Sunday, September 8, 2024
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प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

इस विधेयक में आगे कहा गया है कि निजी क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण लागू करने के लिए केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए। इसके लिए केंद्र को विशेष रियायतों के जरिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें राष्ट्रीयकृत बैंकों से कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना चाहिए।

उत्तर प्रदेश के नगीना लोकसभा सीट से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने शुक्रवार (26 जुलाई 2024) को लोकसभा में आरक्षण को लेकर एक प्राइवेट बिल किया। इस बिल में उन्होंने अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) के लिए निजी क्षेत्र और उन अन्य प्रतिष्ठानों में आरक्षण की माँग की है।

चंद्रेशेखर ने अपने निजी विधेयक में कहा है कि निजी क्षेत्र के जिन प्रतिष्ठानों में कम-से-कम 20 लोगों को रोजगार मिलता है और सरकार का कोई वित्तीय हित नहीं होता है, उसमें आरक्षण लागू की जाए। इस विधेयक को उन्होंने ‘निजी क्षेत्र में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम, 2024’ नाम दिया है।

इसको लेकर चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट भी किया है। अपने पोस्ट में निर्दलीय सांसद ने लिखा, “आज मैंने लोकसभा में 3 निम्नलिखित गैर-सरकारी विधेयक पेश किए- 1. निजी क्षेत्रों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था। 2. अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के बच्चों के लिए आवासीय स्कूल।3. देश मे सभी बालकों को उच्च एवम् माध्यमिक स्तर तक निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने वाले विद्यालयों की स्थापना।”

    इस विधेयक में आगे कहा गया है कि निजी क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण लागू करने के लिए केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए। इसके लिए केंद्र को विशेष रियायतों के जरिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें राष्ट्रीयकृत बैंकों से कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना चाहिए।

    बता दें कि आरक्षण भारत के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है। जहाँ पिछड़ा एवं दलित वर्ग इसे उनके समाज के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण मानता है, वही सामान्य एवं बुद्धिजीवी वर्ग इसे देश के विकास में एक बाधक के रूप में देखता है, जहाँ प्रतिभा की अनदेखी की जाती है। जाति आधारित आरक्षण के बजाय लोगों का आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की वकालत करते हैं।

    ऐसे में निजी क्षेत्रों में आरक्षण की माँग समाज में एक तरह का विखंडन पैदा करेगा। इसके साथ ही यह निर्णय आर्थिक जगत को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा। आरक्षण के कारण फिलहाल बड़े पैमाने पर ब्रेन ड्रेन (प्रतिभा का दूसरे देशों में पलायन) होता है। अगर निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू कर दिया गया तो उद्योग जगत का अन्य देशों में पलायन की आशंका बढ़ जाएगी।

    इसका परिणाम ये होगा कि समाज में भ्रष्टाचार, हिंसा और अराजकता का माहौल बन जाएगा। इसके साथ ही, आरक्षण के कारण निजी कंपनियों को प्रतिभावान लोगों को दरकिनार करके ऐसे लोगों को नियुक्त करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, जो कंपनी के लिए उत्पादक साबित नहीं होंगे। इससे कंपनी का विकास और उत्थान के साथ-साथ उसकी उत्पादकता में भारी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।

    प्रतिभा के साथ-साथ उद्योग-धंधों का पलायन भारत की प्रगति के लिए बेहद हानिकारक होगा। इसके कारण रोजगार में कमी आएगी और बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ेगी। ये कुछ ऐसे कारण है, जो सीधे तौर पर देखने को मिलेंगे, जबकि इसके अप्रत्यक्ष परिणाम कहीं ज्यादा गंभीर होंगे। समाज में असंतोष, वर्गों के बीच खाई, उद्योग-धंधों के कारण देश के विकास पर विपरीत प्रभाव देखने को मिलेंगे।

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    ऑपइंडिया स्टाफ़
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    कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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