ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव के दौरान हुई राजनीतिक हत्याओं में मारे गए लोगों के परिवारजनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाए जाने से अभी तक नाराज हैं। PM मोदी के इस निर्णय से ममता इतनी आहत हैं कि पहले तो उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में जाने का अपना निर्णय बदला और अब NITI आयोग की बैठक में भी शामिल नहीं होंगी। जाहिर सी बात है कि उनके इस हठ का परिणाम पश्चिम बंगाल की जनता और शासन-प्रशासन को भी झेलना पड़ सकता है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर तल्ख तेवर दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में होने वाली NITI आयोग की बैठक से किनारा कर लिया है। इस बैठक में सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री भाग लेने वाले हैं। लेकिन, ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया है। ममता बनर्जी ने चिट्ठी में कहा है कि NITI आयोग के पास कोई आर्थिक अधिकार नहीं हैं, साथ ही यह राज्यों की नीतियों का समर्थन करने की भी ताकत नहीं रखता। ऐसे में उनका बैठक में शामिल होना बेकार है।
नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद ममता बनर्जी का नीति आयोग की कमियों पर ध्यान गया और उन्होंने तीन पेज की चिट्ठी लिखकर नीति आयोग को लेकर कई सवाल उठाए हैं। 15 जून को नई दिल्ली में नीति आयोग की बैठक होनी है, जिसमें केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, नीति आयोग के सदस्य और केंद्रीय मंत्रियों को बुलाया है। नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की ये पहली बैठक है।
ममता बनर्जी ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, “मुझे इस बैठक के बारे में बताया गया है, लेकिन इसको लेकर मैं कुछ सवाल करना चाहूँगी। आपने 5 अगस्त 2014 को नीति आयोग का गठन, योजना आयोग को खत्म कर के किया था, तब किसी भी मुख्यमंत्री से नहीं पूछा था।” बंगाल की मुख्यमंत्री ने सवाल किया है कि जब नीति आयोग किसी भी राज्य की वित्तीय मदद नहीं कर सकता है, ना ही राज्यों द्वारा चलाई जा रही योजना में किसी तरह की सहायता करता है, तो फिर इस बेमतलब की बैठक में आने का क्या फायदा है?
अपने पत्र में ममता बनर्जी ने कहा कि आपको (पीएम मोदी) पता होगा कि योजना आयोग एक राष्ट्रीय योजना समिति थी, जिसे पंडित जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस ने 1938 में बनाया था। 1950 में योजना आयोग का जब गठन किया गया, तब इसके पास वित्तीय शक्तियां थीं और इसके जरिए मुख्यमंत्रियों के साथ विकास संबंधी योजनाओं पर बात-विचार किया जाता था।
नरेंद्र मोदी को किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री ना बनने देने का सपना देखने वाली ममता बनर्जी उनके दोबारा प्रधानमंत्री बनते ही पूरी तरह से बौखला चुकी हैं। ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी पर चुनाव के दौरान भी लगातार जुबानी हमले जारी रखे और अब यह केंद्र बनाम राज्य की लड़ाई बनती जा रही है। इससे पहले ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आने से इनकार कर दिया था। पहले तो उन्होंने निमंत्रण को स्वीकार किया था, लेकिन जब सरकार की ओर से भारतीय जनता पार्टी के उन कार्यकर्ताओं के परिवारजनों को न्योता दिया गया, जिनकी हत्या चुनाव के दौरान हुई थी तो ममता ने जाने से इनकार कर दिया था।