ पिछले दिनों हिजाब पर बैन लगा दिया गया था। हिजाब पहने हुई छात्राओं को गेट पर रोक दिया गया था। इसके बाद एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट में ये कहते हुए याचिका दायर किया था कि हिजाब पहनने की अनुमति न देना असंवैधानिक है। मामले में गुरुवार (10 फरवरी 2022) कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान छात्रों को धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर न देने के लिए कहा गया। मामले की अगली सुनवाई सोमवार (14 फरवरी 2022) को होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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