Sunday, March 2, 2025
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‘अजित पवार की बगावत बालू पर गधे के मूतने पर हुई गंदगी जैसी हो गई है’

कल भी अजित पवार और भाजपा पर हमलावर होते हुए शिव सेना ने सामना में लिखा था कि अजित पवार की यह कथित बगावत बालू पर गधे के मूतने पर हुई गंदगी जैसी हो गई है।

महाराष्ट्र की सत्ता हाथ से जाती देख कर बौखलाई शिव सेना की हताशा उसके मुखपत्र सामना के सम्पादकीय में छलक रही है। पूर्व में साथी रही भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तो सामना के निशाने पर थे ही, अब शिव सेना ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी हमले को धार देना शुरू कर दिया है। आज के सम्पादकीय में उन पर शिव सेना ने आरोप लगाया है कि गवर्नर ने यह जानते हुए कि अजित पवार ने कथित तौर पर नकली हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र सौंपा है, राज्यपाल ने उसे स्वीकार कर लिया था।

इसके अलावा गवर्नर और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री कोश्यारी की तुलना क्रान्तिकारी भगत सिंह से करते हुए शिव सेना ने सामना में कहा है कि एक भगत सिंह (क्रांतिकारी) देश के लिए फाँसी पर चढ़ गए और दूसरे “भगत सिंह (कोश्यारी) के हस्ताक्षर से रात के अंधेरे में लोकतंत्र और आजादी को वध स्तंभ पर चढ़ा दिया गया।” गौरतलब है कि सामना के प्रमुख सम्पादक शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और कार्यकारी सम्पादक शिव सेना के राजयसभा सांसद और प्रवक्ता संजय राउत हैं।

यही नहीं, सामना में अजित पवार पर हमला करने के लिए शरद पवार की तारीफ में भी कसीदे पढ़े गए हैं। उनके कॉन्ग्रेस छोड़ने, नई पार्टी बनाने और संसदीय राजनीति में 50 साल तक टिके रहने की तारीफ करने के अलावा लेख में कहा गया है, “कई गर्मियां-बरसात और तूफान झेलकर वे खड़े रहे। लेकिन भाजपा द्वारा मुकदमा दायर करते ही और ‘ईडी’ के नाम पर ब्लैकमेल करते ही अजीत पवार ने शरद पवार की राजनीतिक इस्टेट में सेंध लगा दी और वहां का माल चुराकर वे भाजपा के खेमे में चले गए।”

इसके पहले कल भी अजित पवार और भाजपा पर हमलावर होते हुए शिव सेना ने सामना में लिखा था कि अजित पवार की यह कथित बगावत बालू पर गधे के मूतने पर हुई गंदगी जैसी हो गई है। महाराष्ट्र में जो कुछ हो रहा है उसे ‘नाटक’ कहना रंगमंच का अपमान है। पहले उन्होंने (बीजेपी) शिवसेना जैसा मित्र खो दिया और अब वे शातिर चोर की तरह रात के अंधेरे में अपराध कर रहे हैं।

इसी लेख में अजित पवार की तुलना गधे के अलावा भैंसे से करते हुए कहा गया था, “अजित पवार के रूप में उन्होंने एक भैंसे को अपने बाड़े में लाकर बाँध दिया है और भैंसे से दूध दुहने के लिए ‘ऑपरेशन कमल’ योजना बनाई है। यही लोग सत्ता ही उद्देश्य नहीं है, ऐसा प्रवचन झाड़ते हुए नैतिकता बघार रहे थे। अब तुम्हारे पास बहुमत है ये देखकर ही राज्यपाल ने शपथ दिलाई है, ऐसा तुम कह रहे हो न? तो फिर ‘ऑपरेशन कमल’ जैसी ‘उठाईगिरी’ क्यों? हम उन्हें इस उठाईगिरी और भैंसागिरी के लिए शुभकामनाएँ देते हैं।”

उसमें यह भी था कि भाजपा के साथ जाकर अजित पवार ने राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस के विधायकों को फँसाया है। भाजपा ने अजित पवार को फँसाया और सबने मिलकर महाराष्ट्र को फँसाया। इस धोखाधड़ी में राजभवन का दुरुपयोग हुआ।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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