जेल में बंद गैंगस्टर नाहिद हसन को कैराना से उम्मीदवार बनाकर अखिलेश यादव मुश्किल में घिर गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से समाजवादी पार्टी की मान्यता खत्म करने की माँग करते हुए PIL दाखिल की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि चुनाव में उम्मीदवार तय करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का समाजवादी पार्टी ने उल्लंघन किया है और इसके लिए उसकी मान्यता खत्म की जाए।
The PIL, filed by Advocate Ashwini Upadhyay, also seeks directions to the ECI to de-register the political party which violates the directions of the apex court.
— ANI (@ANI) January 17, 2022
एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर माँग की है कि सपा की मान्यता रद्द करने का निर्देश दिया जाए। उपाध्याय ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यूपी के कैराना से नाहिद हसन को उतारकर सपा ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। उपाध्याय ने कहा, “समाजवादी पार्टी ने कैराना से एक गैंगस्टर को चुनाव मैदान में उतार दिया। उसका क्रिमिनल रिकॉर्ड अपने ट्विटर अकाउंट और वेबसाइट पर सपा ने जारी नहीं किया। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया में भी कोई जानकारी नहीं दी गई।”
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अश्विनी उपाध्याय ने अपनी अर्जी में सुप्रीम कोर्ट से माँग की है कि चुनाव आयोग को आदेश दिया जाए कि वह यह सुनिश्चित करे कि हर पार्टी अपने प्रत्याशियों पर दर्ज मुकदमों के बारे में जानकारी प्रकाशित करे। इसके अलावा अपनी वेबसाइट पर भी यह जानकारी दे कि आखिर आपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसे प्रत्याशी क्यों बनाया गया है।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी ने अपनी पहली सूची में कैराना से हिन्दुओं के पलायन का मास्टरमाइंड गैंगस्टर नाहिद हसन को चुनाव मैदान में उतारा था। उधर, नाहिद हसन को यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद सपा ने उसका टिकट काट दिया है और विरोध के बाद नाहिद की बहन को टिकट दिया है।
बता दें कि नाहिद हसन पर करीब 11 महीने पहले लगाए गए गैंगस्टर एक्ट के तहत हिरासत में है और वह समाजवादी पार्टी से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में नामांकन दाखिल करने वाले पहले उम्मीदवार हैं। 13 फरवरी 2021 को कैराना से दो बार विधायक रहे नाहिद हसन पर शामली पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट लगा दिया था। इसके अलावा भी उसपर कई आपराधिक मामले हैं। जिनमें यूपी पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया है।