कोरोना वायरस महामारी के कारण जारी देशव्यापी लॉकडाउन के बीच भारत में लेबर रिफॉर्म (श्रम कानून) की शुरुआत होती नजर आ रही है। इस दिशा में उतर प्रदेश (UP) और मध्य प्रदेश (MP) की राज्य सरकारों द्वारा प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
मध्य प्रदेश (MP) की शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश (UP) की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अर्थव्यवस्था में आई शिथिलता को दूर करने के लिए श्रम कानून (Labour Law) में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं।
The Uttar Pradesh government has passed an ordinance to suspend most of the labour laws in the state, in order to attract new companies to invest in the state amid the ongoing coronavirus crisis.#IndiaFightsCOVID19 | #StayHomehttps://t.co/v7bcFX3vz2
— CNNNews18 (@CNNnews18) May 8, 2020
मध्य प्रदेश सरकार ने कॉटेज इंडस्ट्री यानी कुटीर उद्योग और छोटे कारोबारों को रोजगार, रजिस्ट्रेशन और जाँच से जुड़े विभिन्न जटिल लेबर नियमों से छुटकारा देने की पहल की है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश सरकार ने कंपनियों और ऑफिस में काम के घंटे बढ़ाने की छूट जैसे अहम फैसले भी लिए हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मौजूद सभी कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को वर्तमान में लागू श्रम अधिनियमों में सशर्त अस्थायी छूट प्रदान करने का फैसला किया है। हालाँकि श्रम कानूनों में बच्चों और महिलाओं से संबंधित प्रावधान जारी रहेंगे।
सोशल मीडिया पर निवेशकों द्वारा सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों की जमकर सराहना हो रही है।
Good job by the PM, FM, UP and MP CMs. Few days ago there was a push wrt APMC reform as well at the state level. Hoping that KA and others join as well. Govt is working on legal side as well. A clear message should go to the world: if you are serious about FDI India is the place.
— Harsh मधुसूदन (@harshmadhusudan) May 7, 2020
कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के दौरान लिए गए यह फैसले अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नए लेबर रिफॉर्म में संबंधित अधिकारी को कंपनियों, दुकानों, ठेकेदारों और बड़े निर्माताओं के लिए पंजीकरण या लाइसेंस की प्रक्रिया को केवल 1 दिन में पूरा करना होगा।
और यदि वह ऐसा नहीं करता है तो सम्बन्धित अधिकारी पर जुर्माना लगेगा और यह ट्रेडर को मुआवजे के तौर पर दे दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में यह प्रक्रिया 30 दिन में पूरी होती है।
‘उत्तर प्रदेश टेंपररी एग्जेम्प्शन फ्रॉम सर्टेन लेबर लॉज ऑर्डिनेंस 2020’
उत्तर प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार (मई 07, 2020) को राज्य में अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के लिए एक अध्यादेश पारित किया, ताकि मौजूदा कोरोना वायरस संकट के बीच राज्य में निवेश करने के लिए नई कंपनियों को आकर्षित किया जा सके।
कुल 38 श्रम कानूनों को निलंबित कर दिया गया है और केवल 4 कानून लागू होंगे जो कि भुगतान अधिनियम, 1936 के भुगतान की धारा 5, वर्कमैन मुआवजा अधिनियम, 1932, बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 और भवन और अन्य निर्माण श्रमिक अधिनियम, 1996 हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि व्यवसायों को लगभग सभी श्रम कानूनों के दायरे से छूट देने का निर्णय लिया गया क्योंकि राज्य में आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियाँ कोरोना वायरस संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
इस बयान में कहा गया है कि मौजूदा व्यवसायों को बढ़ावा देने और राज्य के लिए नई औद्योगिक गतिविधि को आकर्षित करने के लिए, कुछ आवश्यक छूट को अस्थायी आधार पर देनी ही होंगी।
इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 7 मई को अगले 3 साल के लिए कारोबारों को लगभग सभी लेबर लॉ के दायरे से बाहर रखने के लिए ‘उत्तर प्रदेश टेंपररी एग्जेम्प्शन फ्रॉम सर्टेन लेबर लॉज ऑर्डिनेंस 2020’ अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।
इसके बाद अन्य श्रम कानून निष्प्रभावी हो जाएँगे। इनमें औद्योगिक विवादों को निपटाने, व्यावसायिक सुरक्षा, श्रमिकों की स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति और ट्रेड यूनियनों, अनुबंध श्रमिकों और प्रवासी मजदूरों से संबंधित कानून शामिल हैं।
यह मौजूदा व्यवसायों और राज्य में स्थापित होने वाले नए कारखानों दोनों पर लागू होगा। जबकि श्रम कानूनों के बच्चों और महिलाओं से संबंधित प्रावधान भी जारी रहेंगे।
उत्तर प्रदेश पिछले कुछ दिनों में श्रम कानूनों में छूट देने वाला दूसरा भाजपा शासित राज्य है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बृहस्पतिवार (मई 07, 2020) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर घोषणा की कि कारखानों और कार्यालयों में काम कराने की अवधि 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे की गई है।
उन्होंने कहा कि सप्ताह में 72 घंटे तक कार्य कराए जाने की अनुमति होगी। लेकिन इसके लिए श्रमिकों को ओवर टाइम देना होगा।
MP सरकार ने भी लिए बड़े फैसले
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कारखानों में 61 रजिस्टर और 13 रिटर्न भरने के पुरानी जरूरतों को खत्म कर दिया जाएगा। इसकी जगह पर केवल एक रजिस्टर और रिटर्न भरना होगा।
सबसे बड़ी बात यह है कि रिटर्न फाइल करने के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन काफी होगा। इस कदम से कारोबारी सुगमता को बढ़ावा मिलेगा।
Madhya Pradesh brings in labour reforms amid #Covid19 crisis https://t.co/8YOWbVrz6L pic.twitter.com/PABDghy9pG
— Hindustan Times (@htTweets) May 8, 2020
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा श्रम सुधार की दिशा में उठाए गए कुछ अन्य कदम इस तरह हैं –
- स्टार्टअप को अपने उद्योगों का केवल एक बार ही रजिस्ट्रेशन करना होगा।
- कारखाना लाइसेंस रिन्युअल अब हर साल के बजाय हर 10 साल में होगा।
- कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट के तहत कैलेंडर वर्ष की जगह अब लाइसेंस पूरी ठेका अवधि के लिए मिलेगा।
- नए कारखानों के रजिस्ट्रेशन अब पूरी तरह ऑनलाइन होंगे।
- दुकानों के लिए स्थापना अधिनियम में संशोधन किया गया है। यानी, अब प्रदेश में दुकानें सुबह 6 से रात 12 बजे तक खुली रह सकेंगी।
- 100 से कम श्रमिक के साथ काम करने वाले उद्योगों को औद्योगिक नियोजन अधिनियम के प्रावधान से मुक्ति। MSME अपनी जरूरत के हिसाब से श्रमिक रख सकेंगे।
- ट्रेड यूनियन व कारखाना प्रबंधन के बीच विवाद का निपटारा सुविधानुसार अपने स्तर पर ही किया जा सकेगा। इसके लिए लेबर कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी।
- 50 वर्कर्स से कम वाली फर्म्स में कोई इंस्पेक्शन नहीं होगा।
- MSME फर्म्स में इंस्पेक्शन केवल लेबर कमिश्नर की मंजूरी या शिकायत दर्ज किए जाने के मामले में ही होगा।
कॉन्ग्रेस ने बताया काला कानून
कॉन्ग्रेस ने श्रम कानूनों को शिथिल करने के लिए यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना की करते हुए पार्टी के राज्य इकाई प्रमुख अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सरकार केवल बड़े व्यवसायों की परवाह करती है न कि मजदूरों के अधिकारों के बारे में।
कॉन्ग्रेस ने इस फैसले को काला कानून बताते हुए कहा – “यूपी सरकार ने राज्य में मजदूरों के लिए एक काला कानून लाया है और उन्होंने अब तीन साल के लिए मौजूदा श्रम कानूनों को निलंबित कर दिया है।”
अजय कुमार लल्लू ने कहा – “ये कानून श्रमिक अधिकारों के रक्षक थे, लेकिन अब सरकार ने अगले तीन वर्षों के लिए श्रम कानूनों को निलंबित कर दिया है, वास्तव में मजदूरों के अधिकारों को छीन लिया गया है।”