जम्मू-कश्मीर के रोशनी घोटाला केस में CBI ने जाँच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि ये घोटाला तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपए का है। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने रोशनी एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए इसके तहत बाँटी गई सभी जमीनों का नामांतरण रद्द करने और 6 महीने में जमीनें वापस लेने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने ही एक्ट की आड़ में हुए घोटाले की जाँच CBI को सौंपी थी।
जानकारी के मुताबिक, जाँच एजेंसी ने इस मामले में राज्य सरकार के अधिकारियों को आरोपित बनाया है। घोटाले में जम्मू-कश्मीर के कई पूर्व मंत्री समेत कई नेताओं के नाम सामने आए हैं। इन सबने सरकारी जमीन को अवैध तरीके से अपने नाम करा लिया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इनके नाम अब तक सामने आ चुके हैं;
- इस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पार्टी PDP के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू के भी शामिल होने की पुष्टि हुई है। इसके अलावा उनकी माँ शहजादा भानो, भाई एजाज हुसैन द्राबू और इफ्तिकार अहमद द्राबू के नाम भी सामने आए हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने खुद के नाम के साथ-साथ अपने रिश्तेदारों के नाम पर भी एक-एक कनाल जमीन कर ली।
- कॉन्ग्रेस नेता केके अमला के भी इस घोटाले में शामिल होने की पुष्टि हुई है। केके अमला की रिश्तेदार रचना अमला, वीणा अमला और फकीर चंद अमला के नाम भी इस लिस्ट में शामिल हैं। केके अमला कॉन्ग्रेस के बड़े नेता हैं और श्रीनगर में उनका काफी नामचीन होटल भी है। इन पर भी अपने और अपने रिश्तेदारों के नाम पर भूमि आवंटित कराने का आरोप है। इन्होंने इस एक्ट के तहत 11 कनाल से अधिक सरकारी जमीन अपने नाम की है।
- मुस्ताक अहमद चाया का भी नाम शामिल है। मुस्ताक अहमद चाया कश्मीर के बिजनेस टाइकून और प्रमुख होटल व्यवसायी हैं। उन्होंने इस एक्ट के तहत 10 कनाल 4 मरले भूमि अपने नाम करवाई।
- मोहम्मद शफी पंडित मुख्य सचिव रैंक के ऑफिसर रह चुके हैं। इन्होंने भी अपने और अपने परिवारों के नाम पर काफी जमीन आवंटित कराई है।
- रोशनी घोटाले में पीडीपी नेता सैयद अखून का भी नाम शामिल है। बाहु सुंजवा इलाके में एक कनाल भूमि अपने नाम किया था। बता दें कि जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 के निरस्त किए जाने के बाद सैयद अखून को भी हिरासत में लिया गया था, हालाँकि 19 सितंबर 2019 को इन्हें रिहा कर दिया गया था।
- पूर्व बैंक चेयरमैन एमवाई खान, पूर्व गृह मंत्री सज्जाद किचलू, पूर्व मंत्री अब्दुल मजीद वानी, असलम गोनी सैयद मुजफ्फर आगा, एमवाई खान, अब्दुल मजीन वाणी, असलम गोनी, हरून चौधरी, सुज्जैद किचलू, तनवीर किचलू और कुछ अन्य लोगों का नाम भी आरोपितों में शामिल हैं।
क्या है रोशनी एक्ट भूमि घोटाला?
वर्ष 2001 में तत्कालीन फारूक अब्दुल्ला सरकार ने जम्मू-कश्मीर में यह एक्ट लागू किया था। इस योजना के तहत 1990 से हुए अतिक्रमण को इस एक्ट के दायरे में कट ऑफ सेट किया गया था। सरकार का कहना था कि इसका सीधा फायदा उन किसानों को मिलेगा जो सरकारी जमीन पर कई सालों से खेती कर रहे है। लेकिन नेताओं ने जमीनों पर कब्जे जमाने का काम शुरू कर दिया। वर्ष 2005 में तब की मुफ्ती सरकार ने 2004 के कट ऑफ में छूट दी। उसके बाद गुलाम नबी आजाद ने भी कट ऑफ ईयर को वर्ष 2007 तक के लिए सीमित कर दिया।
कितनी जमीन पर अवैध कब्जे?
जम्मू-कश्मीर में लाखों एकड़ सरकारी जमीन पर नेताओं, पुलिस, प्रशासन और रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अफसरों का कब्जा था। इस एक्ट के जरिए ही करीब ढाई लाख एकड़ जमीन पर कब्जे को कानूनी रूप दे दिया गया। करोड़ों रुपए की ये जमीनें नाम मात्र की कीमतों पर दी गई थीं। शुरुआती जाँच में पता चला है कि राज्य के कई पूर्व मंत्रियों ने खुद के साथ रिश्तेदारों के नाम पर भी कई एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा किया था।