अब जब संसद का मॉनसून सत्र अपने अंतिम हफ्ते में पहुँच गया है, केंद्र सरकार ‘अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)’ को लेकर एक बिल लेकर आई है। खास बात ये है कि इस पर विपक्ष भी केंद्र सरकार के साथ है और इसके पक्ष में ही वोट कर रहा है। इस बिल के तहत ‘संविधान के 102वें संशोधन के कुछ प्रावधानों’ को पुनः परिभाषित किया जाएगा। साथ ही राज्यों को पुनः ये अधिकारी दिया जाएगा कि वो OBC वर्ग की पहचान करें।
ये एक ऐसी माँग है, जिसके पक्ष में कई क्षेत्रीय दलों ने आवाज़ उठाई थी। सत्ताधारी राजग गठबंधन के भी कई नेताओं ने ये माँग की थी। संविधान के इस 127वें संशोधन के तहत अनुच्छेद-342A में संशोधन किया जाएगा। इसके खंड-1,2 को संशोधित किया जाएगा। साथ ही एक खंड ‘342 A (3)’ जोड़ा जाएगा, जिसके तहत राज्यों को अधिकार मिलने हैं। इसके लिए 366(26C) और 338B (9) में भी हलके संशोधन की ज़रूरत होगी।
इसके तहत सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) व OBC को चिह्नित करने व इसे लेकर अधिसूचना जारी करने का अधिकार राज्य सरकारों को मिलेगा। इसके लिए उन्हें ‘राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)’ का मुँह नहीं देखना पड़ेगा। राज्य और केंद्र की सूचियों को लेकर कुछ भ्रम था, जिसे दूर किया जा रहा है। कैबिनेट पहले ही इसे हरी झंडी दिखा चुकी है। ऐसे बिल को संसद के दो तिहाई सदस्यों की मौजूदगी में बहुमत से दोनों सदनों में पारित कराना होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण के मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्यों को शैक्षिक व सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को चिह्नित करने का अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार ने इस सम्बन्ध में समीक्षा याचिका दायर कर रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये अधिकार सिर्फ केंद्र के पास है। 2018 के 102वें संविधान संशोधन से ही NCBC को संवैधानिक मान्यता मिली थी। इससे संस्था को OBC के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने व उनकी समीक्षा का अधिकार मिला।
केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि इस संशोधन के माध्यम से राज्यों से ये अधिकार वापस नहीं लिए गए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की परिभाषा के कारण भ्रम पैदा हुआ। इसीलिए, इसमें संशोधन कर के चीजों को स्पष्ट करना ज़रूरी है। राज्यों की सूची को ख़त्म करने का कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि इससे 671 OBC समुदायों के लिए आरक्षण का मार्ग बंद हो जाएगा। इसीलिए, केंद्र सरकार राज्यों को अधिकार दे रही है।
Breakthrough for Centre as opposition agrees to back key OBC bill amid Parliament logjam https://t.co/SuUqWjmhVo
— Republic (@republic) August 9, 2021
अब विपक्ष ये माँग कर सकता है कि आरक्षण के लिए जो 50% वाली बंदिश है, उसे हटाने के लिए कोई प्रावधान लाए जाएँ। विपक्ष लगातार पेगासस के मुद्दे पर चर्चा कर रहा था, लेकिन राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई गई एक बैठक के बाद विपक्षी दलों ने इस संशोधन के समर्थन का निर्णय लिया। खड़गे से साफ़ किया कि इसका अर्थ ये नहीं कि अन्य मुद्दों पर भी सरकार को समर्थन दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बिल के पेश होने पर फ्लोर पर चर्चा भी होनी चाहिए। असल में सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या के बाद ये विपक्षी नेता आरोप लगा रहे थे कि केंद्र सरकार ने OBC वर्गों को नोटिफाई करने का अधिकार राज्यों से छीन कर संघीय ढाँचे को ठेस पहुँचाई है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्री वीरेंद्र कुमार पहले ही कह चुके थे कि सरकार राज्यों के अधिकार को बचाने के लिए कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा कर रही है।