सालों से एक अदालत टीवी पर भी लगती है। नाम है- आप की अदालत। इंडिया टीवी पर प्रसारित पत्रकार रजत शर्मा के इस शो में इस बार केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू कठघरे में बैठे थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि अदालतों और जजों के लिए जो काम मोदी सरकार ने किए हैं वे पहले कभी नहीं हुए। फिर भी न्यायपालिका को हाईजैक करने के आरोप उन पर लगाए जाते हैं।
रिजिजू ने कहा है कि जो लोग न्यायपालिका पर कंट्रोल का आरोप लगा रहे हैं, उनकी सोच में दिक्कत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अदालतों और न्यायाधीशों की सुविधाओं में सुधार के लिए बहुत काम किया है। शर्मा ने उनसे सवाल किया था कि आप अदालत को कंट्रोल करना चाहते हैं।
जवाब में केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा, “अदालतों को कंट्रोल नहीं कर सकते। इस बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। मोदी जी ने साढ़े आठ साल में अदालतों और जजों की सुविधाओं को बढ़ाया है। कोर्ट हॉल, वकीलों के चैंबर आदि बनाने के लिए मुश्किल से 1000-2000 करोड़ रुपए मिलते थे। मोदी सरकार ने अगले 4 सालों में अदालतों में अलग-अलग सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए 9,000 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।” आप 14 मिनट के बाद इस बातचीत को सुन सकते हैं।
रिजिजू ने कहा, “मोदी सरकार ने अदालतों के लिए जो काम किया है, उसका आधा भी किसी और सरकार ने नहीं किया। हमने न्यायपालिका के लिए इतना कुछ किया है, इसके बाद भी हम पर आरोप लगाया जा रहा है कि हम न्यायपालिका पर कब्जा करना चाह रहे हैं। यह सोचना भी गलत है। अगर कोई ऐसा कहता है तो उसकी सोच में दिक्कत है।”
कानून मंत्री ने यह भी कहा है कि न्यायपालिका पर नियंत्रण करने की चर्चा पहली बार इंदिरा गाँधी के समय में हुई थी। उस समय सीनियर जजों की वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए एक जूनियर को सीनियर जज बनाया गया था। उसी समय आपातकाल भी घोषित किया गया था। अदालतों पर पूरी तरह से कंट्रोल था। वो लोग अब आरोप लगा रहे हैं कि सरकार अदालतों पर कंट्रोल करना चाहते हैं।
रजत शर्मा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल आरोप लगाते हैं कि बीजेपी ने सभी संस्थानों सीबीआई, ईडी पर कब्जा कर लिया है। अब न्यायपालिका पर भी कब्जा करना चाहते हैं। इस पर रिजिजू ने कहा है, “अरविंद केजरीवाल को सीरियस न लें। वह ऐसे ही कुछ भी कह देते हैं। उन्हें याद भी नहीं रहता होगा कि उन्होंने क्या कहा है।”
रजत शर्मा ने राहुल गाँधी का जिक्र करते हुए पूछा कि वे आरोप लगाते हैं कि अदालत सभी फैसले आपके फेवर में देती है। इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, “राहुल गाँधी को बातें कहने के लिए चिट दी जाती हैं। उनके सलाहकार जैसा कहते हैं, राहुल गाँधी वैसा ही बोल देते हैं। अगर वहाँ से भटक गए तो फँस जाते हैं। उनकी पार्टी उन्हें बचाने में 24 घंटे लगी रहती है। उनकी बातों से भाजपा को नहीं, बल्कि देश को नुकसान होता है।”
कानून मंत्री ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को जजशिप के लिए अनुशंसित उम्मीदवारों के बारे में खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गई गोपनीय जानकारी का खुलासा नहीं करना चाहिए था। कॉलेजियम ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) द्वारा बताए गए बयानों को प्रकाशित किया था। इसमें, यह बताया गया था कि सरकार जजशिप के लिए कुछ व्यक्तियों की उम्मीदवारी का विरोध क्यों कर रही है।
इसको लेकर रजत शर्मा ने कहा कि न्यायाधीशों ने इसे सार्वजनिक किया है। न्यायाधीशों का कहना है कि यह पारदर्शिता के लिए है। इस पर रिजिजू ने जवाब दिया, “पारदर्शिता का पैमाना हमेशा अलग होता है। कुछ चीजें राष्ट्रीय हित में होती हैं, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए और कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें सार्वजनिक तौर पर कहा जाना चाहिए। यह नियम स्पष्ट है।”
उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर अब कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे। उचित मंच पर इसका समाधान करेंगे। उन्होंने जजों की छुट्टियों की वकालत करते हुए कहा है कि भारत के जजों की तुलना विदेश के जजों से नहीं की जा सकती। भारतीय जजों पर काम का बोझ कई गुना ज्यादा होता है।