उत्तर प्रदेश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज राज्यमंत्री मोहसिन रज़ा ने योजना भवन में आयोजित बैठक में लखनऊ हज हाउस का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा। फ़िलहाल, हज हाउस का नाम मौलाना अली मियाँ के नाम पर है। इसके अलावा उन्होंने ग़ाज़ियाबाद और वाराणसी हज हाउस के नाम बदलने के लिए भी प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश हज समिति को दिया है।
इसकी जानकारी उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से दी। इसमें उन्होंने लिखा, “लखनऊ में उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की बैठक में हज हाउस लखनऊ का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखने तथा ग़ाज़ियाबाद एवं वाराणसी हज हाउस के भी नाम बदलने के लिए हज समिति से प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए।”
योजना भवन, लखनऊ में उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की बैठक में हज हॉउस लखनऊ का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए० पी० जे०अब्दुल कलाम जी के नाम तथा ग़ाज़ियाबाद एवं वाराणसी के भी नाम बदलने के लिए हज समिति से प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये।
— Mohsin Raza (@Mohsinrazabjpup) 16 October 2019
ख़बर के अनुसार, वाराणसी और ग़ाज़ियाबाद के हज हाउस का नाम शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खां और देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल आज़ाद के नाम पर रखा जाएगा। राज्यमंत्री रज़ा का कहना है कि हज हाउस का नामकरण महापुरुषों के नाम पर होना चाहिए, जो पूरे देश में आदर्श हों। इन महापुरुषों के ज़रिए आम लोगों और युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है, उनसे प्रेरित होकर लोगों के मन में कुछ कर गुज़रने का जज़्बा पैदा होगा।
उन्होंने कहा कि जहाँ लखनऊ के हज हाउस का नाम बदलने का प्रस्ताव तैयार हो गया है, वहीं वाराणसी और ग़ाज़ियाबाद के हज हाउस नए बने हैं। उनका नाम भी मशहूर हस्तियों के नाम पर रखने का फ़ैसला किया गया है। बता दें कि हज समिति का यह प्रस्ताव कैबिनेट में जाएगा। इस पर अंतिम मुहर कैबिनेट ही लगाएगी।
जानकारी के अनुसार, इस मामले में मुस्लिम धर्म गुरू मौलाना ख़ालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हज हाउस के नामकरण में ऐसी प्रथा रही है कि जिस शख़्स ने जिस क्षेत्र में ख़्याति प्राप्त की हो, उसके नाम पर ही उस क्षेत्र के संस्थानों और इमारतों आदि का नाम रखा जाता है। मौलाना अली मियाँ नदवी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि धार्मिक क्षेत्र में नदवी ने कई बड़े काम किए हैं, उनकी लिखीं तमाम धार्मिक किताबें आज भी संस्थानों में पढ़ाई जाती हैं। इस वजह से लखनऊ के हज हाउस का नाम उनके नाम पर रखा गया था।
मौलाना महली ने तर्क़ देते हुआ कहा कि लखनऊ हज हाउस का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखने की बजाए अच्छा होता अगर उनके नाम से कोई नया साइंटिफ़िक सेंटर बनाया जाता।