Friday, November 15, 2024
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₹200 करोड़ से सीधा ₹6 करोड़: कमलनाथ ने शिवराज की ‘तीर्थ दर्शन योजना’ पर लगाई ब्रेक

शिवराज सरकार ने जगन्नाथपुरी, द्वारका, रामेश्वरम और बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थानों की यात्रा सरकारी ख़र्च पर कराने की व्यवस्था की थी, जो अब मध्य प्रदेश में शायद संभव नहीं हो पाएगा।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना पर कैंची चलाई है। दरअसल, शिवराज सिंह चौहान ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में सरकारी ख़र्चे पर बुज़ुर्गों को तीर्थ यात्रा कराने की योजना तैयार की थी। इस योजना के अमल में आने के बाद से अभी तक क़रीब सवा सात लाख लोग इसका लाभ उठा चुके हैं। अब कमलनाथ के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने इस योजना के पर कतर डाले हैं। मध्य प्रदेश सरकार की ‘तीर्थ दर्शन योजना’ अब एक तरह से अधर में लटक गई है। इसी योजना ने वरिष्ठ नागरिकों के बीच शिवराज सिंह चौहान की छवि मजबूत की थी।

इसके लिए 2018 और 2019 के बजट की तुलना करते हैं। 2018 में भाजपा सरकार ने इस योजना के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया था। जबकि 2019 के बजट में इस योजना के बजट को 30 गुना कम कर दिया गया। इस वर्ष इस योजना के लिए सिर्फ़ 6 करोड़ रुपए ही आवंटित किए गए हैं। कमलनाथ सरकार का यह निर्णय आश्चर्यजनक है क्योंकि मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य में एक बड़ी और महत्वकांक्षी योजना के लिए इतना कम बजट आवंटित करना नई राज्य सरकार की ‘बदले की भावना’ को दिखाती है।

हाँ, जब उत्तर प्रदेश में कुम्भ का आयोजन हुआ था, तब कमलनाथ सरकार ने मध्य प्रदेश के 4 अलग-अलग शहरों से तीर्थ-दर्शन ट्रेनों की व्यवस्था की थी, लेकिन उसके बाद से ऐसी कोई ट्रेन नहीं चलाई गई। आर्थिक तंगी और किसानों की क़र्ज़माफ़ी का हवाला देते हुए सरकार ने तीर्थ दर्शन से जुड़ी योजना के बजट में भारी कटौती की है। शिवराज सरकार की यह योजना 60 वर्ष से ऊपर की आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए थी। 2012 में शुरू की गई इस योजना का लाभ उन लोगों को मिला, जो करदाता नहीं थे। यह योजना इतनी लोकप्रिय हुई कि पड़ोस की छत्तीसगढ़ सरकार ने भी ‘तीरथ बरत’ योजना की शुरुआत की।

अब केंद्र सरकार ने भी ‘प्रवासी भारतीय तीर्थदर्शन योजना’ की शुरुआत की है, जिसकी रूपरेखा शिवराज सरकार की योजना से मिलती-जुलती है। शिवराज सरकार ने जगन्नाथपुरी, द्वारका, रामेश्वरम और बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थानों की यात्रा सरकारी ख़र्च पर कराने की व्यवस्था की थी, जो अब मध्य प्रदेश में शायद संभव नहीं हो पाएगा। पिछले 8 वर्षों में इस योजना पर 700 करोड़ से भी अधिक की राशि ख़र्च की गई थी। इस योजना को धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग द्वारा चलाया जाता था। तीर्थ यात्रा के लिए सरकार स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था करती थी।

अब तक हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णोदेवी, शिर्डी, गया, काशी, अमृतसर, तिरुपति, सम्मेद शिखर, श्रवण बेलगोला वेलगणि चर्च (नागपट्टम), गंगासागर कामाख्या देवी, गिरनारजी, पटना साहिब, उज्जैन, चित्रकूट, महेश्वरुर और अजमेर शरीफ के लिए लोगों को तीर्थ यात्रा का लाभ सरकार दिला चुकी है। यात्रियों को ट्रेन में भोजन, बीमा और उपचार सहित सभी बेसिक सुविधाएँ भी सरकार ही मुहैया कराती थी। राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस सम्बन्ध में चुप्पी साध रखी है। मीडिया रिपोर्ट्स का यह भी मानना है कि सरकार खानापूर्ति के लिए जुलाई में एक ट्रेन चला सकती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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