सच्ची घटनाओं पर आधारित ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द केरला स्टोरी’ फिल्म की सफलता के बाद ‘अजमेर 92 (Ajmer 92)’ फिल्म 14 जुलाई, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। इस बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-i-Hind) ने ‘अजमेर 92’ फिल्म पर बैन लगाने की माँग की है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अनुसार, यह फिल्म दरगाह अजमेर शरीफ को बदनाम करने के उद्देश्य से बनाई गई है। इस पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
जमीयत के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने कहा, “आपराधिक घटनाओं को मजहब से जोड़ने की बजाए इसके खिलाफ एकजुट कार्रवाई करने की जरूरत है। वर्तमान समय में समाज को विभाजित के बहाने खोजे जा रहे हैं। यह फिल्म समाज में दरार पैदा करेगी।”
मदनी के मुताबिक, अजमेर में जिस ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है, उसे हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक और लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाला शांतिदूत कहा जाता है। जिन लोगों ने उनके व्यक्तित्व का अपमान किया या अपमानित करने की कोशिश की, वे खुद अपमानित हुए हैं।
मौलाना मदनी ने कहा कि वर्तमान समय में समाज को विभाजित के बहाने खोजे जा रहे हैं। आपराधिक घटनाओं को मजहब से जोड़ने के लिए फिल्मों और सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है, जो निश्चित रूप से निराशाजनक है। यह हमारी साझा विरासत नुकसान पहुँचाएगा।
मौलाना मदनी ने आगे कहा, “अजमेर की घटना का जो रूप बताया जा रहा है, वह पूरे समाज के लिए बहुत ही पीड़ादायक है। इसके विरुद्ध बिना किसी धर्म और संप्रदाय के सामूहिक कार्रवाई करने की आवश्यकता है, लेकिन हमारे समाज को इस दुखद घटना को सांप्रदायिक रंग देकर इसकी गंभीरता को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। मैं केंद्र सरकार से इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की माँग करता हूँ।”
‘अजमेर 92’ फिल्म
बता दें कि ‘अजमेर 92’ फिल्म 30 साल पहले राजस्थान के अजमेर में हुई सच्ची घटना पर आधारित है। उस वक्त सैकड़ों लड़कियों (100 से भी ज्यादा) की ना सिर्फ न्यूड फोटोज निकाली गई थीं, बल्कि उनके साथ दुष्कर्म भी किया गया। इसके बाद कई लड़कियों ने आत्महत्या कर ली थी। इनमें देश के कई नामचीन रसूखदारों की बेटियाँ भी शामिल थीं। पुष्पेन्द्र सिंह के डायरेक्शन में बनने वाली फिल्म ‘अजमेर 92’ में जरीना वहाब, सयाजी शिंदे, मनोज जोशी और राजेश शर्मा मुख्य भूमिका में हैं। इस फिल्म को उमेश कुमार तिवारी ने प्रोड्यूस किया है।