हाल ही में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने इमरान प्रतापगढ़ी को पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे का अध्यक्ष नियुक्त किया। यूपी में कॉन्ग्रेस की प्रभारी और पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी की मुहर के बाद ही निर्णय होते हैं, ऐसे में इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि इमरान प्रतापगढ़ी को आगे बढ़ाने के फैसले पर उनकी छाप है। क्या कॉन्ग्रेस पार्टी अब मुस्लिमों को गोलबंद करने के लिए एक ऐसे CAA-NRC विरोधी कट्टरपंथी चेहरे का सहारा ले रही है, जिसने शायर का मुखौटा ओढ़ रखा है?
33 वर्षीय इमरान प्रतापगढ़ी को अखिलेश यादव की सपा सरकार ने 2016 में ‘यश भारती अवॉर्ड’ से नवाजा था। इमरान प्रतापगढ़ी को उनकी नज्म ‘मदरसा’ और ‘हाँ, मैं कश्मीर हूँ’ जैसे नज्मों के लिए जाना जाता है। ‘मदरसा’ नज्म में उन्होंने इसे आतंकवाद से न जोड़ने की अपील करते हुए इसका महिमामंडन किया है। 2019 में उन्हें कॉन्ग्रेस ने मोरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वो 5% वोट पाने में भी नाकामयाब रहे।
इमरान प्रतापगढ़ी को देश के कई उर्दू मुशायरों में बुलाया जाता है और वो उन्हीं का सहारा लेकर अपना इस्लामी प्रोपेगंडा चलाते हैं। ऐसे ही एक कार्यक्रम में उन्होंने दावा किया था कि सड़क पर जाते मासूम को मार दिया जाता है और खौफ का माहौल बनाया जाता है। कैसे वो अपनी कट्टरवादी पंक्तियों के जरिए मुस्लिमों को भड़का कर उन्हें खून करने की सलाह देते हैं, उसके लिए एक मुशायरे में पढ़ी गई उनकी ये पंक्तियाँ देखिए:
ना बुजदिल की तरह तुम जिंदगी से हार कर मरना
अरे ईमान वालों जुल्म को ललकार कर मरना
कभी जब भेड़ियों का झुंड तुमको घेर ही ले
तो अगर मरना पड़े तो 4/6 को मार कर मरना
यहाँ आप देख सकते हैं कि कैसे वो ‘इमान वालों’ को 4-6 लोगों की हत्या कर के मरने की सलाह दे रहे हैं। इसी तरह शाहीन बाग़ आंदोलन के दौरान महिलाओं और बच्चों से उन्होंने ‘जो हिटलर की चाल चलेगा, वो हिटलर की मौत मरेगा’ का नारा लगवाया था। इस प्रदर्शन में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे। इसी तरह जम्मू कश्मीर को लेकर भी वो प्रोपेगंडा फैलाते रहे हैं और कहते रहे हैं कि वहाँ मुस्लिमों की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण उन पर ‘जुल्म’ होता है।
उन्होंने ऐसे ही एक कार्यक्रम में कहा था कि जम्मू कश्मीर में मुस्लिमों को संगीनों के साए में रखा जाता है। अपनी नज्म के जरिए वो आरोप लगाते हैं कि जम्मू-कश्मीर में मासूम बच्चों को भी उठा लिया जाता है। साथ ही वो जम्मू कश्मीर के हवाले से ही धमकी देते हैं कि अगर ऐसा ही हाल रहा तो ये एक दिन वियतनाम बन जाएगा इसे समझने के लिए उनकी ही नज्म ‘मैं कश्मीर हूँ’ की ये चंद पंक्तियाँ देखिए:
मेरे बच्चे बिलखते रहे भूख से
ये हुई है सियासत की इक चूक से
रोटियां मांगने पर मिलीं गोलियाँ
चुप कराया गया उनको बंदूक से
सलमान खुर्शीद द्वारा मुस्लिम आरक्षण का वादा करना या फिर दिग्विजय सिंह द्वारा बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताना, मुस्लिम वोट बैंक के लिए कॉन्ग्रेस किस हद तक गिर सकती है ये छिपा नहीं है। इमरान प्रतापगढ़ी मुस्लिम समाज के बीच अपनी पैठ बनाने में लगे हैं। इसका विरोध भी हो रहा है। ‘ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशवरत’ के अध्यक्ष नावेद हामिद ने एक ‘प्रोफेशनल शायर’ को कुर्सी दिए जाने पर कॉन्ग्रेस की आलोचना की।
इमरान प्रतापगढ़ी 2019 में कॉन्ग्रेस में आने से पहले सपा और आम आदमी पार्टी के समर्थन रह चुके हैं, ऐसे में पार्टी के भीतर भी उनका विरोध हो रहा है। जिस इमरान मसूद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘बोटी-बोटी’ वाली आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, उसे प्रमोट कर सेक्रेटरी बनाए जाने के बाद ही पता चल गया था कि अपना ‘मुस्लिम कार्ड’ खेलने में कॉन्ग्रेस ने अब और आक्रामक रुख अपना लिया है।
एक अन्य नज्म ‘मदरसा’ के जरिए इमरान प्रतापगढ़ी ने मदरसों का महिमामंडन किया और लोगों के दिल में ये बिठाना चाहा कि मदरसों में बच्चों को कट्टर नहीं बनाया जाता है। इस नज्म में उन्होंने मदरसों को अंग्रेजों की आज़ादी की लड़ाई का हिस्सा बताते हुए लिखा है कि फिरंगियों ने लाख कुरान जलाई, लेकिन किसी के दिल से एक हर्फ़ भी नहीं मिटा पाए। साथ ही मदरसों को मुहब्बत और हमदर्दी का प्रतीक बताया है:
यहाँ कुरआन-ए-पाक की हर लम्हा है तिलावत होती,
जर्रे-जर्रे मे हमदर्दी और मुहब्बत होती,
कभी नहीं हो सकता कत्लेआम मदरसों से,
मत जोड़ो आतंकवाद का नाम मदरसों से,
इसी तरह पुलवामा में जब भारतीय जवानों का बलिदान हुआ था, तब उसके बाद हुए एक मुशायरे में उन्होंने इसके लिए भारत और भारतीय सुरक्षा बलों को ही जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने ‘कातिल घर के आँगन तक पहुँचा है, रखवाले की साजिश हो सकती है’ जैसी पंक्तियों के जरिए भारत को ही कटघड़े में खड़ा किया था। CAA विरोधी आंदोलनों के दौरान मोदी सरकार को इमरान ने भारत के संविधान का ‘कातिल’ करार दिया था।
उसी दौरान एक प्रदर्शन में उन्होंने कहा था, “आधार कार्ड माँगेंगे। पैन कार्ड माँगेंगे? मैं तो उनकी छाती पर खड़े होकर दिल्ली में ऐलान करता हूँ कि आगरा में जाकर देखिए ताजमहल। वही है हमारा आधार कार्ड। आप जहाँ रहते हैं, वहाँ से मात्र ढाई किलोमीटर की दूरी पर खड़ा है कुतुबमीनार। वही है हमारा पैन कार्ड। जाकर देखिए। अगर आपको हमारा जन्म प्रमाण पत्र चाहिए तो जाइए लाल किले को देखिए। वही है हमारा बर्थ सर्टिफिकेट। हमसे हमारा बर्थ प्लेस पूछा जाता है। मोदी जी और अमित शाह जी, जामा मस्जिद की जो सीढियाँ हैं, वही है हमारा जन्मस्थान। जाइए, देख लीजिए।”