लैंड फॉर जॉब्स यानी जमीन के बदले नौकरी घोटाले में राजद (RJD) नेताओं के घर बुधवार को हुई सीबीआई (CBI) की छापेमारी के बाद बिहार (Bihar) की सियासत गरमा गई है। इस बड़े घोटाले से जुड़ी एक और रिपोर्ट सामने आयी है। इस रिपोर्ट में जमीन देकर नौकरी लेने के मामले में 1458 उम्मीदवारों के नाम सामने आए हैं।
न्यूज 18 ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि इस घोटाले से संबंधित सीबीआई को बेहद महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। ये सबूत एक हार्ड डिस्क में हैं। बताया जा रहा है कि इस हार्ड डिस्क में उन 1458 लोगों की सूची है, जिन्होंने कथित रूप से रेलवे में नौकरी करने के बदले तत्कालीन रेलमंत्री लालू यादव (Lalu Yadav) के परिवार के लोगों को जमीन दे दी थी।
#BreakingNews | Top CBI sources to CNN News18 | Mega #Exclusive: There are over 1 thousand cases related to Land for Job scam#Bihar #landforjob #LaluPrasadYadav
— News18 (@CNNnews18) August 25, 2022
(Exclusive Input: @manojkumargupta)@Ashish_Mehrishi shares details
Join the broadcast with @ridhimb pic.twitter.com/JHJTMpQIZr
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि यह पूरी सूची लालू यादव के बेटे और बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने तैयार की थी। तेजस्वी के खिलाफ भी सीबीआई के पास कई ठोस सबूत होने की बात कही जा रही है। ऐसे में अब उन पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
यही नहीं, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीबीआई ने अब तक इस सूची के 16 लोगों का वेरिफिकेशन भी किया है और ये सभी सही पाए गए हैं। इसलिए, सीबीआई आगे बढ़ते हुए इस हार्ड डिस्क के बाकी नामों की भी जाँच कर रही है।
न्यूज 18 ने दावा किया है कि पूर्व रेल मंत्री लालू यादव के तत्कालीन ओएसडी भोला यादव ने सीबीआई की पूछताछ में इस बात का भी खुलासा किया है कि फर्जी दस्तावेज होने के बाद भी कई उम्मीदवारों को रेलवे में नौकरी दी गई थी। इन सबके बदले उम्मीदवारों ने लालू प्रसाद यादव के परिवार को अपनी जमीन ‘उपहार’ में दे दी थी।
रिपब्लिक वर्ल्ड ने भी अपनी एक रिपोर्ट में इस घोटाले को लेकर दावा किया है कि कुछ दस्तावेज उसके सामने आए हैं। इन दस्तावेजों में लाभार्थी के रूप में लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के हस्ताक्षर हैं। वहीं, गवाह के रूप में लालू यादव के पूर्व ओएसडी भोला यादव के हस्ताक्षर हैं। भोला यादव को इस मामले में पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
गौरतलब है कि यह पूरा घोटाला यूपीए-1 के समय का है। यूपीए-1 में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और लालू यादव के पास रेल मंत्रालय था। अपने मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए उन्होंने लोगों को जमीन के बदले रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में ‘ग्रुप डी’ की नौकरियाँ दीं थीं।
लालू परिवार को हासिल हुई थी 1 लाख वर्ग फुट से अधिक जमीन
इस घोटाले में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है, “जाँच में पता चला है कि पटना में स्थित लगभग 1,05,292 वर्ग फुट जमीन लालू यादव के परिवार के सदस्यों द्वारा अधिग्रहित की गई थी। दिलचस्प बात यह है कि भूमि हस्तांतरण के ज्यादातर मामलों में विक्रेताओं को भुगतान नकद में दिखाया गया था। मौजूदा सर्किल रेट के मुताबिक जमीन की मौजूदा करीब 4.39 करोड़ रुपए है।”
बता दें कि इस घोटाले की जाँच में सीबीआई ने 24 अगस्त को राजद के चार नेताओं के घरों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी राजद के एमएलसी सुनील सिंह, राज्यसभा सांसद अशफाक करीम, फैयाज अहमद और पूर्व एमएलसी सुबोध राय के ठिकानों पर हुई थी।