नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को लेकर दलित नेतृत्व के बीच मतभेद स्पष्ट दिख रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने कार्यकर्ताओं को पहले ही इससे दूर रहने को कहा था। अब उन्होंने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर उर्फ रावण पर इसको लेकर निशाना साधा है। उन्होंने चंद्रशेखर पर विरोधियों के हाथ खेलने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश का होकर भी वह दिल्ली के जामा मस्जिद जाता है और जबरन अपनी गिरफ्तारी करवाता है।
मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट के जरिये भीम आर्मी चीफ़ को लताड़ लगाई है। उन्होंने ट्वीट कर कर कहा है कि दलितों का मानना है कि षड्यंत्र के तहत चंद्रशेखर ऐसे राज्यों में जाता है जहॉं चुनाव करीब हो और बीएसपी की पकड़ हो। वोटों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर प्रदर्शन वगैरह कर वह फिर जबरन जेल चला जाता है।
1. दलितों का आम मानना है कि भीम आर्मी का चन्द्रशेखर, विरोधी पार्टियों के हाथों खेलकर खासकर बी.एस.पी. के मज़बूत राज्यों में षड़यन्त्र के तहत चुनाव के करीब वहाँ पार्टी के वोटों को प्रभावित करने वाले मुद्दे पर, प्रदर्शन आदि करके फिर जबरन जेल चला जाता है।
— Mayawati (@Mayawati) December 22, 2019
मायावती ने कहा कि वह (चंद्रशेखर) उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। लेकिन, CAA/ NRC पर वो यूपी के बजाए वह दिल्ली के जामा मस्जिद में हो रहे विरोध-प्रदर्शन में शामिल होता है। जबरन अपनी गिरफ़्तारी करवाता है, क्योंकि दिल्ली में जल्द ही विधानसभा चुनााव होने हैं। उन्होंने कहा, “मैं पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील करती हूँ कि वे ऐसे सभी स्वार्थी तत्वों, संगठनों व पार्टियों से हमेशा सचेत रहें। वैसे ऐसे तत्वों को पार्टी कभी लेती नहीं है, चाहे वे कितना ही प्रयास क्यों न कर लें।”
2. जैसे यह यू.पी. का रहने वाला है, लेकिन CAA/NRC पर यह यू.पी. की बजाए दिल्ली के जामा मस्जिद वाले प्रदर्शन में शामिल होकर जबरन अपनी गिरफ्तारी करवाता है क्योंकि यहाँ जल्दी ही विधानसभा चुनाव होने वाला है।
— Mayawati (@Mayawati) December 22, 2019
दरअसल, रविदास मंदिर की घटना के दौरान हुए आंदोलन पर अपनी गिरफ़्तारी से मुक्त होने के बाद, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने बसपा सुप्रीमो मायावती की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था और भाजपा के ख़िलाफ़ एकजुट होने के लिए कहा था। चंद्रशेखर, जो मायावती को ‘बुआ’ या चाची के रूप में संदर्भित करता है, उसने मायावती को एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें चंद्रशेखर ने बहुजन आंदोलन को मज़बूत करने के लिए चर्चा में शामिल होने के लिए कहा था ताकि वह दलित विरोधी नीतियों के लिए भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ लड़ सके। हालाँकि, बसपा प्रमुख ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि बसपा इसे दलितों के बीच भ्रम पैदा करने की चाल मानती है।
ग़ौरतलब है कि शुक्रवार (20 दिसंबर) को चंद्रशेखर आज़ाद दिल्ली के जामा मस्जिद पर हुए प्रदर्शन में दिखा था। बाद में उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था।
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