Tuesday, April 16, 2024
Homeदेश-समाजकॉलेज में धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर न दें, अंतिम फैसले का इंतजार करें:...

कॉलेज में धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर न दें, अंतिम फैसले का इंतजार करें: बुर्का विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट, अब सोमवार को सुनवाई

इस दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पीठ कॉलेजों को खोलने का निर्देश देने वाला आदेश पारित करेगी लेकिन जब तक मामला लंबित है, कोई भी छात्र धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर न दे।

कर्नाटक हाई कोर्ट हिजाब मुद्दे पर सोमवार (14 फरवरी 2022) को फिर से सुनवाई करेगी। गुरुवार (10 फरवरी 2022) को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रितू राज अवस्थी की अध्यक्षता में जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। 

इस दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पीठ कॉलेजों को खोलने का निर्देश देने वाला आदेश पारित करेगी लेकिन जब तक मामला लंबित है, कोई भी छात्र धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर न दे। उन्होंने कहा, “हम सुनवाई के दौरान सभी को धार्मिक प्रथाओं को अपनाने से रोकेंगे।” इसके साथ ही उन्होंने शांति बनाए रखने की भी अपील की और मीडिया को निर्देश दिया कि वह अदालत की मौखिक कार्यवाही की रिपोर्टिंग न करे, बल्कि फाइनल ऑर्डर आने तक इंतजार करे।

इससे पहले बुधवार (9 फरवरी 2022) को कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक HC के जज जस्टिस कृष्ण दीक्षित ने मामले को बड़ी बेंच में भेजने का फैसला किया था। जस्टिस दीक्षित ने कहा था, “इस मामले में अंतरिम राहत के सवाल पर भी बड़ी बेंच विचार करेगी।”

क्या है मामला?

कर्नाटक सरकार ने राज्य में Karnataka Education Act-1983 की धारा 133 लागू कर दी है। इस वजह से अब सभी स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य कर दिया गया है। इसके तहत सरकारी स्कूल और कॉलेज में तो तय यूनिफॉर्म पहनी ही जाएगी, प्राइवेट स्कूल भी अपनी खुद की एक यूनिफॉर्म चुन सकते हैं।

इस फैसले को लेकर विवाद पिछले महीने जनवरी में तब शुरू हुआ था, जब उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज में एंट्री ली थी। विवाद इस बात को लेकर था कि कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मना किया था, लेकिन वे फिर भी पहनकर आ गई थीं। उस विवाद के बाद से ही दूसरे कॉलेजों में भी हिजाब को लेकर बवाल शुरू हो गया। जिसके बाद छात्राओं ने कोर्ट में याचिका दायर किया था।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लालू-राबड़ी के ‘लालटेन युग’ पर PM मोदी का अटैक, कहा- बिहार को RJD की केवल दो देन- जंगलराज और भ्रष्टाचार: घमंडिया गठबंधन की पोल...

पीएम मोदी ने कहा कि दलित, वंचित और पिछड़ों के नाम पर कॉन्ग्रेस और राजद ने सिर्फ अपना राजनीतिक स्वार्थ साधा। दलितों वंचितों और पिछड़ों को अधिकार और सम्मानपूर्ण जीवन NDA ने दिया है।

क्या शशि थरूर हैं ‘गंदा शशि’? करण थापर ने ‘इज्जत’ बचाने को किया था मैसेज, महुआ मोइत्रा के पूर्व बॉयफ्रेंड का दावा: होटल में...

"तुम उनसे पागलपन की हद तक ___ करते हो तो फिर कुछ ऐसा क्यों करना जिससे उसकी इज्जत जाए? इस बारे में सावधानी से सोचो। कम से कम उससे इस बारे में चर्चा तो करो, सब कुछ सार्वजनिक करने से पहले।"

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe