जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सुबनसर हॉस्टल के नजदीक एक सड़क का नाम बदलकर वीर सावरकर मार्ग कर दिया गया। इसे देखने के बाद जेएनयू के वामपंथी छात्र काफी नाराज हुए। वामपंथी छात्रों के संघ ने इस कदम को शर्मनाक कहा। साथ ही सावरकर के नाम पर मार्ग का नाम रखे जाने की निंदा की।
जेएनयूसू की अध्यक्ष आइशी घोष ने अपने ट्विटर हैंडल से इसकी एक तस्वीर शेयर की। इस तस्वीर में साफ दिखा कि सुबनसर हॉस्टल को जाने वाली सड़क को वीडी सावरकर मार्ग नाम दिया गया है।
आइशी घोष ने इसी पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा, “ये जेएनयू की विरासत के लिए शर्म की बात है कि इस आदमी का नाम इस विश्वविद्यालय में रखा गया है। सावरकर और उनके लोगों के लिए विश्वविद्यालय के पास न कभी जगह थी और न ही कभी होगी।”
It’s a shame to the legacy of JNU that this man’s name has been put in this university.
— Aishe (ঐশী) (@aishe_ghosh) March 15, 2020
Never did the university had space for Savarkar and his stooges and never will it have !#RejectHindutva@ndtv @BhimArmyChief @RanaAyyub @SFI_CEC @ttindia @IndiaToday pic.twitter.com/Q81PSkkpzq
जुलाई 2019 में जेएनयू कैंपस डेवलपमेंट कमिटी ने एग्जिक्यूटिव काउंसिल के समक्ष विभिन्न सड़कों के नामकरण के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों व प्रसिद्ध हस्तियों के नामों की सिफारिश की थी। वो थे:
- गुरु रविदास मार्ग (Guru Ravidas Marg)
- वीडी सावरकर मार्ग (V. D. Savarkar Marg)
- रानी अब्बक्का मार्ग (Rani Abbakka Marg)
- अब्दुल हमीद मार्ग (Abdul Hamid Marg)
- महर्षि वाल्मीकि मार्ग (Maharishi Valmiki Marg)
- गार्गी वाचक्नवी मार्ग (Gargi Vachaknavi Marg)
- रानी झाँसी मार्ग (Rani Jhansi Marg)
- महर्षि दयानंद सरस्वती मार्ग (Maharishi Dayananda Saraswati Marg)
- गोपीनाथ बोरदोलोई मार्ग (Gopinath Bordoloi Marg)
- वीर शिवाजी मार्ग (Veer Shivaji Marg)
- महाराणा प्रताप मार्ग (Maharana Pratap Marg)
- सरदार पटेल मार्ग (Sardar Patel Marg)
- लोकमान्य तिलक मार्ग (Lokmanya Tilak Marg)
13 नवंबर 2019 को समिति की उपरोक्त सिफारिशों को विचार और अनुमोदन के लिए आयोजित 283वीं एग्जिक्यूटिव काउंसिल की बैठक से पहले रखा गया था। ज्ञात हो कि काउंसिल ने इन सिफारिशों को मंजूरी दे दी है।
गौरतलब है कि वीर सावरकर को लेकर जेएनयू में मामला गर्माने से पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में भी हंगामा हुआ था। उस समय विनायक दामोदर सावरकर की मूर्ति लगाए जाने को लेकर मामले ने तूल पकड़ा था।
दरअसल, तब तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष शक्ति सिंह ने बगैर अनुमति लिए नॉर्थ कैंपस स्थित आर्ट्स फैकल्टी के गेट पर वीडी सावरकर, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की प्रतिमाएँ लगवा दी थीं। जिसके बाद कई छात्र संगठनों ने इस पर ऐतराज जताया था।
साथ ही कॉन्ग्रेस की छात्र इकाई NSUI ने तो सावरकर की मूर्ति पर काली स्याही तक पोत दी थी और उन्हें जूतों का हार भी पहनाया था। भारी हँगामे के बाद और एनएसयूआई की ऐसी हरकतों को देखते हुए आखिरकार मूर्तियों को वहाँ से हटाना पड़ा था।
#Delhi_University में @ABVPVoice द्वारा लगाई गई वीर सावरकर की प्रतिमा पर @nsui के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अक्षय ने जूते की माला पहनाई और कालिख लगाई.सुरक्षाकर्मी के बीच झड़प भी हुई.उन्होंने शहीद भगत सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस अमर रहे,जिंदाबाद के नारे लगाए @SinghShaktiABVP #Du pic.twitter.com/tGtKFqPWun
— Ganesh pathak (@ganeshpathak10) August 22, 2019
उल्लेखनीय है कि वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, जिन्हें अंग्रेजों ने कालापानी की कठिन सज़ा दी थी। वह हिंदुत्व विचारक और एक प्रखर लेखक भी थे। वह कॉन्ग्रेस के आलोचक थे, जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना पर जोर दिया। उनके सम्मान में पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट का नाम 2002 में ‘वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट’ रखा गया था। साथ ही इंदिरा गाँधी ने भी वीर सावरकर को अपने एक पत्र में भारत का वीर सपूत कहा था।