बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और पंजाब ऐसे प्रदेश हैं, जहाँ बीजेपी की सरकार नहीं है। इन राज्यों की सत्ता पर काबिज लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के स्वयंभू ठेकेदार हैं। लेकिन इन राज्यों में ओबीसी वर्ग को उनके कोटे का पूरा फायदा तक नहीं मिल रहा है। यह खुलासा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के सर्वे से हुआ है।
आयोग ने अपनी जाँच में पाया है कि देश के चार राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और राजस्थान में OBC के लिए बनाए गए आरक्षण नियमों का खुले तौर पर उल्लंघन हुआ है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस साल फरवरी से लेकर मई के बीच देश के कई राज्यों का दौरा किया। इस दौरान हुए सर्वे के अनुसार आरक्षण नीतियों में कई तरह की गड़बड़ी देखने को मिली है। NCBC के इस सर्वे से पता चला है कि अन्य पिछड़ा वर्ग की एक बड़ी आबादी को सरकारी नौकरियों और स्कूलों, कॉलेजों में मिलने वाले आरक्षण से वंचित किया जा रहा है।
Opposition-ruled states of West Bengal, Rajasthan, Bihar, Punjab are denying reservation benefits to OBCs, finds National Commission for Backward Classes. @NCBC_INDIA says Rohingyas, Bangladeshi immigrants have got OBC certificates in Bengal. Read in @ETPolitics… pic.twitter.com/UlBZWwmGtV
— BJP OBC MORCHA (@BJP4OBCMorcha) June 9, 2023
पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी और रोहिंग्या को लाभ
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणूमल कॉन्ग्रेस (TMC) की सरकार है। एनसीबीसी के दौरे में सामने आया है कि पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को भी ओबीसी की सूची में शामिल किया गया है। आयोग ने यह भी पाया कि है बंगाल सरकार ने कुल 179 जातियों को ओबीसी का दर्जा दिया है। इसमें से 118 जातियाँ मुस्लिम हैं।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा है कि आयोग के दौरे में यह सामने आया है कि पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर हिंदुओं ने धर्मांतरण कर इस्लाम कबूल किया है। यह जानकारी बंगाल सरकार की संस्था कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट से मिली। हालाँकि जब इस बारे में बंगाल सरकार से लिखित स्पष्टीकरण माँगा गया तो सरकार ने कहा कि कितने लोगों ने धर्मांतरण किया है, इसके स्पष्ट आँकड़े नहीं हैं। हंसराज अहीर ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि पश्चिम बंगाल में ओबीसी के दायरे से बाहर लोगों को भी इस सूची में शामिल किया गया है।
राजस्थान और पंजाब में लागू है गलत आरक्षण नीति
NCBC ने अपने दौरे में यह भी पाया है कि कॉन्ग्रेस की सत्ता वाले राज्य राजस्थान में आरक्षण नीति को सही ढंग से लागू नहीं किया गया था। आयोग ने कहा है कि राजस्थान के सात जिलों में आधिकारिक रूप से एक भी व्यक्ति अन्य पिछड़ा वर्ग से नहीं था। हालाँकि सच्चाई यह है कि ओबीसी आबादी का एक बड़ा वर्ग इन जिलों में रह रहा है।
हंसराज अहीर ने कहा है, “राजस्थान के 7 जिलों में कोई भी जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया गया था। यहाँ गलत तरीके से आरक्षण नीति लागू की गई है। राज्य सरकार ओबीसी प्रमाण-पत्र देने के लिए पूरे परिवार की आय का प्रमाण-पत्र माँग रही थी। इसके चलते कई योग्य लोग गैर-क्रीमी लेयर प्रमाण-पत्र के अयोग्य ठहरा दिए गए।”
एनसीबीसी ने पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार को ओबीसी आरक्षण को 12% से बढ़ाकर 25% करने का भी निर्देश दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में कुल 37% आरक्षण लागू है। इसमें अनुसूचित जाति के लिए 25% और ओबीसी के लिए 12% निर्धारित है। चूँकि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% है। ऐसे में पिछड़ा वर्ग आयोग ने पंजाब सरकार को ओबीसी कोटा में 13% की अतिरिक्त वृद्धि करने का निर्देश दिया है।
बिहार ने ओबीसी आरक्षण के नियमों का किया उल्लंघन
इसी तरह, जेडीयू-आरजेडी के गठबंधन वाली नीतीश कुमार सरकार ने बिहार में आरक्षण लागू करने में कई तरह की विसंगतियाँ देखने को मिलीं। NCBC ने पाया है कि बिहार सरकार कुल आय की गणना के लिए तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कृषि आय को भी शामिल कर रही थी। इस प्रकार, उन्हें गैर क्रीमी लेयर ओबीसी प्रमाण-पत्र दे दिए गए थे। इसके अलावा बिहार में कुर्मी जाति के व्यक्तियों को भी गलत जाति प्रमाण-पत्र दिए जा रहे थे। पिछड़ा वर्ग आयोग ने इसमें संशोधन करने का निर्देश दिया है। बिहार में यह नियम 30 वर्षों (1993-2003) से लागू था। बता दें कि इस दौरान बिहार की सत्ता लालू यादव, राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के हाथों में रही है।