Sunday, September 1, 2024
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रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल पनाग करेंगे मोदी की अगली सरकार के खिलाफ ‘इंकलाब’?

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) पनाग पहले भी सेना के मुद्दे पर, वह भी जवानों की मृत्यु पर, राजनीतिक भाषा और शैली वाले ट्वीट कर चुके हैं। अरुणाचल के हेलीकॉप्टर हादसे में मारे गए वायुसेना के जवानों के शवों को लेकर...

पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल हरचरणजीत सिंह पनाग ने सोशल मीडिया पर बहुत ही बेतुकी बात लिखी है। अपने ट्विटर अकाउंट पर उन्होंने मोदी को हटाने के लिए ‘तख्तापलट’ (coup) की बात करने वाले एक ट्वीट का जवाब देते हुए ‘इंकलाब!’ लिख दिया। इसे ट्विटर पर मोदी सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को उनकी सहमति माना जा रहा है।

पहले कहा ‘इंकलाब’, बाद में ‘राजनीतिक इंकलाब’

राहुल शर्मा (s24_rahul) नामक एक ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया था कि अगर मोदी दोबारा चुनाव जीत गए तो उन्हें हटाने के लिए विद्रोह, यहाँ तक कि तख्तापलट करना होगा। इसके जवाब में जनरल पनाग ने लिखा, “इंकलाब!”

इसे ट्विटर पर अधिकाँश लोगों ने देश में लोकतान्त्रिक तरीके से आ रहे संभावित जनादेश के खिलाफ विद्रोह माना। और पनाग की आलोचना शुरू हो गई। ट्विटर पर कई लोगों ने उनकी आलोचना शुरू कर दी।

जब मामला बढ़ने लगा तो परम विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजे जा चुके जनरल साहब रक्षात्मक मुद्रा में आ गए। उन्होंने वह ट्वीट डिलीट कर दिया। साथ ही सफाई देनी शुरू कर दी कि उनका वह मतलब नहीं था जो समझा और प्रसारित किया जा रहा है। उनका अर्थ हिंसात्मक विद्रोह नहीं, राजनीतिक इंकलाब से था।

पहले भी कर चुके हैं सेना का राजनीतिकरण

जहाँ अधिकाँश राजनीतिक दल और मीडिया भी सेना का सीधे-सीधे राजनीतकरण करते दिखने से बचते हैं, लेफ्टिनेंट जनरल पनाग पहले भी सेना के मुद्दे पर, वह भी जवानों की मृत्यु पर, राजनीतिक भाषा और शैली वाले ट्वीट कर चुके हैं। लगभग डेढ़ साल पहले (अक्टूबर 2017 में) अरुणाचल के हेलीकॉप्टर हादसे में मारे गए वायुसेना के जवानों के शवों को लेकर जनरल पनाग ने भ्रामक ट्वीट किया था। उन्होंने अपने ट्वीट से ऐसा जताने की कोशिश की थी मानो सरकार अपनी मर्जी से या कंजूसी में बलिदानी जवानों के शव कार्डबोर्ड के डब्बों में भरकर ला रही है। जबकि सच्चाई यह थी कि ऐसा अरुणाचल के बिगड़ते मौसम की मजबूरियों के चलते किया गया था। हालाँकि कुछ समय में एक अन्य रिटायर्ड सैन्यकर्मी ने ही जनरल पनाग को सोशल मीडिया पर स्पष्टीकरण दे दिया, लेकिन तब तक स्वाति चतुर्वेदी जैसे ट्रॉलों को ताली बजाने का मौका मिल चुका था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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