केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammed Khan) ने रविवार (20 नवंबर, 2022) को कहा कि अगर सरदार वल्लभभाई पटेल 1947 के बाद भारत को एकजुट कर पाए, तो इसका श्रेय वास्तव में ‘केरल के पुत्र’ शंकराचार्य को जाता है। उन्होंने 1000 साल से भी पहले लोगों को अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता से अवगत कराया था। विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति सहित कई मुद्दों पर राज्य सरकार का विरोध करने वाले खान ने ‘पीटीआई’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि केरल ‘ज्ञान की खोज करने वालों’ के लिए बहुत अनुकूल जगह है।
राज्यपाल के मुताबिक, भारत में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता है, लेकिन देश लंबे समय तक राजनीतिक रूप से बँटा रहा।
उत्तर प्रदेश के रहने वाले खान ने कहा कि केरल राज्य की एक महान परंपरा है और यह भारत के सबसे अच्छे राज्यों में से एक है। केरल के समाज, लोगों को श्रेय दिया जाना चाहिए। यह श्री नारायण गुरु जैसे लोग हैं। केरल में एक बहुत ही दमनकारी सामंती व्यवस्था थी। महिलाओं को ऊपरी वस्त्र तक पहनने की अनुमति नहीं थी… जब भी संकट की घड़ी आती है, तो कोई न कोई महान आत्मा सामने आती है।
राज्यपाल के अनुसार, “अगर सरदार पटेल 1947 के बाद भारत को एकजुट कर सके, हम सबसे बड़ा लोकतंत्र बन सके और एक राष्ट्र बन सके, तो इसका श्रेय वास्तव में केरल के बेटे शंकराचार्य को जाता है, जिन्होंने 1000 साल से भी अधिक समय पहले उनकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता के बारे में भारत के लोगों को जागरूक किया। मैं आपसे पहली बार नहीं कह रहा हूँ।”
बता दें कि शंकराचार्य को आदि शंकराचार्य के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 788 ईस्वी में केरल के कालडी में हुआ था। वे अद्वैत दर्शन के विद्वान, ऋषि और प्रतिपादक थे। देश के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में सरदार पटेल को भारत की 560 से अधिक रियासतों के विलय का श्रेय दिया जाता है। केंद्र सरकार सरदार पटेल के जन्मदिन को 31 अक्टूबर को 2014 से ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मना रही है। पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था।