केरल सरकार ने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास करने वाली महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी लेने से इनकार कर दिया था। इस कारण सीपीआई पोलित ब्यूरो की बैठक में मुख्यमंत्री पिनरई विजयन को अन्य वामपंथी नेताओं का कोपभाजन बनना पड़ा था। बाद में सरकार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के हिसाब से सभी काम किए जाएँगे। अब केरल सरकार के मंत्री का बड़ा बयान आया है। केरल देवस्वोम बोर्ड के मंत्री कदकामपल्ली सुरेंद्रन ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के लिए आंदोलन चला रहीं तृप्ति देसाई पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि तृप्ति देसाई और उनके नेतृत्व वाला गैंग केरल में शांति-व्यवस्था भंग करना चाहता है।
केरल के मंत्री ने कहा कि तृप्ति देसाई के आंदोलन के पीछे एक बहुत बड़ी साज़िश है। उन्होंने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने के लिए हंगामा करने वाली अन्य महिलाओं पर भी गंभीर आरोप लगाए। सुरेंद्रन केरल के पर्यटन मंत्री भी हैं। उन्होंने एक्टिविस्ट बिंदु अम्मिणी पर हुए हमले को भी एक साज़िश करार दिया। उन्होंने कहा कि ये सब पूर्व-नियोजित ड्रामा था। बता दें कि बिंदु सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने के लिए जा रही थीं, तभी किसी व्यक्ति ने उनपर मिर्ची स्प्रे से हमला कर दिया था। केरल के मंत्री ने इसे नाटक करार दिया।
Kerala Devaswom Minister Kadakampally Surendran: I suspect that there is a conspiracy by a group led by Trupti Desai to disrupt peace at #Sabarimala. Her coming here & the attack on activist Bindu Ammini were all part of a pre-planned agenda. Govt will not allow this to happen. pic.twitter.com/hQRqRsvHfo
— ANI (@ANI) November 26, 2019
वामपंथी मंत्री ने कहा कि शांति-व्यवस्था भंग करने की इन कोशिशों को केरल सरकार सफल नहीं होने देगी। उन्होंने साफ़ कर दिया कि अगर कोई महिला सबरीमाला में जबरन प्रवेश करना चाहती हैं तो सरकार उसे कोई स्पेशल प्रोटेक्शन नहीं देगी। मंगलवार (नवंबर 26, 2019) को देसाई सहित 5 अन्य महिलाओं ने सबरीमाला मंदिर के भीतर घुसने की फिर से चेष्टा की।
तृप्ति देसाई सहित 6 महिलाएँ कोच्चि सिटी पुलिस कमिश्नर के ऑफिस में काफ़ी देर तक बैठी रहीं। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर लगी रोक को हटा दिया था। इसके बाद श्रद्धालुओं ने भारी विरोध-प्रदर्शन किया। वामपंथी सरकार की पुलिस द्वारा श्रद्धालुओं की पिटाई की कई घटनाएँ सामने आईं। सुप्रीम कोर्ट में कई समीक्षा याचिकाएँ दाखिल की गईं। इन याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी।