भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई जब से राज्यसभा सांसद बने हैं सुर्खियों में बने हुए हैं। गगोई ने कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल को लेकर एक सनसनीखेज खुलासा किया है। एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने बताया कि साल 2018 में जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उसके बाद कपिल सिब्बल तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग पर समर्थन माँगने उनके आवास पर पहुँचे थे। लेकिन, पूर्व केंद्रीय मंत्री और वकील सिब्बल को उन्होंने घर में घुसने नहीं दिया था।
टीवी चैनल टाइम्स नाऊ से बातचीत में राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई से जब कपिल सिब्बल को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, “व्यक्तिगत रूप से मैं कपिल सिब्बल पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूँगा। मगर मैं यह जरूर बताना चाहूँगा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस (सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चार जजों की 18 जनवरी, 2018 की प्रेस कॉन्फ्रेंस) के बाद वो मेरे आवास पर आए थे। वह तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट का समर्थन माँगने आए थे। मैंने उन्हें अपने घर में आने ही नहीं दिया था। तब मैं (सुप्रीम कोर्ट जजों के) वरिष्ठता क्रम में तीसरे नंबर पर था।” बता दें कि 2018 में हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले जज थे- जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस रंजन गोगोई।
जब रंजन गोगोई से पत्रकार पूछती हैं कि जब उन्होंने कपिल सिब्बल को घर में घुसने ही नहीं दिया और न ही उनसे बात हो पाई तो उन्हें कैसे पता चला कि वह क्या कहने आए थे? इस पर पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, “क्योंकि शाम में ही एक फोन आया था और मुझसे कहा गया था कि वह (कपिल सिब्बल) इस मुद्दे पर बात करने के लिए मेरे यहाँ आएँगे। मैंने फोन करने वाले व्यक्ति से कह दिया था कि उन्हें मेरे घर में आने की अनुमति मत दीजिए।”
दरअसल जस्टिस गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरफ से राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने पर कपिल सिब्बल ने इसे सरकार की तरफ से उपहार बताते हुए कहा था कि न्यायमूर्ति गोगोई राज्यसभा जाने की खातिर सरकार के साथ खड़े होने और सरकार एवं खुद की ईमानदारी के साथ समझौता करने के लिए याद किए जाएँगे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा कि ऐसा विचार देश के किसी दुश्मन का ही हो सकता है। इस पर जब पत्रकार ने गोगोई से पूछा, “क्या आप कपिल सिब्बल को देश का दुश्मन कहेंगे?” इसी सवाल के जवाब में तो गोगोई ने ऊपर की बातें बताईं।
गोगोई ने 19 मार्च को राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ली थी। इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। सदन का बहिष्कार किया था। उनका विरोध राष्ट्रपति द्वारा उच्च सदन के लिए मनोनीत किए जाने के बाद से ही शुरू हो गया था। एक इंटरव्यू में गोगोई ने कहा था कि एक ‘लॉबी’ के चलते न्यायपालिका की आजादी खतरे में है। यह लॉबी अपने मुताबिक फैसला चाहता है। ऐसा नहीं होने पर जजों की छवि खराब करने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने न्यायपालिका को बंधक बना रखा है। सोचते हैं जब निर्णय उनके मतलब का है तभी वो स्वतंत्र और सही निर्णय है। बाकी टाइम में वही जज, वही न्यायपालिका भ्रष्ट और समझौतावादी दिखने लगती है।
उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका वास्तविक अर्थों में पूरी तरह तब तक स्वतंत्र नहीं होगी जब तक इन लोगों का गढ़ नहीं टूटता। ये जजों को फिरौती देने के लिए पकड़ते हैं। अगर कोई फैसला उनके मनमुताबिक नहीं आता तो वह जज की छवि को खराब करने की हरसंभव कोशिश करते हैं।