Friday, November 15, 2024
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‘हिजाब पहनना मौलिक अधिकार’: मुस्लिमों के समर्थन में उतरे कॉन्ग्रेस नेता सिद्धारमैया, बीजेपी पर लगाया राजनीतिकरण का आरोप

यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने कहा था कि छात्राएँ कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लासरूम में इसकी इजाजत नहीं है। प्रिंसिपल के मुताबिक, कक्षा में एकरूपता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है।

कर्नाटक (Kranataka) के उडुपी जिले के पीयू कॉलेज में हिजाब (Hijab) पहनने को लेकर मुस्लिम लड़कियों के विरोध के बाद अब राज्य में कई अन्य कॉलेजों में भी इसी तरह के फसाद शुरू हो गए हैं। इस बीच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने भी कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने का समर्थन किया है। उन्होंने हिजाब को मुस्लिमों का ‘फंडामेंटल राइट्स’ यानि कि मूलभूत अधिकार करार दिया है।

सिद्धारमैया ने कहा, “मुस्लिम लड़कियाँ शुरू से ही हिजाब पहनती आई हैं। यह उनका मौलिक अधिकार है। क्या वे (छात्र) इससे पहले जब भी स्कूल या कॉलेज जाते थे तो भगवा शॉल पहनते थे? यह राजनीति से प्रेरित है। इसलिए सरकार को स्टैंड लेना चाहिए।” इससे पहले मुस्लिम छात्राओं ने भी हिजाब को मौलिक अधिकार बताया था।

कॉन्ग्रेस नेता सिद्धारमैया ने आगे कहा, “शिक्षा मौलिक अधिकार है। यदि आप उन्हें (मुस्लिम लड़कियों को) स्कूल आने से रोकते हैं तो यह क्या दर्शाता है? क्या यह मौलिक अधिकार का हनन नहीं है? लड़कियाँ मुस्लिम समुदाय से हैं, उन्हें शिक्षा प्राप्त करने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।”

कॉन्ग्रेस नेता ने भाजपा पर मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि यह सब एक महीने से चल रहा है। आखिर सरकार क्या कर रही है? सिद्धारमैया मानते हैं कि ऐसा कोई यूनिफॉर्म नहीं है, जिससे स्टूडेंट को चिपके रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “ऐसा होने पर कुछ भाजपा के लोगों ने भगवा शॉल क्यों पहनना शुरू कर दिया? वह इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना चाहते हैं।”

इस बीच शुक्रवार को भी उडुपी के कुंडापुर भंडारकर कॉलेज में हिजाब पहनी मुस्लिम छात्राओं को कॉलेज में प्रवेश करने से रोक दिया गया। इससे पहले गुरुवार (3 फरवरी 2022) को कुंडापुर कॉलेज में हिजाब पहनी छात्राओं को यह कहकर कॉलेज के अंदर आने से रोक दिया गया था कि शासन के आदेश व कॉलेज के दिशा-निर्देशों के अनुसार वे कक्षाओं में यूनिफॉर्म में आएँ।

कब से चल रहा है ये मामला

पीयू कॉलेज का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने कहा था कि छात्राएँ कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लासरूम में इसकी इजाजत नहीं है। प्रिंसिपल के मुताबिक, कक्षा में एकरूपता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है। इसी क्रम में मुस्लिम छात्रा ने हाई कोर्ट में भी याचिका दायर कर कॉलेज पर भेदभाव का आरोप लगाया था। हालाँकि, इस बीच इस्लामीकरण के प्रतीक हिजाब के विरोध में 2 फरवरी को उडुपी के कुंडापुर सरकारी कॉलेज के 100 से अधिक छात्र भी भगवा तौलिया कंधे पर डालकर कॉलेज पहुँच गए।

भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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