दिल्ली सरकार की शराब नीति के खिलाफ भाजपा सांसद ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने इस याचिका के खिलाफ वकील के तौर पर अभिषेक मनु सिंघवी को खड़ा किया है। भाजपा सांसद ने अभिषेक मनु सिंधवी को काफी महँगा वकील बताते हुए दिल्ली सरकार की आलोचना की है। यह जानकारी उन्होंने आज 28 फरवरी (सोमवार) को दी है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का नाम उन्होंने ‘जनमत प्रेस कॉन्फ़्रेंस’ दिया था।
केजरीवाल की नई शराब नीति के खिलाफ मैंने Highcourt में याचिका दाखिल करी है।
— Parvesh Sahib Singh (@p_sahibsingh) February 28, 2022
केजरीवाल ने शराब नीति को Defend करने के लिए कांग्रेस नेता,वकील अभिषेक मनु सिंघवी को खड़ा किया जिसकी फीस 30 लाख रुपए प्रति Hearing है। मतलब केजरीवाल शराब नीति को बचाने के लिए एक तारीख पर 30 लाख खर्च रहे हैं pic.twitter.com/YngKiRut9i
पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए प्रवेश साहिब सिंह ने कहा, “जहाँ पर ये नीति आ रही है वहाँ पर हमारे संविधान का उल्लंघन है। मैंने व्यक्तिगत तौर पर हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इस याचिका की अब तक 4 सुनवाई हो चुकी है। इसकी अगली तारीख़ 14 मार्च को है। इस याचिका में मैंने नई शराब नीति को चैलेन्ज किया है। जब मैं अदालत की सुनवाई को देखता हूँ तो मुझे काफी ताज्जुब होता है।”
केजरीवाल सरकार की नई दारू नीति से दिल्ली के बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है, दिल्ली की सेहत खराब हो रही है।
— Parvesh Sahib Singh (@p_sahibsingh) February 28, 2022
दिल्ली पुलिस का पिछले 6 महीने का आंकड़ा बताता है की केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति के कारण अपराध और घरेलू हिंसा में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
शर्म करो दिल्ली सरकार!! pic.twitter.com/sH4u6SAn8v
भाजपा सांसद ने आगे कहा, “आम आदमी पार्टी ने इसमें अभिषेक मनु सिंधवी को वकील किया है। अभिषेक मनु सिंधवी एक वरिष्ठ वकील हैं। उनकी फीस 30 लाख रुपए है। इस शराब नीति को बचाने के लिए दिल्ली सरकार हर सुनवाई पर वकीलों पर 30 लाख रुपए खर्च करती है। वो अपनी इस गलती पर पर्दा डाल रही है कि दिल्ली को कैसे बर्बाद करना है।”
भाजपा संसद ने आगे कहा, “अरविंद केजरीवाल सरकार की जनविरोधी शराब नीति के खिलाफ दिल्ली भाजपा एक बड़ा अभियान पूरी दिल्ली में आगामी 4 मार्च से शुरू कर रही है। इस अभियान में दिल्ली की 1000 जगहों पर इस जनमत पत्र के द्वारा 10 लाख लोगों की राय / मत लेंगे।”