Sunday, November 17, 2024
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उद्योगपतियों के बाद कॉन्ग्रेस के ‘लोकल कोटा’ पर IT इंडस्ट्री भी भड़की, NASSCOM ने कहा- बिल वापस नहीं हुआ तो जाएँगे कर्नाटक से बाहर: कन्नड़ बोलने वालों को प्राइवेट सेक्टर में 50-75% रिजर्वेशन

NASSCOM ने कहा कि इस बिल से राज्य के विकास और कम्पनियों के राज्य से बाहर जाने और स्टार्टअप को मुश्किल में पड़ने का खतरा है। NASSCOM ने कहा है कि इस कानून के कारण कम्पनियों को बाहर जाना पड़ सकता है जिससे उन्हें टैलेंट मिल सके।

कर्नाटक सरकार का कन्नड़ लोगों को निजी नौकरियों में 50-75% तक का आरक्षण देने वाला बिल गले की फांस बनता जा रहा है। प्रमुख कारोबारियों के बाद अब IT कंपनी संगठन NASSCOM (नेशनल असोसिएशन फॉर सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेस कंपनीस) ने भी इस निर्णय अपनी चिंताएँ जाहिर की हैं। NASSCOM ने कर्नाटक सरकार से इस बिल को वापस लेने की माँग की है और कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें राज्य से बाहर जाने का कदम उठाना पड़ सकता है।

NASSCOM ने एक पत्र जारी करके इस नए बिल को लेकर समस्याएँ बताई हैं। इस पत्र में NASSCOM ने कहा, “टेक सेक्टर कर्नाटक की अर्थव्यवस्था और समाज के विकास में बड़ा कारक रहा है। टेक सेक्टर राज्य की GDP में लगभग 25% योगदान देता है और प्रदेश के रफ़्तार से तरक्की में बड़ा सहायक रहा है जिससे राज्य की प्रति व्यक्ति आय देश के औसत से ऊँची हो गई है। राज्य में देश के 30% GCC (ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर) और 11,000 स्टार्टअप हैं।”

NASSCOM ने इस बिल पर चिंता जताते हुए कहा, “इस तरह के बिल बेहद परेशान करने वाला है, यह ना केवल टेक इंडस्ट्री के विकास में बाधा डालेगा, बल्कि यहाँ नौकरियों और कर्नाटक के ब्रांड पर भी असर डालेगा। NASSCOM सदस्य इस बिल के प्रावधानों को लेकर काफी चिंतित हैं और राज्य सरकार से इसे वापस लेने की माँग करते हैं।”

NASSCOM ने कहा कि इस बिल से राज्य के विकास और कम्पनियों के राज्य से बाहर जाने और स्टार्टअप को मुश्किल में पड़ने का खतरा है। NASSCOM ने कहा है कि इस कानून के कारण कम्पनियों को बाहर जाना पड़ सकता है जिससे उन्हें टैलेंट मिल सके।

देश भर की 3200 से अधिक टेक कम्पनियाँ NASSCOM की सदस्य हैं और 245 बिलियन डॉलर (लगभग ₹20 लाख करोड़) की इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करती है। NASSCOM के विरोध के कारण कर्नाटक सरकार पर अब दबाव बन रहा है। NASSCOM से पहले NITI आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कान्त ने भी इस बिल को लेकर चिंताएँ जाहिर की।

उन्होंने कहा, कि यह एक अच्छा कदम नहीं है और इसका देश में IT सेक्टर तंत्र पर नुकसानदेह प्रभाव पड़ेगा। इस कदम से IT सेक्टर बढ़ने की बजाय रुक जाएगा। इससे पहले देश के बड़े कारोबारियों ने भी इस बिल की आलोचना की थी।

BIOCON कि मुखिया किरण मजूमदार शॉ, मनिपाल ग्लोबल सिस्टम के मुखिया TV मोहनदास पाई और युलू के को फाउंडर RK मिश्रा ने इस बिल में खामियां बताई थी। मोहनदास पाई ने इस कानून को अलोकतांत्रिक करार दिया था और इसे वापस लेने की माँग की थी।

गौरतलब है कि मंगलवार (15 जुलाई, 2024) को बेंगलुरु में हुई राज्य कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई है। इस बिल के अनुसार, राज्य में स्थित सभी फैक्ट्रियों और दफ्तरों में नौकरी पर रखे जाने वाले लोग अब कन्नड़ ही होने चाहिए। इस बिल के अनुसार, राज्य में स्थित सभी दफ्तरों और फैक्ट्रियों में काम पर रखे जाने वाले ग्रुप सी और ग्रुप डी (सामान्यतः क्लर्क और चपरासी या फैक्ट्री के कामगार) के 75% लोग कन्नड़ होने चाहिए। इसके अलावा, बिल के अनुसार इससे ऊँची नौकरियों में 50% नौकरियाँ कन्नड़ लोगों को मिलनी चाहिए।

बिल के अनुसार कर्नाटक में जन्मा या कर्नाटक में पिछले 15 वर्षों से रह रहा कोई भी व्यक्ति कन्नड़ माना जाएगा और इसे इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। कन्नड़ आरक्षण का लाभ लेने के लिए व्यक्ति को 12वीं पास होना चाहिए और इस दौरान उसके पास कन्नड़ एक विषय के तौर पर होनी जरूरी है। यदि उसके पास यह नहीं है तो उसे कन्नड़ सीखनी होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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