केरल में एक वित्तीय भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यह 2018 के बाढ़ राहत कोष से जुड़ा हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार 2018 बाढ़ राहत कोष का पैसा स्थानीय सीपीएम नेता अनवर के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया था। एर्नाकुलम जिला कलेक्टर एस सुहास के अनुसार ऐसा जानबूझकर किया गया।
बाढ़ राहत कोष से 10 लाख रुपए स्थानीय सीपीएम नेता एमए अनवर के खाते में ट्रांसफर किए गए। अनवर थिक्काक्करा सीपीएम लोकल कमेटी से जुड़े हुए हैं। शुरुआती जाँच में मार्च 2019 में कलेक्ट्रेट ऑफिस से बाढ़ राहत कोष के 325 लाभार्थियों के नाम सही नहीं पाए जाने का पता चला। इन फर्जी नामों के लिए जो पैसा आया वो कथित तौर पर सीपीएम नेता अनवर के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया।
इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद जिला कलेक्टर ने बाढ़ राहत विभाग में क्लर्क विष्णुप्रसाद को सस्पेंड कर दिया है। कलेक्टर ने बताया है कि उन्होंने अनवर के अकाउंट से पैसे को ‘रीक्रेडिट’ यानी पैसे की वापसी कर ली है। कलेक्टर ने यह भी जोड़ा कि उनके संज्ञान में ऐसा कोई और मामला नहीं है।
मातृभूमि की रिपोर्ट के मुताबिक विष्णुप्रसाद और उसके दोस्त ने पोलाची में एक पॉल्ट्री फार्म खरीदा। इसका पैसा चुकाने के लिए विष्णुप्रसाद, उसके दोस्त महेश और सीपीएम नेता अनवर ने बाढ़ राहत कोष से डायवर्ट किए गए पैसे का इस्तेमाल किया। इस मामले में जहाँ विष्णुप्रसाद की गिरफ्तारी हो चुकी है वहीं महेश और अनवर अभी फरार हैं।
सोमवार (2 मार्च) को विष्णुप्रसाद को पुलिस ने गिरफ्तार किया। उसका लैपटॉप और हार्ड डिस्क जब्त कर लिया गया। इसके उसको मुवत्तापूझा के विजिलेंस और भ्रष्टाचार निरोधक कोर्ट में पेश किया गया जहाँ से उसे 17 मार्च तक की रिमांड में भेज दिया गया। जिला क्राइम ब्रांच ने अपनी रिपोर्ट में विष्णुप्रसाद के साथ बी महेश और एमए अनवर को सह अभियुक्त बनाया है।
याद रहे कि राज्य में बाढ़ राहत कोष से जुड़ी धांधली का यह पहला मामला नहीं है, इसके पहले भी इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं। 2019 में केरल के लोकायुक्त ने पी विजयन के नेतृत्व वाली राज्य की वामपंथी सरकार के खिलाफ बाढ़ राहत कोष के दुरुपयोग से जुड़ी शिकायतों को जरूरी एक्शन के लिए स्वीकार किया था।
इसके पहले जून 2019 में भी केरल सरकार ने विश्व बैंक के साथ एक 250 मिलियन डॉलर के लोन अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया था। इसका उपयोग बाढ़ के कारण बर्बाद हुए राज्य के आधारभूत ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए किया जाना था। हालाँकि उसी वर्ष नवंबर 2019 में राज्य के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने स्वीकार किया था कि इस पैसे का इस्तेमाल सरकार के रूटीन खर्चों, मसलन सैलरी और पेंशन देने के लिए किया गया।