सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (15 दिसंबर, 2023) को तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) नेता महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुनवाई 3 जनवरी 2024 तक के लिए टाल दी है। मोइत्रा ने ये याचिका अनैतिक आचरण के आरोप में लोकसभा से हाल ही में हुए अपने निष्कासन के खिलाफ डाली थी।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ मोइत्रा की भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा से निष्कासन को चुनौती देने वाली इस रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, “डॉ. सिंघवी, मुझे सुबह फ़ाइल मिली और इसे स्कैन करने का वक्त मेरे पास नहीं था। क्या हम इसे 3 या 4 तारीख को रख सकते हैं? मैं पहले इसे पढ़ना चाहूँगा।”
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में कृष्णानगर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली सांसद महुआ मोइत्रा को 8 दिसंबर को एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के बाद संसद से निष्कासित कर दिया गया था। उनके खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी के आरोपों पर अनैतिक आचरण का आरोप लगा था।
TMC नेता महुआ मोइत्रा की पैरवी के लिए अदालत में सीनियर वकील एएम सिंघवी पेश हुए थे। इस दौरान सिंघवी ने अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की मौजूदगी पर ऐतराज जताया। साल्वे, मोइत्रा पर आरोप लगाने वाले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की तरफ से पेश हुए थे। बीजेपी सांसद दुबे की शिकायत के आधार पर ही मोइत्रा के खिलाफ संसद की एथिक्स कमेटी ने जाँच शुरू की थी।
बता दें कि शुक्रवार को टीएमसी नेता मोइत्रा की मुख्य याचिका के साथ अंतरिम राहत के लिए एक आवेदन पर भी ही सुनवाई होनी था, लेकिन पीठ ने आज मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने टीएमसी सांसद की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इंकार कर दिया था। सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मोइत्रा की ओर से इस याचिका को अर्जेंट लिस्टिंग में रखने की गुहार लगाई थी।
हालाँकि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार (13 दिसंबर 2023) को टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को दिलासा दिया था कि वह कैश फॉर क्वेरी केस में लोकसभा से उनके निष्कासन के खिलाफ उनकी याचिका की लिस्टिंग पर तवज्जो देंगे।
दरअसल मोइत्रा को लेकर विवाद तब सामने आया जब बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने सितंबर 2023 में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को महुआ के खिलाफ शिकायती पत्र लिखा था।
ये पत्र वकील जय अनंत देहाद्रई की एक शिकायत पर आधारित था। इसमें आरोप लगाया गया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे और फेवर लिया था। वहीं इसके बाद कारोबारी दर्शन हीरानंदानी ने संसद की आचार समिति को दिए एक हलफनामे में दावा किया कि मोइत्रा ने उन्हें अपने लोकसभा पोर्टल लॉगिन क्रेडेंशियल दिए थे।
आरोपों के मुताबिक, कारोबारी हीरानंदानी ने मोइत्रा की तरफ संसद में सवाल पूछने के लिए इसका इस्तेमाल किया और बदले में महुआ को नकद और तोहफे दिए। इन आरोपों को देखेते हुए केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने भी मामले में एफआईआर दर्ज की थी।
मोइत्रा पर सांसद दुबे के आरोपों के बाद अक्टूबर में उनके खिलाफ संसदीय जाँच शुरू की गई थी। जाँच पूरी करने के बाद संसद की आचार समिति ने 9 नवंबर को एक बैठक में ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ घोटाले को लेकर सांसद को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट दी थी।
हालाँकि, महुआ खुद पर लगे इन आरोपों से लगातार इनकार करती रहीं। टीएमसी नेता ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि उन्हें एथिक्स पैनल की रिपोर्ट पर विचार के दौरान सदन में अपना बचाव करने या उनके अलग हुए साथी और उन पर आरोप लगाने वाले बीजेपी सांसद से जिरह करने का मौका नहीं दिया गया। इसके बाद 8 दिसंबर 2023 को मोइत्रा को संसद से निष्काषित कर दिया गया।