जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला की हिरासत शनिवार को तीन महीने के लिए और बढ़ा दी गई। अधिकारियों ने बताया कि वह अपने घर में ही रहेंगे जिसे प्रशासन ने जेल घोषित कर रखा है।
National Conference leader Farooq Abdullah’s detention under Public Safety Act, extended for three more months. (File pic) pic.twitter.com/UhtSZQgWo1
— ANI (@ANI) December 14, 2019
गौरतलब है कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के अंतर्गत हिरासत में लिए गए किसी भी शख्स को बिना कोर्ट में पेश किए 2 साल तक रखा जा सकता है। कश्मीर में यह पहला मौका है जब इस एक्ट के तहत मुख्य धारा के नेताओं को गिरफ्तार किया गया। आमतौर पर इस एक्ट का इस्तेमाल आतंकवादियों, अलगाववादियों और पत्थरबाजों के लिए किया जाता रहा है। दिलचस्प यह है कि यह कानून फारूक के पिता शेख अब्दुल्ला ने ही 1978 में लकड़ी तस्करों पर नकेल कसने के लिए बनाया था।
5 अगस्त के बाद इस एक्ट के तहत गिरफ्तार होने वालों में केवल फारूक अब्दुल्ला का नाम नहीं है। इस सूची में उमर अब्दुल्ला, पीडीपी लीडर महबूबा मुफ्ती सहित अन्य नाम शामिल थे, जिन्हें होटल से लेकर सरकारी बंग्लों में नजरबंद रखा गया है।
अभी हाल ही में पीडीपी के एक सांसद ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत नजरबंद अन्य नेताओं को रिहा करने की माँग की थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में एमडीएमके नेता वाइको ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि फारूक को अवैध तरीके से हिरासत में लिया गया।
इसके अलावा फारुक अब्दुल्ला पर आरोप है कि वो अपने भाषणों के ज़रिए अलगाववादी नेताओं और आतंकवादियों का महिमा मंडन कर रहे थे। उन पर आरोप है कि वो अनुच्छेद-370 और 35-A के नाम पर लोगों को देश के ख़िलाफ़ भड़का सकते थे, इससे देश की एकता-अखंडता ख़तरे में पड़ सकती थी। उनकी विचारधारा अलगाववाद और आतंकवाद को समर्थन देने की थी, जिससे आम लोगों का जीवन ख़तरे में पड़ सकता था। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने वाले अनुच्छेद-370 को निष्क्रिय किए जाने के बाद से ही फारूक अब्दुल्ला गुपकार रोड स्थित अपने घर में नज़रबंद हैं।