नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लोकसभा से पास हो गया है। इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े हैं। वहीं विपक्ष में 80 वोट पड़े। लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने हंगामा किया और केंद्र सरकार के सामने सवाल रखे, जिसका जवाब गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में दिया। नागरिकता संशोधन बिल के लोकसभा से पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ की। इस दौरान अमित शाह ने एक बार फिर से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पर जोर दिया और जल्द ही उसके आने की संभावना जताई।
लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर करीब 14 घंटे तक बहस हुई। विपक्षी दलों ने बिल को धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया। गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब में कहा कि यह बिल यातनाओं से मुक्ति का दस्तावेज है और भारतीय मुस्लिमों का इससे कोई लेना-देना नहीं है। शाह ने कहा कि यह बिल केवल 3 देशों से प्रताड़ित होकर भारत आए अल्पसंख्यकों के लिए है और इन देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं, क्योंकि वहाँ का राष्ट्रीय धर्म ही इस्लाम है। लोकसभा में पास होने का बाद अब यह विधेयक राज्यसभा में पेश होगा।
बता दें कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को इस बिल में नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इस बिल में इन तीनों देशों से आने वाले हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रस्ताव है। जेडीयू और एलजेपी जैसी सहयोगी पार्टियों ने बिल के पक्ष में वोट किया। वहीं शिवसेना, बीजेडी और वाईएसआर कॉन्ग्रेस जैसी गैर-NDA पार्टियों ने भी बिल के पक्ष में ही वोट दिया।
जेडीयू, बीजेडी और वाईएसआर कॉन्ग्रेस जैसे दलों की ओर से लोकसभा में बिल का समर्थन किए जाने के बाद अब उच्च सदन से भी इसके पास होने की उम्मीद बढ़ गई है। इससे पहले बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक लाखों करोड़ों लोगों को यातना से मुक्ति देगा। उन्होंने कहा कि यह बिल किसी समुदाय विशेष के लिए नहीं है बल्कि अल्पसंख्यकों के लिए है। अमित शाह ने कहा कि ये बिल .001% भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है।
अमित शाह ने कहा कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 पर्सेंट थी, लेकिन 2011 में 3.7 पर्सेंट हो गई। बांग्लादेश में 47 में 22 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी थी, लेकिन 2011 में यह 7.8 पर्सेंट हो गई। आखिर ये लोग कहाँ चले गए? या तो मार दिए गए या भगा दिए गए या फिर इनका धर्मांतरण करा दिया गया। आखिर उनका क्या दोष था? हम चाहते हैं कि इन लोगों का सम्मान बना रहे।
नागरिकता संशोधन बिल पर बहस के दौरान अमित शाह ने कॉन्ग्रेस पर जमकर हमला बोला। गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि कॉन्ग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का बँटवारा होने दिया। उन्होंने कहा, “आखिर आज इस बिल की जरूरत क्यों है? आजादी के बाद यदि कॉन्ग्रेस धर्म के आधार पर देश का बँटवारा नहीं की होती तो इस बिल की जरूरत ही नहीं पड़ती, कॉन्ग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बँटने दिया।”
अमित शाह ने आगे कहा कि किसी भी तरीके से ये बिल गैर संवैधानिक नहीं है। न ही ये बिल अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। धर्म के आधार पर ही देश का विभाजन हुआ था। देश का विभाजन धर्म के आधार पर न होता तो अच्छा होता और चूँकि पड़ोसी देशों में मुस्लिमों के खिलाफ धार्मिक प्रताड़ना नहीं होती है, इसलिए इस बिल का फायदा उन्हें नहीं मिल सकता है।
अमित शाह ने कहा कि हर किसी ने आर्टिकल 14 के बारे में बात कही है, लेकिन ये आर्टिकल कानून बनाने से नहीं रोक सकता है। ऐसा नहीं है कि पहली बार नागरिकता के लिए इसका निर्णय हो रहा है, 1971 में इंदिरा गाँधी ने निर्णय लिया कि बांग्लादेश से जितने लोग आए हैं उन्हें नागरिकता दी जाएगी, तो फिर पाकिस्तान को लेकर क्यों नहीं दी जाएगी? गृह मंत्री ने कहा कि 1971 के बाद भी आज बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
इस दौरान अमित शाह ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश के संविधान के बारे में बताया और कहा कि ये तीनों इस्लामिक देश हैं। पार्टिशन के वक्त कई लोग इधर आए गए, तब नेहरु-लियाकत समझौता हुआ, उसमें दोनों देशों ने अपने यहाँ अल्पसंख्यकों के अधिकार की बात हुई। भारत मे तो अधिकार मिले लेकिन इन तीनों जगह नहीं हुआ।
वहीं लोकसभा में नागरिकता अधिनियम (संशोधन) विधेयक पर बहस के दौरान सदन को शर्मसार करते हुए ऑल इंडिया मजलिस उल इत्तिहाद अल मुसलमीन (AIMIM) के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने सदन के पटल पर रखे गए बिल के मसौदे की कॉपी फाड़ दी। साथ ही उन्होंने इसे करोड़ों यहूदियों, समलैंगिकों, कम्युनिस्टों की हत्या का आदेश देने वाले जर्मन तानाशाह हिटलर के कानूनों से भी बदतर बताया।
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