महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने वर्सोवा-बांद्रा सी लिंक का नाम बदलकर वीर सावरकर सेतु और मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का नाम बदलकर अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति न्हावा शेवा अटल सेतु कर दिया है। वहीं, मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) पर अध्याय शामिल करेगी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, हमने वर्सोवा-बांद्रा सी लिंक का नाम बदलकर वीर सावरकर सेतु और मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का नाम बदलकर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में अटल सेतु कर दिया गया है।”
इसके अलावा, सीएम शिंदे ने आगे कहा, “हमने महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना की सीमा 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का भी बड़ा निर्णय लिया है। यह पीले और केसरी राशन कार्ड धारक तक सीमित नहीं रहेगी। इसका लाभ राज्य के सभी लोगों को दिया जाएगा।”
#WATCH | We've renamed Versova–Bandra Sea Link as Veer Savarkar Setu and Mumbai Trans Harbour Link renamed as Atal Bihari Vajpayee Smruti Nhava Sheva Atal Setu. We've also taken a big decision to increase the limit of Mahatma Jyotirao Phule Jan Arogya Yojana from Rs 2 lakh to Rs… pic.twitter.com/WEloA0hmMw
— ANI (@ANI) June 28, 2023
उधर, मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने सावरकर, भगवद्गीता, परशुराम, भगत सिंह जैसे महापुरुषों से संबंधित अध्याय को स्कूली पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने इसकी घोषणा की है।
मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा, “दुर्भाग्य से कॉन्ग्रेस ने भारत के सच्चे क्रांतिकारियों के बारे में नहीं पढ़ाया। हम सच्चे नायकों की जीवनियाँ शामिल करेंगे। नए पाठ्यक्रम में वीर सावरकर, भगवदगीता संदेश, परशुराम, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और अन्य को शामिल किया जाएगा।”
#WATCH | Madhya Pradesh government to include chapter on Veer Savarkar in school syllabus.
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) June 29, 2023
Unfortunately, Congress did not teach about the true revolutionaries of India. We will include biographies of true heroes and the new syllabus will include Veer Savarkar, Bhagavad Gita… pic.twitter.com/rwgPOfgtu5
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, “वीर सावरकर हमारे महान क्रांतिकारियों में से हैं, जिनको एक जन्म में दो-दो आजीवन कारावास की सजा हुई। वे पहले ऐसे लेखक हुए, जिन्होंने 1857 के विद्रोह को स्वतंत्रता संग्राम कहा, नहीं तो लोग इसे गदर ही कहते थे। कॉन्ग्रेस शासन में विदेशी आक्रांताओं को महान लिखा गया। देशभक्तों को महान नहीं लिखा गया।”
राज्य की पिछली कॉन्ग्रेस की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “2018 में कुछ समय के लिए कमलनाथ जी की सरकार बनी थी। वीर सावरकर की किताब एक स्कूल में बाँट दी गई थी। कमलनाथ जी की सरकार ने उस प्राचार्य को निलंबित कर दिया था। दरअसल, कॉन्ग्रेस के लोग हमारे क्रांतिकारियों को बच्चों तक पहुँचाना नहीं चाहते थे। ये उन्होंने अपनी सरकार में करके दिखाया।”